बड़वानी जिले में मूसलाधार बारिश से नर्मदा नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया है। इसके चलते नर्मदा किनारे के बसे कईं गांवों में पानी घुसने लगा है। एहतियात के तौर पर प्रशासन की टीमें कई गांवों में लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने में लगी है। घरों में पानी घुसने से लोगों को मकानों को काफी नुकसान पहुंचा है।
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बड़वानी में खतरे से 19 मीटर ऊपर बह रही नर्मदा
यह गांव सरदार सरोवर बांध के डूब क्षेत्र में आते है। बड़वानी जिले में नर्मदा नदी का जलस्तर 142.360 मीटर के पार हो गया है। नर्मदा खतरे के निशान से 19 मीटर ऊपर बह रही है। सरदार सरोवर बांध के 23 गेट खोले जा चुके है। इससे 18 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। लगातार हो रही बारिश से जिले में हालात बिगड़ सकते हैं।
इन गांवों के लोग सबसे अधिक परेशान
आसपास के कुछ इलाकों को प्रशासन की टीमें खाली कराने में जुट गई है। वहीं कसरावद, पिछोड़ी, जागरवा, अवलदा, भवति गांवों में प्रशासन की टीमें नहीं पहुंची है। लोग खुद ही अपने मकान खाली कर रहे हैं। प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई मदद नहीं मिली है।
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नर्मदा बचाओ आंदोलन ग्रामीणों के साथ, बोले- 65 गांवों में घुसा पानी
नर्मदा बचाओ आंदोलन (NBA) के राहुल यादव ने बताया कि टोटल 65 गांवों में पानी घुसा है। डूब से प्रभावित हो रहे लोग अपने मवेशियों और खाना का सामान लेकर खुद ही गांवों को खाली कर रहे हैं। जिला प्रशासन की टीमें कुछ गांवों में पहुंची है। लोगों को सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। नर्मदा खतरे के निशान से करीब 19 मीटर ऊपर बह रही है। इससे तटीय गांवों में डूब का खतरा फिर से मंडराने लगा है।
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ग्रामीण बोले- हमारी मदद कोई नहीं कर रहा
गांव के लोगों का कहना है कि न मुआवजा मिला, न प्लाट। जाए तो जाए कहां। वहीं नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर का कहना है कि सरकार और प्रशासन ने जिन गांवों को डूब से बाहर बताया था। वही गांव अब डूबने लगे है।
मेधा पाटकर ने कहा कि अगर लोगों को बसा नहीं सकते, उनकी तकलीफें दूर नहीं कर सकते तो ऐसे बांध बनाने से क्या मतलब है ? उन्होंने कहा कि कई लोग ऐसे हैं, जिनके मकान डूब में चले गए हैं। लेकिन सरकार की नजर में वो डूब से बाहर है। कल किसान की दो भैंसें मर गई। कोई देखने वाला नहीं है। जिन्हें 4 प्लाट देना था, उन्हें एक प्लॉट नहीं दिया।
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