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आज का दिनः अफ़ग़ानिस्तान में रह रहे भारतीयों के लिए क्या होगा तालिबान का रुख़?

‘आज का दिन’ में आज हम बात करेंगे अफगानिस्तान के हालातों पर, जहां तालिबान का कब्जा हो गया है. ऐसे में वहां रह रहे भारतीयों के प्रति तालिबान का रुख क्या होगा? चर्चा 100 लाख करोड़ वाली गति शक्ति योजना पर भी होगी.

‘आज का दिन’, जहां आप हर सुबह अपने काम की शुरुआत करते हुए सुन सकते हैं आपके काम की ख़बरें और उन पर क्विक एनालिसिस. साथ ही, सुबह के अख़बारों की सुर्ख़ियां और आज की तारीख में जो घटा, उसका हिसाब किताब. आगे लिंक भी देंगे लेकिन पहले जान लीजिए कि आज के एपिसोड में हमारे पॉडकास्टर अमन गुप्ता किन ख़बरों पर बात कर रहे हैं.

1. अफगानिस्तान में रह रहे भारतीयों का क्या होगा?

भारत के लिए रविवार का दिन ऐतिहासिक दिन था. जहाँ एक ओर हम भारतीय आज़ादी के 75 वें साल का जश्न मना रहे थे. वहीं दूसरी ओर 103 दिनों की जंग के बाद हमारे पड़ोसी देश अफगानिस्तान की आज़ादी तालिबान ने छीन ली. सभी बड़े शहरों, गांवों को अपने कब्ज़े में करते हुए आख़िरकार कल तालिबान अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पहुंच गया. इससे पहले तालिबान ने सभी बॉर्डर क्रासिंग को अपने कब्जे में ले लिया. जिसके बाद अफगानी सेना ने भी आत्मसमर्पण कर दिया.

इसके ठीक बाद अफगानिस्तान के कार्यवाहक गृह मंत्री अब्दुल सत्तार मिर्जकवाल ने कहा कि काबुल पर किसी तरह का हमला करने की ज़रुरत नहीं है. सत्ता परिवर्तन शांतिपूर्वक ढंग से होगा. लेकिन लोग जल्द- से- जल्द काबुल छोड़ना चाहते थे. जिसके कारण सड़कों पर जाम लग गया. काबुल एयरपोर्ट पर भी अफरा तफरी और भगदड़ का माहौल बन गया. वहीं अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी और उपराष्ट्रपति अमीरुल्लाह सालेह ने देश छोड़ दिया है.

उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है. अशरफ गनी ने सोशल मीडिया पर एक बयान में कहा- ‘आज मेरे सामने एक कठिन चुनाव आया कि या तो मुझे हथियारों से लैस तालिबान का सामना करना चाहिए जो महल में घुसना चाहता था या फिर अपने प्यारे मुल्क जिसकी बीते 20 सालों में सुरक्षा के लिए मैंने अपनी ज़िंदगी खपा दी उसे छोड़ दूं.’

उन्होंने कहा कि अगर इस दौरान अनगिनत लोग मारे जाते और हमें काबुल शहर की तबाही देखनी पड़ती तो उस 60 लाख आबादी के शहर में बड़ी मानवीय त्रासदी हो जाती. खून की नदियां बहने से बचाने के लिए मैंने सोचा कि देश से बाहर जाना ही ठीक है. तालिबान ने तलवार और बंदूकों के दम पर जीत हासिल की है और अब तालिबान देशवासियों के सम्मान, धन और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए जिम्मेदार है. मगर वो दिलों को जीत नहीं सकते हैं. इतिहास में कभी भी किसी को सिर्फ़ ताक़त से ये हक़ नहीं मिला है और न ही मिलेगा. अब उन्हें एक ऐतिहासिक परीक्षा का सामना करना है, या तो वो अफ़ग़ानिस्तान का नाम और इज़्ज़त बचाएंगे या दूसरे इलाक़े और नेटवर्क्स.”

गनी ने आगे बयान में कहा कि तालिबान के लिए आवश्यक है कि वह अफगानिस्तान के सभी लोगों, राष्ट्रों, विभिन्न क्षेत्रों, बहनों और महिलाओं को वैधता और लोगों का दिल जीतने का आश्वासन दे। और वह जनता के साथ मिलकर एक स्पष्ट योजना बनाएं. साथ ही कहा कि मैं हमेशा अपने देश की सेवा करता रहूंगा.’

