मध्यप्रदेश के राजगढ़ में मिले 22 साल की युवती के कंकाल की गुत्थी पुलिस ने सुलझा ली है। युवती की हत्या की गई थी। हत्यारा कोई और नहीं उसका प्रेमी ही निकला। प्रेमी ने 7 जून को उसकी हत्या कर दी। उसके बाद रात में कंधे पर उसका शव रखकर निकल पड़ा। 1.5 किमी दूर मोकमपुरा के पास जंगल में बटेड़ नाले में शव को ठिकाने लगा दिया। 11 जून को कोतवाली पुलिस के पास एक शख्स का कॉल आया। उसने कंकाल पड़ा होने की सूचना दी। शव को कुत्ते नोंच रहे थे। शव के पास लंबे बाल, सेंडिल और कुछ कपड़े बिखरे पड़े मिले थे।
इसी दिन एक दंपती थाने पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी 4 जून से लापता थी। पुलिस ने जब उन्हें मौके से मिले कपड़े दिखाए तो युवती की मां फफक पड़ी। उसने कहा- ‘हां, ये सब मेरी बेटी के ही हैं।‘ पुलिस ने इस मामले में आरोपी को 8 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया। उसे रविवार को कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने उसे एक दिन की रिमांड पर सौंपा है।
हत्या की ये सनसनीखेज वारदात लालपुरिया गांव की है। कोतवाली थानी प्रभारी उमेश यादव ने बताया कि 11 जून को सुबह 10 बजे एक शख्स का कॉल आया था। उसने कंकाल पड़े होने की सूचना दी थी। हम मौके पर पहुंचे। वहां से साक्ष्य जमा किए। प्रथम दृष्टया कंकाल किसी महिला का नजर आ रहा था। हम थाने लौट आए थे।
हमारे सामने पहली चुनौती महिला की पहचान की थी। हमने मिसिंग महिलाओं की जानकारी खंगाली। थाना क्षेत्र में ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया। इस दिन कुछ घंटे बाद हजारीलाल तंवर (38) अपनी पत्नी कला बाई के साथ थाने आया था। उसने बताया कि वह दलेलपुरा गांव से आए हैं। पुलिस इसी गांव के जंगल में बटेड़ नाले में मिले मानव कंकाल की जांच में जुटी थी।
बदनामी के डर से नहीं दर्ज कराई गुमशुदगी
पुलिस ने जब उनसे यहां आने का कारण जाना तो उसने कहा कि गांववाले कह रहे हैं कि आज जो कंकाल मिला है वह हमारी बेटी संगीता का है। वो 4 जून से बिना बताए घर से कही चली गई। पुलिस ने उन्हें बिठाया और पूछा कि बेटी लापता थी तो पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी। तब हजारीलाल ने कहा कि वो किसी लड़के के साथ चली गई थी। बदनामी के डर से हमने किसी को कुछ नहीं बताया। मौके पर पड़े कपड़े से परिजन ने कंकाल की पहचान की।
चौंकाने वाली बात यह है कि जब पुलिस मौके पर पहुंची थी तब आरोपी भी घटनास्थल पर मौजूद था। इस दौरान वह पुलिस टीम के आसपास ही बना रहा। उसने मौके पर बनाए गए पंचनामे पर दस्तखत भी किए। पुलिस जांच में जुटी थी। युवती के माता-पिता ने लालपुरिया गांव के कालू सिंह सौंधिया (27) पर शक जताया था।
भोपाल से आई पीएम रिपोर्ट, DNA रिपोर्ट बाकी
