मध्य प्रदेश

तीन किलोमीटर दूर गड्ढों और पोखरों से पानी लाने को मजबूर आदिवासी, अब तक नहीं मिला नल जल योजना का लाभ

केंद्र सरकार और मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार भले ही आदिवासियों के विकास के लाख दावे करे, लेकिन हकीकत इसके ठीक उलट है।  मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाके बड़वानी में आदिवासी समाज के लोग पीने के पानी तक को तरस रहे हैं। हालात तो यह हैं कि यहां पर ना तो सड़कें हैं, ना तो बिजली। जबकि बड़वानी से विधायक और मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री प्रेमसिंह पटेल आदिवासी समाज से ही आते हैं। इतना ही नहीं यहां बड़वानी के सांसद और राज्यसभा सांसद भी आदिवासी समाज से ही आते हैं। फिर भी आदिवासियों के उत्थान के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाये गए हैं।

बड़वानी के विकास खंड पाटी के ग्राम मोरानी में हालात यह हैं कि ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए दो से तीन किलोमीटर दूर पहाड़ों में गड्ढों और पोखरों का सहारा लेना पड़ता है। ग्रामीणों ने अपनी समस्या को जनप्रतिनिधियों सहित प्रशासन के सामने भी रखा है। केंद्र सरकार भी नल जल योजना के तहत हर घर पानी पहुंचाने का दावा कर रही है। लेकिन यहां प्रशासन यह कहकर पल्ला झाड़ लेता है कि नल जल योजना की डीपीआर बनाकर स्वीकृति के लिए भोपाल भेजी है। जब वहां से स्वीकृति होकर आएगी, तब काम शुरू करवाया जायेगा।

Barwani: Tribals forced to bring water from pits and puddles three kilometers away
केंद्र सरकार और राज्य की बीजेपी सरकार आदिवासियों के उत्थान और उनके विकास का दावा करती है। लेकिन मध्यप्रदेश का बड़वानी जिला जहां से एक नहीं बल्कि तीन आदिवासी जनप्रतिनिधि हैं इनमें से एक भाजपा सरकार में मंत्री और एक भाजपा सरकार में सांसद और एक राज्यसभा सांसद हैं। इसके बाद भी आदिवासी क्षेत्र बड़वानी के हाल बेहाल हैं। बड़वानी के विकासखंड पाटी की गारा ग्राम पंचायत के सुदूर ग्राम मोरानी के ग्राम वासी आज भी पीने के पानी के लिए दर दर भटक रहे हैं। हालात यह हैं कि उन्हें पीने के पानी की तलाश में दो से तीन किलोमीटर तक पैदल चलकर गड्ढों और पोखरों में जाना पड़ता है। वहां से ये लोग अपने सिर पर या मवेशियों पर पानी के बर्तन लादकर पानी लाते हैं। जबकि केंद्र सरकार हर घर नल जल योजना चला रही है।
Barwani: Tribals forced to bring water from pits and puddles three kilometers away
ग्राम मोरानी के निवासी जामसिंह ने बताया कि हमें पानी लेने के लिए पहाड़ों पर खड्डों में जाना पड़ता है। दो से तीन किलोमीटर तक पैदल जाकर हम पानी लाते हैं जिससे ना सिर्फ समय बर्बाद होता है बल्कि अन्य कामों का भी नुकसान होता है। यह समस्या कई सालों से बनी हुई है। जनप्रतिनिधियों को भी हमने इस बारे में शिकायत की थी, उन्होंने आश्वासन भी दिया था, लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है। जाम सिंह ने कहा कि पीने के लिए ही पानी नहीं मिलता तो खेती के लिए कहां से लाएंगे। इधर सहायक यंत्री ने बताया कि क्षेत्र में पानी की समस्या को देखते हुए जल जीवन मिशन के अंतर्गत योजना बनाकर भोपाल भेजी गयी है। जो अभी लंबित है। जैसे ही स्वीकृति आ जाएगी तो काम शुरू हो जायेगा। सहायक यंत्री ने कहा कि मोरानी इलाके में लगभग 250 परिवार रहते हैं। यहां पर विभाग की तरफ से हैंडपंप लगाए गए हैं।