दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान समेत कई राज्य वैक्सीनेशन को रोकने पर मजबूर हुए हैं, तो वहीं राज्य और केंद्र सरकारों के बीच तकरार भी जारी है. इस महासंकट के बीच सबसे अधिक परेशानी आम लोगों को हो रही है, जो घंटों तक पहले कोविन ऐप पर अपने स्लॉट का इंतज़ार कर रहे हैं, जबकि नंबर आने पर भी टीका नहीं लगवा पा रहे हैं.
कोरोना की बढ़ती समस्या के बीच देश में इस वक्त वैक्सीन की भारी किल्लत हो गई है. दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक समेत कई राज्य वैक्सीनेशन को रोकने पर मजबूर हुए हैं, तो वहीं राज्य और केंद्र सरकारों के बीच तकरार भी जारी है. इस महासंकट के बीच सबसे अधिक परेशानी आम लोगों को हो रही है, जो घंटों तक पहले कोविन ऐप पर अपने स्लॉट का इंतज़ार कर रहे हैं, जबकि नंबर आने पर भी टीका नहीं लगवा पा रहे हैं.
दिल्ली में कोवैक्सीन वाले सेंटर्स पर ताला
वैक्सीनेशन को लेकर देश में क्या हालात हैं, इसका अंदाजा राजधानी दिल्ली से ही लगाया जा सकता है. दिल्ली में कोवैक्सीन की सप्लाई ना होने के बाद कई सेंटर्स पर ताला लगा दिया गया है. दिल्ली सरकार के मुताबिक, करीब 100 सेंटर्स पर अब टीका नहीं लग पाएगा. बीते दिन राज्य सरकार ने आरोप लगाया था कि कोवैक्सीन ने केंद्र के दबाव में वैक्सीन देने से इनकार कर दिया है. ऐसे में दिल्ली वालों को आज मुश्किलों का सामना कर पड़ सकता है.
महाराष्ट्र और कर्नाटक में 18+ वालों के लिए रुका टीकाकरण
दिल्ली के अलावा महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी हालात ठीक नहीं हैं. महाराष्ट्र और कर्नाटक ने अब 18+ वालों के लिए टीकाकरण रोक दिया है, क्योंकि राज्य के पास वैक्सीन की कमी है. महाराष्ट्र का कहना है कि कोवैक्सीन की सप्लाई ना होने की वजह से 18 प्लस वालों का टीकाकरण रोका जा रहा है, ताकि 45 प्लस वालों को वैक्सीन की दूसरी डोज़ दी जा सके. वहीं, कर्नाटक ने भी यही तर्क दिया है.
ग्लोबल टेंडर्स निकालने पर मजबूर हुए राज्य
उत्तर प्रदेश, ओडिशा के बाद अब अन्य कई राज्य भी वैक्सीनेशन के लिए दुनिया का रुख कर रहे हैं. अब महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक, तेलंगाना ने भी वैक्सीन के ग्लोबल टेंडर्स का ऐलान कर दिया है. इसके जरिए दुनिया की कोई भी कंपनी राज्य में वैक्सीन सप्लाई का ठेका ले सकती है और सुचारू रूप से वैक्सीन दे सकती है.
कैसे जीतेंगे जंग?
गौरतलब है कि देश में हर रोज़ अभी भी कोरोना के मामलों की संख्या तीन लाख को पार कर रही है, वहीं देश में एक्टिव केस की संख्या 35 लाख से ऊपर ही बनी हुई है. ऐसे में जब हर एक्सपर्ट टीकाकरण को ही सबसे सेफ बता रहा है, ऐसे में देश में टीकाकरण की रफ्तार कम हो गई है. देश में अभी भी औसतन बीस लाख टीके ही रोज लग पा रहे हैं.