माता-पिता के दावों के आधार पर स्पष्ट हो चुका था कि यह कंकाल संगीता का ही है। पुख्ता जानकारी के लिए जिला अस्पताल से कंकाल को मेडिको लीगल संस्थान भोपाल भेजा गया। यहां से मिली रिपोर्ट में बताया गया कि ये कंकाल करीब 22 साल की युवती का है। पुलिस ने युवती के पिता हजारीलाल तंवर और मां कलाबाई के ब्लड सैंपल भी लिए। सैंपल को डीएनए जांच के लिए भोपाल भेजा गया है। जहां से रिपोर्ट आना बाकी है।
पुलिस के सामने अब ये चुनौती थी कि आखिर युवती के साथ हुआ क्या था। संगीता से जुड़ी और जानकारी के लिए पुलिस ने माता-पिता के बयान लिए। इसमें पता चला कि संगीता का पास के लालपुरिया गांव में रहने वाले शादीशुदा युवक कालू सिंह सौंधिया से प्रेम प्रसंग चल रहा था। कालू सिंह और संगीता अक्सर फोन पर बातचीत करते रहते थे। माता-पिता ने संदेह जताया कि 4 जून की रात को संगीता को कालू सिंह उसके घर से साथ लेकर चला गया था। हालांकि, माता-पिता ने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज नहीं कराई थी।
आरोपी की कॉल डिटेल्स से खुला राज
युवती के माता-पिता ने कालू सिंह पर बेटी को साथ ले जाने का आरोप लगाया था। इस बीच पुलिस ने 13 जून को आरोपी को थाने बुलाया। यहां पुलिस को पूछताछ में कुछ भी हाथ नहीं लगा। उसने बताया कि युवती जब घर से गई तो वह अपने घर पर सो रहा था। इसके बाद जब-जब भी पुलिस ने बुलाया वह थाने जाता रहा, लेकिन हर बार उसके बयान बदलते रहे। इस बीच पुलिस ने उसकी कॉल डिटेल्स निकाली। जिसमें उसके नंबर से संगीता के पिता के नंबर पर बातचीत होना पाई गई। इसके बाद पुलिस ने 8 जुलाई को कालू सिंह को हिरासत में ले लिया। थाने लाकर पूछताछ की तो उसने पूरी कहानी बयां कर दी।
पढ़िए आरोपी ने पुलिस को क्या बताया?
खेत पर काम करने आई उस दौरान हुआ था प्यार
आरोपी कालू सिंह सौंधिया ने बताया- मेरे पिता की 20 बीघा जमीन है। खेत में फसलों की कटाई के लिए अक्सर मजदूर आते थे। 5 महीने पहले गांव से 2 किलोमीटर दूर स्थित दलेलपुरा गांव से हजारीलाल तंवर आए थे। उनके साथ बेटा बंटी और बेटी संगीता भी थे। तीनों ने साथ में काम किया। इसी दौरान मेरी संगीता से बातचीत होने लगी। हम दोनों एक-दूसरे से प्यार करने लगे। खेत में काम पूरा करने के बाद संगीता अपने गांव लौट गई। वो उसके पिता के फोन ने मुझसे बात करने लगी। कुछ ही दिनों में यह बात संगीता के पिता को पता चल गई। बदनामी के डर से उन्होंने रिश्ता ढूंढा और बेटी की सगाई कर दी।
4 जून को उसे गांव से अपने खेत ले आया
4 जून को संगीता ने मुझे फोन किया। उसने मुझे बताया कि उसकी सगाई हो गई। उसने कहा कि पिता मेरी शादी कहीं और करना चाहते हैं। मुझे तुम्हारे साथ रहना है। तुम यहां आकर मुझे ले जाओ। यह सुनने के बाद मैं उसी दिन संगीता के गांव आया। मौका देखकर उसे ले भागा। मैं उसे अपने खेत में बनी झोपड़ी में ले गया। हम दोनों यहां रातभर रुके। अगले दिन संगीता ने मुझसे कहा कि हम लोग यहां रहेंगे तो पकड़े जाएंगे। मुझे तुमसे शादी करना है। हम कही और चलते हैं।
वो शादी की जिद करने लगी तो रस्सी से फांसी पर लटकाया
