दिल्ली हाईकोर्ट ने एक डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म द्वारा इंडिया टुडे पर लगाए गए आरोपों वाले ट्वीट को हटाने का निर्देश दिया है. अदालत ने इन सभी ट्वीट को अपमानजनक और गुमराह करने वाला माना है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म The Cognate को अपने कुछ ट्वीट हटाने के निर्देश दिए हैं. इन ट्वीट में दावा किया गया था कि इंडिया टुडे ने कोरोना महामारी की रिपोर्टिंग के दौरान दो तरह की नीति अपनाई और इस्लामिक कम्युनिटी के खिलाफ अलग रुख दिखाया.
The Cognate द्वारा अपने ट्विटर हैंडल पर एक इन्फोग्राफिक जारी किया गया, जिसमें इंडिया टुडे पर कोरोना महामारी के दौरान एकतरफा रिपोर्टिंग करने का आरोप लगाया गया, साथ ही एक समुदाय के प्रति अपमानजनक रिपोर्टिंग करने की बात की गई. दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव नरूला ने इस मामले को सुनते हुए कहा कि इंडिया टुडे की कोरोना महामारी के दौरान की गई रिपोर्टिंग से जुड़े कुछ तथ्य सामने रखे जाने जरूरी हैं.
एक अप्रैल, 2021 को उत्तराखंड के हरिद्वार में ‘कुंभ मेला’ शुरू हुआ, जिसे इंडिया टुडे समेत देश के अन्य बड़े चैनलों ने कवर किया. एक अप्रैल से 14 अप्रैल के बीच इंडिया टुडे ने कई ऐसी स्टोरी की, जिसमें कुंभ मेले में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के उल्लंघन की बात की गई. 14 अप्रैल, 2021 को इंडिया टुडे ने दो ट्वीट किए, पहले ट्वीट में कुंभ मेले में कोविड प्रोटोकॉल के नियमों के उल्लंघन की बात की गई और दूसरे ट्वीट में शाही स्नान में लाखों लोगों के डुबकी लगाने की बात की गई.
इस बीच 13 अप्रैल, 2021 को भारत में रमजान की शुरुआत हुई. इस दौरान इंडिया टुडे ने हैदराबाद की मक्का मस्जिद को कवर किया, जहां कोविड नियमों का उल्लंघन हुआ. जिसका जिक्र 14 अप्रैल को एक ट्वीट में भी किया गया. इन तीन ट्वीट में से The Cognate ने सिर्फ दूसरे और तीसरे ट्वीट को चुना और इंडिया टुडे पर आरोप लगा दिए.
The Cognate की ओर से पेश वकील ने इन्फोग्राफिक का बचाव किया और कहा कि उसमें कुछ भी गलत नहीं है. वकील ने दावा किया कि इंडिया टुडे के कंस्लटिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई ने इंडिया टुडे की गलती को स्वीकारा और बाद में ट्वीट किया कि हम सभी गलती करते हैं.
सभी तथ्यों को देखने के बाद अदालत ने कहा, ‘फ्रीडम ऑफ स्पीच और एक्सप्रेशन का हक कुछ सीमाओं के साथ मिलता है, जिसका जिक्र संविधान में भी है. फ्रीडम ऑफ स्पीच आपको कुछ भी अपमानजनक कहने की सहूलियत नहीं देता है’.
बेंच ने इस बात को माना कि इन्फोग्राफिक सिर्फ दो ट्वीट की तुलना करता है, जबकि अन्य रिपोर्ट की तुलना नहीं करता है. कोर्ट की ओर से कुंभ मेले पर दिखाई गई रिपोर्ट की ट्रांसक्रिप्ट्स को परखा गया, जिसके बाद अदालत ने कहा कि रिपोर्ट में सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के उल्लंघन की बात की गई है. जिसको इन्फोग्राफिक को पोस्ट करने से पहले पूरी तरह नकारा गया.
जस्टिस नरूला ने अपने आदेश में कहा, ‘’अगर कुंभ मेले और रमजान को लेकर दिखाई गई रिपोर्ट की हेडलाइन और कंटेंट की तुलना करें, तो इसमें कोई अलग अप्रोच नहीं दिखती है. दोनों ही हेडलाइन में एक जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है. इतना ही नहीं, रमजान को लेकर दिखाई गई रिपोर्ट में कुंभ मेले का जिक्र किया गया है और कहा गया कि मक्का मस्जिद में जुटी भीड़ कुंभ मेले से अलग नहीं है.’’
वहीं, The Cognate द्वारा राजदीप सरदेसाई के 17 अप्रैल को किए जिस ट्वीट का जिक्र किया गया, उसे अदालत ने तथ्यों से छेड़छाड़ करार दिया है. अदालत ने कहा कि राजदीप सरदेसाई ने अपने ट्वीट में सभी धार्मिक त्योहारों में कोविड प्रोटोकॉल के उल्लंघन का जिक्र किया, उसमें उन्होंने ‘हम सब गलती करते हैं’, की बात कही. ये एक सामान्य बयान है, ना कि इंडिया टुडे पर लगाए गए आरोपों पर दिया गया बयान है.
अदालत ने इन्फोग्राफिक को गलत, गुमराह करने वाला और अपमानजनक माना. साथ ही कहा कि ग्राफिक में दो गलत ट्वीट की तुलना की गई है, फिर इंडिया टुडे पर पक्षकार होने का आरोप लगाया गया है. अदालत ने इन्फोग्राफिक को गलत, गुमराह करने वाला और अपमानजनक माना. साथ ही कहा कि ग्राफिक में दो गलत ट्वीट की तुलना की गई है.
अदालत ने कहा, ‘ये आरोप कि एक न्यूज चैनल, रिपोर्टिंग के दौरान दो समुदायों के प्रति अलग तरह की अप्रोच रखता है. इस तरह का आरोप किसी न्यूज चैनल के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है, जिससे उम्मीद की जाती है कि वह निष्पक्ष रहे’.
अदालत ने इसी के साथ The Cognate को अपने सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से इस इन्फोग्राफिक या संबंधित पोस्ट को एक हफ्ते में हटाने का निर्देश दिया है.