Farm Laws Repealed: करीब एक साल से चल रहे किसान आंदोलन के दबाव में आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा. लेकिन इसके साथ ही अब इस पर सवाल खड़े हुए हैं कि खेती में सुधारों का क्या होगा और अब वे कॉरपोरेट क्या करेंगे जो कृषि में सुधारों की बदौलत बड़े कारोबार की उम्मीद कर रहे थे?
Farm Laws Repealed: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में तीनों कृषि कानूनों (Three Farm Laws) को वापस लेने का ऐलान किया. करीब एक साल से चल रहे किसान आंदोलन के दबाव में आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा. लेकिन इसके साथ ही अब इस पर सवाल खड़े हुए हैं कि खेती में सुधारों का क्या होगा और अब वे कॉरपोरेट क्या करेंगे जो कृषि में सुधारों की बदौलत बड़े कारोबार की उम्मीद कर रहे थे?
तीन कृषि कानूनों से कॉरपोरेट सेक्टर के वे धड़े काफी खुश थे जो कृषि और कृषि से जुड़े कारोबार में दांव लगा रहे है. वे इन कानूनों को गेम चेंजर बता रहे थे. किसान संगठनों की आलोचना भी यही थी कि ये पूरी तरह से कॉरपोरेट के पक्ष में बनाया गया कानून है,
कई जानकार यह उम्मीद जता रहे थे कि इससे कृषि में स्टार्टअप को काफी बढ़ावा मिलेगा. कॉरपोरेट जगत के लोगों का मानना था कि इससे किसानों को फायदा तो होगा ही कृषि से जुड़े स्टार्टअप और एग्री सेक्टर की बड़ी कंपनियों को भी फायदा होगा. ऐसी खबरें आने लगी थी कि अनाज के भंडारण के लिए कई कंपनियों ने बड़े-बड़े गोदाम बनवा लिए हैं.
एडिबल ऑयल इंडस्ट्री के संगठन सॉल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने इसे पीएम मोदी की सदाशयता बताया है. संगठन ने कहा, ‘तीन कानूनों को वापस लेकर पीएम मोदी ने वास्तव में सदाशयता दिखाई है, लेकिन भारतीय कृषि सेक्टर को प्रतिस्पर्धी बनाने और किसानों की आय में सुधार के लिए ये सुधार जरूरी है.’
इस कानून का खास स्वागत हुआ था
खासकर उस कानून का कॉरपोरेट जगत कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून का स्वागत कर रहा था जिसमें यह कहा गया था किसान और कॉरपोरेट के बीच पैदावार कीखरीद-फरोख्त की डील आसान होगी. इंडस्ट्री जगत का कहना था कि पीएम मोदी ने किसानों की साल 2022 तक आय दोगुनी करने का जो लक्ष्य रखा है उसके लिए नए कानून प्रेरक का काम करेंगे.
कॉरपोरेट कंपनियों में निराशा
इससे कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग आसान होती, जिसकी मांग वर्षों से पेप्सिको,आईटीसी जैसी कॉरपोरेट कंपनियां कर रही हैं. लेकिन अब तीनों कानूनों के रद्द होने से इन कंपनियों को जाहिर तौर पर काफी निराशा होगी और कृषि सेक्टर में निजी क्षेत्र का भविष्य अभी धुंधला ही दिख रहा है.
गौरतलब है कि पेप्सिको, रिलायंस रिटेल जैसी कई बड़ी कंपनियों को किसानों से पैदावार की खरीद को आसान बनाने के लिए ऐसे कानून की जरूरत पर जोर कॉरपोरेट जगत से दिया जा रहा था. कहा जा रहा था कि इससे बाजार और खुलेगा और उचित एवं पारदर्शी खरीद होने से किसानों की आय भी बढ़ेगी. इससे किसान से लेकर खाने की प्लेट तक आपूर्ति चेन आसान बनेगी. किसानों के लिए बाजार तक पहुंच और अपने उत्पादों की बिक्री आसान होगी. लेकिन अब कृषि कानूनों को वापस लेने से इन सब उम्मीदों पर फिलहाल पानी फिर गया है.