लॉस एंजिलिस। नासा ने शनिवार को एक अति आधुनिक लेजर सेटेलाइट शनिवार को अंतरिक्ष में भेजा। यह धरती पर बर्फ में आई कमी के साथ ही समुद्र तल में हुई वृद्धि पर समय-समय पर अपनी रिपोर्ट भेजेगा। इसी काम के लिए 2003 में ‘आइससेट’ सेटेलाइट छोड़ा गया था जिसका अभियान 2009 में समाप्त हुआ था।
आइससेट ने समुद्री बर्फ की परत के बहुत पतला होने और ग्रीनलैंड के तटीय इलाकों और अंटार्कटिका के ऊपर से बर्फ की परत पूरी तरह हटने की जानकारी दी थी। आइससेट-2 नामक यह सेटेलाइट आधा टन वजनी है। इसे शनिवार सुबह 6.02 मिनट पर कैलिफोर्निया स्थित वांडेनबर्ग एयरफोर्स बेस पर डेल्टा-2 रॉकेट से छोड़ा गया।
Flying free! We have spacecraft separation from the @ULALaunch #DeltaII rocket. Watch as @NASA_ICE’s #ICESat2 finishes its journey to orbit around the Earth as we embark on a mission to use lasers to measure the changing height of Earth's ice. Watch: https://t.co/MIVnfneKo2 pic.twitter.com/nG8yARyUec
— NASA (@NASA) September 15, 2018
इसके निर्माण पर एक अरब डालर खर्च हुए हैं। एक दशक में यह पहली बार है जब नासा के पास अंतरिक्ष में एक ऐसा उपकरण होगा, जिससे दुनिया भर में बर्फ की परत की ऊंचाई मापी जा सकेगी। बता दें कि पहले और दूसरे अभियानों के इन नौ वर्षों के बीच आइसब्रिज नाम के एक एयरक्राफ्ट मिशन के द्वारा आर्टिक और अंटार्कटिक के ऊपर बर्फ की परतों की ऊंचाई मापी गई थी।
https://twitter.com/NASA/status/1040959131312640001
आइससेट-2 नामक यह सेटेलाइट एक सेकेंड में 10,000 बार लेजर छोड़ेगा। यह सिर्फ एक क्षेत्र को ही कवर नहीं करेगा बल्कि यह बर्फ की ऊंचाई और ढाल की भी नाप लेगा। जबकि इसका पूर्ववर्ती सेटेलाइट सिर्फ एक सेकेंड में 40 बार लेजर छोड़ता था। नासा ने अपने बयान में बताया कि सेटेलाइट ग्रीनलैंड और अंटार्कटिक में वार्षिक तौर पर 0.4 मिमी की चौड़ाई के आकार वाली बर्फ की परत की ऊंचाई में हुए बदलाव की भी जानकारी एकत्र करेगा।