उज्जैनदेवासभोपालमध्य प्रदेश

निगम परिषद की बैठक हंगामे से हुई शुरू, निगम की देनदारी को लेकर हुई तीखी बहस अगली बैठक 24 अक्टूबर को होगी


देवास। नगर निगम में परिषद की बैठक लगभग हर तीन माह में होना होती है, लेकिन यहां पर बैठक तीन माह में नहीं हुई। जिसके कारण पिछले दिनों निगम सत्ता पक्ष नेता ने एक पत्र निगम अध्यक्ष व महापौर को बैठक कराने के लिए दिया था। उसके बाद अब बैठक बुधवार को आयोजित की गई, जहां बड़ी बहस के चलते बैठक प्रारंभ हुई। निगम अध्यक्ष का माइक बिगड़ गया जिसके कारण निगम अध्यक्ष को इतना गुस्सा आया की उन्होनेंं बैठक के बीच माइक ही फैंक दिया। कहा जाए तो निगम परिषद बैठक पहले भी विवादों में घिरी रहती थी, और अब सत्ता परिवर्तन के बाद फिर से विवादों के बीच ही बैठक शुरू हुई। वहीं इस बैठक में कई शहरी विकास मामलों को लेकर चर्चा होनी थी। लेकिन बहस के बीच काफी देर तक विकास की बात पार्षदों ने कही। इसी के तहत कांग्रेस पार्षद दल ने विरोध जताया, आलोट पायेगा स्कूल के मार्केट की छत पर आरसीसी की छत वहां के किराएदारों ने डाल दी उसके लेकर भी काफी गहमा-गहमी हुई। पूरी बैठक में लगभग सभी मामलों को लेकर जहां पार्षदों ने मौजूदा अधिकारीयों से सवालों के जवाब मांगे तो अधिकारी एक दूसरे पर सवालों के जवाब को लेकर चर्चा करते देखे गए। इन्हीं विवादों के बाद अब अगली बैठक 24 को होगी।
अरसे के बाद नगर निगम परिषद की बैठक बुधवार को हुई जहां पूरी बैठक में विवादों के बीच ही चर्चा चलती रही। बुधवार को हुई बैठक की शुरुआत हंगामेदार रही है। बैठक के प्रारंभ में ही पार्षद राज वर्मा ने गंदे पानी की समस्या उठाई। उसके बाद निगम अध्यक्ष अंसार एहमद का माइक खराब हो गया। जिसको लेकर निगम अध्यक्ष इतना गुस्सा आया की उन्होनें निगम अधिकारीयों की कार्यप्रणाली पर गुस्सा निकालते हुए माइक बैठक कक्ष में फैंक दिया। कहा जाए तो इससे पहले भी जब बैठक हुई थी तो विवादों के बीच ही हुई थी। इसके बाद बैठक स्थगित कर दी गई, जो काफी देर बाद फिर शुरू हुई। बैठक में निगम की बकाया देनदारी को लेकर लंबी बहस हुई। कई पार्षदों के सवालों का अधिकारी जवाब तक नहीं दे पाए। खास बात यह है कि पहले निगम पर एक अरब 80 करोड़ की देनदारी बताई गई थी और इस बैठक में देनदारी मात्र 72 करोड़ बताई गई। इस बड़े अंतर को लेकर काफी देर तक बहस चलती रही। वहीं कुछ पार्षदों ने शहर कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी को सिर्फ 2 दिन में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी देने का मामला भी उठाया। पार्षदों का आरोप है कि जब वे जानकारी मांगते हैं तो महीने भर तक जानकारी नहीं दी जाती। पार्षद राज वर्मा नल से आया गंदा पानी लेकर सीधे अध्यक्ष के पास पहुंचे और बैठक शुरू होने के पहले इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की। इसके बाद पानी की बोतल महापौर को देते हुए रोष प्रकट किया। इस बात पर कुछ देर गहमागहमी रही। अध्यक्ष की समझाइश और इस विषय पर बाद में चर्चा के आश्वासन पर वर्मा अपनी सीट पर बैठे। बाद में एजेंडे के अनुसार बैठक शुरू हुई। वहीं हमेशा विवादों में घिरे रहे कार्यपालन यंत्री कैलाश चौधरी को पार्षदों ने घेरा पार्षदों का आरोप है की वह उनके वार्डों में कार्य कराने को लेकर पार्षदों के मुताबिक कार्य नहीं कराते हैं वहीं चौधरी की मनमर्जी के अनुसार ही निगम में कार्य किए जा रहे हैं। पिछली बैठक में भी उन्हें यहां से हटाने की बात कही गई थी। वहीं बुधवार को फिर वह बैठक के दौरान मौजूद रहे जिस पर पार्षदों ने फिर उन्हें जमकर घेरा। वहीं निगम सत्ता पक्ष नेता मनीष सेन ने अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा की आप लोग गलतफहमी में न रहे दिसंबर के पहले एक और बैठक होगी और हम पुन: चुनकर आऐंगे।
सांठ-गांठ से कार्य हो रहे
वहीं पार्षद दिलीप बांगर ने अपनी और से चर्चा करते हुए कहा की निगम केे अधिकारी अवैध रूप से निर्माण करने वालों के साथ सांठ-गांठ कर कार्य कर रहे है, क्योंकि अवैध निर्माण कर्ताओं को सिर्फ नोटिस देकर आंतरिक सेटिंग कर अवैध रूप से वसूली कर रहे हैं। पिछले दिनों अवैध निर्माण कर्ताओं को नाटिस जारी कर सिर्फ गुप्ता की मल्टी तोड़ी बाकी सभी को ऐसे ही छोड़ दिया गया। वहीं बांगर के जवाब में निगम अध्यक्ष असंार एहमद ने कहा की निगम अधिकारीयों की कार्यप्रणाली से सिर्फ निजी स्वार्थ झलकता है, इन्हें आम लोगों की समस्या से कोई लेना देना नहीं है। वहीं पार्षद बांगर ने निगम अधिकारीयों पर आरोप लगाते हुए कहा की अधिकारी वर्ग कहते हैं की परिषद की बैठक में 45 पार्षदों का हाट भरते हैं।
स्थगित हुई थी बैठक
जब निगम अध्यक्ष अंसार एहमद का माइक खराब हो गया था, तब काफी देर तक गहमा-गहमी हुई जिसको लेकर लगभग 30 मिनिट के लिए बैठक स्थगित कर दी गई। वहीं ऐसे में काफी देर बाद भी जब माइक ठीक हो पाया उसके बाद बैठक पुन: आरंभ हुई जब भी बहस के साथ ही शुरूआत की गई।