कोरोना की दूसरी लहर के असर से कारोबारी साल 2021-22 की पहली छमाही को जोर का झटका लगने की आशंका है. लेकिन पहली लहर की तरह इस बार भी आर्थिक गतिविधियां दूसरी छमाही में जोरदार वापसी के लिए तैयार नजर आती हैं. इस बात का भरोसा उद्योगपतियों ने एक सर्वे में जताया है.
कोरोना की दूसरी लहर से अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान की भरपाई करते-करते सितंबर तक का समय निकलने की आशंका है. लेकिन इसके बाद यानी अक्टूबर-मार्च छमाही में इकोनॉमी बाउंस बैक करने के लिए तैयार नजर आती है. इस बात का भरोसा फिक्की और ध्रुवा एडवाइजर्स द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में उद्योगपतियों ने जताया है.
सर्वे में दावा किया गया है कि कारोबारियों को इस साल की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था में बड़ा सुधार आने का भरोसा है. डिमांड और सप्लाई का संकट भी तबतक सुलझने के आसार कारोबार जगत को है. हालांकि उद्योगपतियों का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर ने उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया है.
इस दौरान संकट से निपटने के लिए उन्हें अपने प्रॉडक्ट्स के दाम तक घटाने पड़े हैं. ऐसे में उद्योगपतियों का मानना है कि देश को कोरोना की अगली लहर के आने से पहले वैक्सीनेशन की प्रक्रिया को तेजी से निपटाना चाहिए. इसी के दम पर अर्थव्यवस्था फिर से कोरोना के आगे बेबस नहीं होगी.
अगर बात करें फिक्की के सर्वे में आए नतीजों की तो 58 फीसदी उद्योगपतियों ने माना है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उन्हें भारी संकट का सामना करना पड़ा है. 38 फीसदी उद्योगपतियों ने व्यापार पर मध्यम असर को स्वीकार किया है, जिससे उन्हें कमजोर डिमांड का सामना करना पड़ा.
हालात से निबटने के लिए 56 फीसदी औद्योगिक यूनिट्स को अपने प्रॉडक्ट्स की कीमतों से भी समझौता करना पड़ा. 43 फीसदी उद्योगपतियों ने नकदी संकट को बड़ी समस्या माना है. 37 परसेंट कंपनियों ने माना है कि उनके ग्रामीण क्षेत्रों से हो रहे कामकाज में भारी कमी आई है.