तो अशरफ़ ग़नी कहां गए हैं अभी कुछ स्पष्ट नहीं है. अभी चल रहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में उनके ताजिकिस्तान जाने की ख़बरें चल रहीं हैं. ख़ैर अब पूरे अफ़ग़ानिस्तान पर एक बार फिर तालिबान का राज है. और यहां नई अंतरिम सरकार का गठन होना है जिसके प्रमुख के रूप में अली अहमद जलाली का नाम सबसे आगे चल रहा है तो आख़िर कौन है ये अली अहमद जलाली और इनका प्रोफाइल क्या है? अमेरिका और बाकी देश अपने नागरिकों को वहां से जल्द से जल्द निकालने का प्रयास कर रहे हैं. ऐसे में भारत अपने डिप्लोमैट्स और नागरिकों को वहां से निकालने के लिए क्या कर रहा है? और भारत हमेशा से तालिबान के साथ कड़ा रुख अपनाता रहा है. तो क्या तालिबान अब भारतीय नागरिकों को अपने निशाने पर ले सकता है?

2. गति शक्ति योजना का क्रियान्वयन कितना आसान?

रविवार को भारत की आज़ादी के 74 साल पूरे होने के मौके पर प्रधानमंत्री ने लालकिले के प्राचीर से देशवासियों को सम्बोधित किया, 88 मिनट के सम्बोधन में पीएम मोदी ने किसानों, युवाओं, दलित, ओबीसी आदि के बारे में बात की. इसके साथ-साथ उन्होंने आत्मनिर्भर भारत, अमृत उत्सव संकल्प का भी जिक्र किया. इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि जल्द ही देश में ‘प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना’ की शुरुआत की जाएगी, जो कि 100 लाख करोड़ रुपये से अधिक की योजना होगी.

सरकार का कहना है कि ये लाखों युवाओं के लिए योजगार के अवसर लाएगी. पीएम मोदी ने कहा कि इस योजना से आम जनता के लिए यात्रा के समय में कमी आएगी और उद्योगों की गति भी बढ़ेगी, साथ ही लोकल मैन्युफैक्चरर को ग्लोबल स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया जायेगा, ये तो प्रधानमंत्री के ऐलान थे लेकिन इसके अलावा उन्होंने कुछ ऐसे नारों का इस्तेमाल इस भी किया, जिसने सुर्खी बटोरी, सबका साथ, सबका विकास में, सबका प्रयास भी जोड़ दिया, ‘परिश्रम और पराक्रम’ की बात कही, साथ ही, ‘छोटा किसान बनेगा देश की शान’, इस लक्ष्य के साथ आगे बढ़ने की बात कही.

हालाँकि, विपक्ष प्रधानमंत्री के सम्बोधन से तनिक भी उत्साहित नहीं दिखा, उन्होंने भरसक भाषण और ऐलान को आलोचना की, कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने नारे में पीएम मोदी के नारे में बकवास जोड़ दिया, उन्होंने कहा कि सबका साथ, सबका विकास और इनका बकवास. ख़ैर ऐसे में इस पूरे भाषण और उस पर विपक्ष की प्रतिक्रिया का लबोलुआब क्या है? और ‘गति शक्ति योजना’ के लिए इतनी बड़ी राशि, कोविड के बाद जब समूची अर्थव्यवस्था फाइनेंशियल क्रंच से गुज़र रही है, इतना पैसा एलॉट करना और फिर उसका इम्प्लीमेंटेशन क्या आसान नज़र आता है?

3. मिर्जापुर के इस गांव में बाढ़ से कैसे हैं हालात?

उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने 6 अगस्त को आज तक के कार्यक्रम “पंचायत आजतक” में दावा किया था कि उत्तर प्रदेश में अभी बाढ़ का असर दिखाई नहीं दे रहा है और हालात सामान्य हैं. लेकिन इसके उलट उत्तर प्रदेश के कई जिलों से आई रिपोर्ट जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह के दावों की पोल खोल रही है.चाहे वह बुंदेलखंड का हमीरपुर हो या संगम नगरी प्रयागराज, या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी हो, मिर्जापुर हो,बाराबंकी हो या सीतापुर और फर्रुखाबाद.हर तरफ नदिया उफान पर हैं.

बाढ़ की वजह से सैकड़ों गांव प्रभावित हुए हैं. मिर्ज़ापुर में भी गंगा ख़तरे के निशान के क़रीब पहुंच गयी है. जिले के सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित दो तहसील क्षेत्र है.जिसमे सदर तहसील और चुनार तहसील के आधा दर्जन ग़ांव प्रभावित है. बाढ़ और जल भराव के कारण बाद गांवो में लोगों का रहना दूभर होता जा रहा है. मिर्ज़ापुर के एक ऐसे ही बाढ़ प्रभावित गांव मल्लेपुर से ग्राउंड रिपोर्ट.