अप्रैल में खाने-पीने की चीजों के दाम में भी गिरावट देखी गई. इससे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर अप्रैल में गिरी है. फरवरी और मार्च में रिटेल इन्फ्लेशन रेट के 5% से ऊपर रहने के बाद ये फिर एक बार इससे नीचे है. जानें पूरी खबर.
अप्रैल में खाने-पीने की चीजों के दाम में भी गिरावट देखी गई. विशेषकर सब्जियों के दाम तेजी से गिरे जिससे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर में बीते दो महीनों के मुकाबले गिरावट देखी गई. फरवरी और मार्च में रिटेल इन्फ्लेशन रेट के 5% से ऊपर था और अप्रैल में ये एक बार फिर इससे नीचे रहा.
सांख्यिकी मंत्रालय ने जारी किए आंकड़े
सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने बुधवार को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index-CPI) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) के आंकड़े जारी किए. अप्रैल में रिटले इन्फ्लेशन दर घटकर 4.29% पर आ गई. यह शहरी इलाकों में 4.77% रही जबकि ग्रामीण इलाकों में मात्र 3.82% रही.
मार्च और फरवरी में थी 5% से ऊपर
इससे पहले मार्च और फरवरी में रिटेल इन्फ्लेशन दर क्रमश: 5.52% और 5.03% थी. इससे पहले जनवरी में ये 4.06% थी जो अक्टूबर 2019 के बाद सबसे निचला स्तर था. फरवरी और मार्च में रिटेल इन्फ्लेशन दर में बढ़त की एक बड़ी वजह पेट्रोल और डीजल की कीमतों का बेहताशा बढ़ना भी था.
गिरा है फूड प्राइस इंडेक्स
मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक खाने-पीने की चीजों में महंगाई दर अप्रैल में काफी तेजी से कम हुई है. अप्रैल में खाद्य मुद्रास्फीति दर 2.02% पर आ गई जो मार्च में 4.87% पर थी. इसमें भी शहरों में ये दर 3.15% और ग्रामीण इलाकों में 1.45% रही जो मार्च में क्रमश: 6.64% और 3.94% थी.
सब्जियों के दाम में भारी गिरावट
खाने-पीने की चीजों में भी देखें तो सब्जियों के दाम में भारी गिरावट अप्रैल में दर्ज की गई. इस मद में मुद्रास्फीति की दर में 14.18% की गिरावट दर्ज की गई. इसके अलावा अनाज की महंगाई दर में 2.96% और चीनी में 5.99% की गिरावट रही. वहीं दूसरी तरफ फलों के दाम में तेजी रही और इसकी महंगाई दर 9.81% रही. यह अंडे में 10.55% और मांस एवं मछली कैटेगरी में 16.68% बढ़ गई.
तेल-बिजली रुलाते रहे
अप्रैल में भले पेट्रोल-डीजल के दाम लगभग स्थिर रहे हों लेकिन फिर भी बीते साल के मुकाबले इसने आम जनता की जेब अधिक ढीली ही की. ईंधन और बिजली कैटेगरी में अप्रैल में महंगाई दर 7.91% रही. महंगाई दर से जुड़े ये सभी आंकड़े अभी अस्थाई हैं. हालांकि भारतीय जीवन बीमा निगम अपने महंगाई लक्ष्य को तय करने के लिए सीपीआई पर बेस्ड महंगाई दर पर निर्भर होता है.