मैंने शादी की बात को टालते हुए कहा कि मैं रुपए और गाड़ी का इंतजाम कर रहा हूं। इंतजाम होते ही हम यहां से बाहर निकल जाएंगे। मैं वहां तुमसे शादी करूंगा। इस बीच दो दिन बीत चुके थे। तीसरे दिन संगीता ने मुझसे सख्ती से कहा कि अगर मैंने उससे शादी नहीं की तो वो चुप नहीं बैठने वाली। वह बार-बार बाहर ले जाने की जिद करने लगी। ऐसे में मैंने उससे छुटकारा पाने के लिए 7 जून को एक रस्सी से उसे फांसी लगा दी।
हत्या के बाद शव कंधे पर लेकर एक किमी चला
हत्या के बाद करीब एक घंटे मैं संगीता के शव के पास बैठा रहा। इस दौरान मैं सोचता रहा कि उसकी लाश को गांव से दूर ले जाकर फेंक आऊंगा। मैं 7 जून को शाम होने का इंतजार करता रहा। जैसे ही अंधेरा हुआ मैंने संगीता का शव कंधे पर डाला। उबड़-खाबड़ रास्ते पर पैदल चल पड़ा। 4 घंटे में शव को कंधे पर लादे एक किमी तक चला। जब मुझसे आगे चला नहीं गया तो शव को वहीं एक गड्ढे में पटककर अपने खेत में बनी झोपड़ी में लौट आया।
8 जून को पूरा दिन परिवार और गांव में बिताया
सुबह हुई तो मैं गांव गया। 8 जून को मैंने पूरा दिन परिवार और ग्रामीणों के बीच बिताया। शाम होते ही मैं फिर खेत में बनी झोपड़ी में पहुंचा। यहां कुछ देर रुका और फिर उस जगह के लिए चल पड़ा जहां मैंने संगीता की लाश रखी थी। यहां से फिर शव को कंधे पर लेकर चल पड़ा। कुछ देर चलता फिर शव नीचे रखकर आराम करता। ऐसा करते-करते करीब आधा किमी बाद मुझे बटेड़ नाला दिखाई दिया। इसी नाले के पानी में मैंने शव फेंक दिया। मुझे लगा कि यहां कोई आता-जाता नहीं है। ऐसे में इस गड्ढे में लाश को ठिकाने लगा देता हूं। कुछ दिन पड़ी रहेगी तो जंगली जानवर खा जाएंगे।
नाले में शव को कुत्तों ने नोंच-नोंचकर खाया
शव को ठिकाने लगाने के बाद मैं खेत में बनी झोपड़ी में लौट आया। सुबह के करीब 4 बजे चुके थे। आते ही मैं सो गया। सुबह गांव में अपने घर चला गया। जंगल में पड़े शव को जंगली जानवर और कुत्ते खाते रहे। 3 दिन में शव कंकाल में तब्दील हो चुका था। 11 जून को जब गांव का ही एक व्यक्ति किसी काम से जंगल में बटेड़ नाले के पास पहुंचा तो उसने देखा कि एक जगह बड़ी संख्या में कुत्ते जमा हैं। जिज्ञासा के चलते वह वहां गया तो उसे कंकाल नजर आया। कंकाल का बचा मांस कुत्ते नोंच रहे थे। उसने गांव के युवक को बताया। फिर उसने पुलिस को जानकारी दी।
आरोपी ने सख्ती से पूछताछ करने पर जुर्म कबूला
राजगढ़ कोतवाली थाना प्रभारी उमेश यादव ने बताया कि युवती के माता-पिता ने बदनामी के डर से उन्होंने रिपोर्ट नहीं लिखाई थी। गांव के युवक कालू सौंधिया पर उन्होंने शक जताया था। आरोपी बार-बार बयान बदल रहा था। सख्ती से पूछताछ में उसने बताया कि युवती से मेरे संबंध बन गए थे। 4 जून को भी इसने जिद की तो मैं उसे अपने खेत में ले आया। यहां वह शादी के लिए दबाव बनाने लगी। मैंने टालने की कोशिश की। वह नहीं मानी। मेरी शादी हो चुकी थी। एक बच्चा है। ऐसे में उससे शादी नहीं कर सकता था, इसलिए रस्सी से फांसी लगाकर मार डाला। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।