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अयोध्या: कारागर में डबल लॉक में बंद रामलला का सामान, जानें- इन धरोहरों की कहानी

रामलला जन्मभूमि के विवाद के वर्षों में भक्तों की ओर से भगवान राम के लिए जितनी भी चीजें लाई गईं चूंकि उन्हें मंदिर में नहीं रखा जा सकता था, इसलिए उन सामानों को कोषागार में रखा गया. इस कोषागार में दो ताले लगाये जाते हैं, इसलिए इसे डबल लॉक कोषागार भी कहते हैं.

अयोध्या में बुधवार को होने जा रहे भूमि पूजन समारोह के साथ रामलला के जुड़े कई धरोहर सामने आ रहे हैं. कानूनी विवाद की वजह से रामलला के जुड़े कई बेशकीमती सामान कारागार में बंद थे. ये बहुमूल्य सामान राम जन्मभूमि के इतिहास का एक अहम हिस्सा है. अब इन वस्तुओं को रामलला के लिए लाया जा रहा है.

आखिर अयोध्या के जिला कारागार में स्थित कोषागार में डबल लॉक के साथ क्यों बंद है रामलला का सामान. इसकी कहानी हम आपको बताते हैं.

दरअसल रामलला के जन्मभूमि के विवाद के सालों में भक्तों की ओर से भगवान राम के लिए जितनी भी चीजें लाई गईं. चूंकि उन्हें मंदिर में नहीं रखा जा सकता था, इसलिए उन सामानों को कोषागार में रखा गया. इस कोषागार में दो ताले लगाये जाते हैं इसलिए इसे डबल लॉक कोषागार भी कहते हैं.

प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक इस कोषागार में 230 ग्राम सोना, 5 किलो चांदी और 1,531 ग्राम दूसरे बहुमूल्य धातु रखे हुए हैं.

अयोध्या के डीएम अनुज कुमार झा बताते हैं कि जैसे ही श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन हुआ, उसके रिसीवर नियुक्त हुए. उन्होंने कहा कि 5 फरवरी 2020 को ट्रस्ट के गठन के उपरांत इन सामानों को हस्तांतरण करने की प्रक्रिया शुरू हो गई. 5 फरवरी को ही विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र को इन सारी चीजों को हस्तगत कर दिया गया था.

अयोध्या कोषागार में एक शिला भी रखी गई है. इस शिला की कहानी हम आपको बताते हैं. 2002 में राम मंदिर निर्माण के अगुवा रहे रामचंद्र परमहंस राम मंदिर निर्माण के लिए इस शिला को लेकर दान करने निकले. ये शिला राम जन्मभूमि परिसर में ले जानी थी. गोधरा कांड की वजह से उस वक्त देश का माहौल गरम था. उस वक्त पीएमओ में शत्रुघ्न सिंह नाम के एक अधिकारी थे जो अयोध्या मामलों के इंचार्ज थे. वो यहां आए और उन्होंने इस शिला को अपने पास लिया. चूंकि उस वक्त राम जन्मभूमि को लेकर कोर्ट में मुकदमा चल रहा था, इसलिए इस शिला को परिसर में नहीं ले जाया जा सकता था, इसलिए इस शिला को डबल लॉक कोषागार में रखा गया. अब इस शिला समेत सारी बहुमूल्य वस्तुओं को रामलला को सौंपा जा रहा है.