भारत सरकार ने 2030 तक देश को 100% ई-मोबिलिटी वाली अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है. इसकी एक बड़ी वजह ईंधन के रूप में बिजली के उपयोग को बढ़ावा देना भी है. इसलिए सरकार का फोकस ई-वाहनों के साथ-साथ घरों में बिजली से चलने वाले इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर भी है. इसके लिए देश में नई और एडवांस तरह की बैट्रियों की जरूरत है और इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस क्षेत्र के लिए PLI योजना को मंजूरी दी है. जानें पूरी खबर.
मोदी सरकार ने 2030 तक देश को 100% ई-मोबिलिटी वाली अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है. इसकी एक बड़ी वजह ईंधन के रूप में बिजली के उपयोग को बढ़ावा देना भी है. इसलिए सरकार का फोकस ई-वाहनों के साथ-साथ घरों में बिजली से चलने वाले इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर भी है. इसके लिए देश में नई और एडवांस तरह की बैट्रियों की जरूरत है और इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस क्षेत्र के लिए PLI योजना को मंजूरी दी है.
भारी उद्योग मंत्रालय के प्रस्ताव को हरी झंडी
पीआईबी की खबर के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने बुधवार को कई फैसले लिए. बैठक में भारी उद्योग मंत्रालय के ‘राष्ट्रीय उन्नत रसायन बैट्री भंडारण कार्यक्रम’ (National Programme on Advanced Chemistry Cell (ACC) Battery Storage) को मंजूरी दे दी गई. इस योजना के तहत 50 गीगावॉट आवर्स की एसीसी बैटरी और 5 गीगावॉट आवर्स की niche एसीसी बैट्री निर्माण क्षमता खड़ी करने का लक्ष्य है. गीगावॉट आवर्स का मतलब एक घंटे में एक अरब वॉट ऊर्जा का निर्माण करना होता है.
18,100 करोड़ रुपये देगी सरकार
सरकार ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (Prduction Linked Incentive-PLI) के तहत देश में एसीसी निर्माण की क्षमता बढ़ाने के लिए 18,100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. PLI स्कीम में सरकार कंपनियों को उनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं के मूल्य के आधार पर प्रोत्साहन राशि देती है.
क्या होती है एसीसी
एसीसी आधुनिक और नई पीढ़ी की एडवांस बिजली स्टोरेज टेक्नोलॉजी है. इसमें बिजली को इलेक्ट्रो-केमिकल या रासायनिक ऊर्जा के रूप में सुरक्षित कर लिया जाता है और जब जरूरत पड़े तो फिर से बिजली में बदला जा सकता है. ई-वाहनों के साथ-साथ उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक सामान, बिजली से चलने वाले वाहन, उन्नत विद्युत ग्रिड, सौर ऊर्जा आदि में बैट्री की आवश्यकता होती है. आने वाले समय में इस उपभोक्ता सेक्टर में तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है और इसी को ध्यान में रखकर सरकार ने इसके उत्पादन के लिए PLI स्कीम मंजूर की है.
आत्मनिर्भर भारत को मिलेगा बल
दुनिया भर में कई कंपनियों ने बैट्री टेक्नोलॉजी पर निवेश करना शुरू किया है. हालांकि भारत में ये बहुत कम है और एसीसी के मामले में तो नगण्य है. अभी देश में एसीसी की मांग आयात से पूरी की जा रही है. सरकार के इस कार्यक्रम से आयात पर निर्भरता कम होगी. वहीं बैट्री उत्पादन में ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ को भी मदद मिलेगी.
PLI का लाभ पाने के लिए ऐसे होगा चयन
एसीसी बैट्री स्टोरेज बनाने वाली कंपनी या निर्माता का चयन एक पारदर्शी प्रतिस्पर्धात्मक बोली प्रक्रिया के जरिये होगा. कंपनी को अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट 2 वर्ष के भीतर काम चालू करना होगी. उसे मिलने वाली प्रोत्साहन राशि 5 वर्षों में दी जाएगी. इसमें हर बढ़ती specific energy density और cycles के हिसाब से प्रोत्साहन राशि को भी बढ़ा दिया जाएगा. एसीसी बैट्री स्टोरेज मैन्युफैक्चर में से प्रत्येक को यह भरोसा दिलाना होगा कि वह कम से कम 5 गीगावॉट ऑवर्स की निर्माण क्षमता स्थापित करेगा. इस योजना के तहत लाभ उठाने वाली कंपनियों को कम से कम 25% का वैल्यू एडिशन घरेलू स्तर पर करना होगा और 5 साल में इसे बढ़ाकर 60% तक ले जाना होगा.
बैट्री उत्पादन की PLI योजना से आएगा निवेश
इस कार्यक्रम से सरकार का लक्ष्य देश में कुल 50 गीगावॉट ऑवर्स की एसीसी मैन्यूफैक्चरिंग कैपेसिटी विकसित करना है. एसीसी बैट्री स्टोरेज परियोजनाओं से देश में लगभग 45,000 करोड़ रुपये का सीधा निवेश होने की उम्मीद है. एसीसी बैट्री से ई-वाहनों को प्रोत्साहन मिलेगा और पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी. इससे भी देश के 2,00,000 करोड़ रुपये से 2,50,000 करोड़ रुपये बचेंगे.