तालिबान की धमकी से इतर अमेरिका खुद ही इस दिन पूरी तरह से अफगानिस्तान छोड़ने का मन बना चुका है. कई नाटो देश भी ऐसा ही करने जा रहे हैं, ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा हो रहा है कि इनके बाद काबुल एयरपोर्ट का कंट्रोल किसके पास रहेगा.
अफगानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट से हजारों लोगों का निकलना जारी है, लेकिन इस सबके बीच 31 अगस्त से अमेरिकी सेना ने अपनी वापसी पक्की कर ली है. तालिबान की धमकी से इतर अमेरिका खुद ही इस दिन पूरी तरह से अफगानिस्तान छोड़ने का मन बना चुका है. कई नाटो देश भी ऐसा ही करने जा रहे हैं, ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा हो रहा है कि इनके बाद काबुल एयरपोर्ट का कंट्रोल किसके पास रहेगा.
‘तालिबान-अमेरिका-तुर्की में एयरपोर्ट को लेकर घमासान
अमेरिका और नाटो देश 31 अगस्त को अपना बोरिया-बिस्तर बांधने के लिए तैयार हैं. इसके बाद रेस्क्यू ऑपरेशन कैसे चलेगा, ये भी साफ नहीं है. लेकिन अमेरिका ने संकेत दिए हैं कि तालिबान की ओर से उन्हें भरोसा दिया गया है कि काबुल एयरपोर्ट का संचालन अब उनके हाथ में ही रहेगा. हमारी और मित्र देशों की यही कोशिश है कि 31 अगस्त से पहले जो लोग देश छोड़ना चाहते हैं, छोड़ दें. \
अब एक तरफ तालिबान पूरी तरह से काबुल एयरपोर्ट को अपने कंट्रोल में लेने के लिए तैयार है. तो दूसरी ओर तुर्की ने अपना एक दावा ठोक दिया है. तुर्की का कहना है कि हम 2002 से ही यहां पर अफगान लोगों की मदद के लिए जुटे हुए हैं, अगर अमेरिकी और नाटो देशों के फोर्स जा रही हैं, तो उसके बाद भी हम यहां पर मदद के लिए तैयार हैं.
तुर्की सेना ने काबुल एयरपोर्ट को अपने कंट्रोल में लेने की बात कही है, ताकि 31 अगस्त के बाद भी जो लोग छोड़कर जाना चाहें उन्हें कोई दिक्कत ना आए.
गौरतलब है कि 14 अगस्त के दिन तालिबान के कब्जे के बाद काबुल एयरपोर्ट से हजारों लोग हर रोज बाहर निकल रहे हैं. करीब 25 से 30 हजार लोगों को हर रोज विदेश भेजा जा रहा है, इनमें से अधिकतर अमेरिकी सेना ले जा रही है. ऐसे में अफगानिस्तान से निकलने का लोगों के लिए एक यही सेफ पेसेज़ था. लेकिन अब जब अमेरिकी-नाटो सेनाएं चली जाएंगी, तब बड़ा संकट पैदा होने वाला है. \
क्या 31 अगस्त के बाद रुकेगी अमेरिकी सेना?
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपनी सेना को 31 अगस्त तक निकालने की बात कही है, लेकिन इसके बाद भी अमेरिका अपने पैर यहां पर जमाए रह सकता है. अफगानिस्तान में अमेरिका के एम्बेस्डर रॉस विल्सन का कहना है कि 31 अगस्त के बाद भी अमेरिका का अफगानिस्तान में रोल रहेगा. हमारी तालिबान के साथ बात चल रही है, जिसमें सभी बातें क्लियर हो जाएंगी. लेकिन 31 अगस्त के बाद भी हम अमेरिकी लोगों को निकालने और यहां के लोगों को मदद करने के लिए उपलब्ध रहेंगे.