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फर्जी लिंक भेज और व्हॉट्सएप कॉलिंग कर बैंक खातों से निकाली रकम

इंदौर। उत्तर प्रदेश और दिल्ली की गैंग ने इंदौर और आसपास के जिलों के फेसबुक और व्हॉट्सएप यूजर्स को निशाना बनाकर ठगी की। फर्जी लिंक भेजकर और व्हॉट्सएप कॉलिंग कर बैंक खातों से मनचाही रकम निकाल ली। वहीं बदनाम करने का बोलकर ब्लैकमेल किया। ठगी के शिकार इंदौर के 22, भोपाल और उज्जैन के 6 लोगों ने सायबर सेल में शिकायत दर्ज कराई है।

सायबर सेल अधिकारियों के मुताबिक शाइन डॉट कॉम के जरिये ठगी करने वाले 5 पैसे प्रति व्यक्ति के हिसाब से डेटा खरीद लेते हैं। फिर फेसबुक यूजर्स को बड़ी कंपनी में नौकरी दिलाने के नाम पर एक फिशिंग (फर्जी ) लिंक भेज कर संपर्क करते हैं। यूजर को लिंक के जरिये जानकारी अपलोड करने के लिए कहते हैं।

इसके जरिये डेबिट-क्रेडिट कार्ड नंबर, सीवीवी नंबर और ओटीपी की जानकारी हासिल कर लेते हैं। रजिस्ट्रेशन के नाम पर 10 रुपए जमा करने का कहते हैं। कार्ड की जानकारी मिलते ही खाते से मनचाही रकम निकाल लेते हैं। सायबर सेल के अधिकारियों को पता चला है कि इस तरह की वारदातें कानपुर और दिल्ली से हो रही हैं।

एसपी सायबर सेल जितेंद्र सिंह के मुताबिक गैंग ने दोनों शहरों में दो हजार से ज्यादा कॉल सेंटर खोल रखे हैं। इन कॉल सेंटर में काम करने वाले दस हजार रुपए प्रति कुर्सी के हिसाब से एक दिन की राशि देते हैं। खास बात यह है कि गैंग चलाने वाले बदमाश ठगी करने के लिए वेबसाइट और आईपी एड्रेस बदलते रहते हैं। गैंग को पकड़ने के लिए टीम दोनों शहरों में पहुंची है।

सायबर पुलिस के अनुसार जिनके मोबाइल में वाट्सएप है, गैंग उन्हें व्हॉट्सएप कॉल कर इनाम खुलने का झांसा दिया जाता है। उनसे एक वेरिफिकेशन कोड मांगा जाता है। ठगोरों की बातों में आकर लोग मोबाइल पर आया वेरिफिकेशन कोड उन्हें बता देते हैं।

असल में ये वेरिफिकेशन कोड नहीं होता है, बल्कि खुद के ही व्‍हाट्सएप अकाउंट का ओटीपी होता है, जिसके जरिये बदमाश अपने सिस्टम पर उस व्‍हाट्सएप को चालू कर लेते हैं और असल व्यक्ति का व्‍हाट्सएप बंद हो जाता है। इस तरह की ठगी के शिकार चार व्यक्तियों ने सेल पर शिकायत की है।

फिशिंग लिंक के जरिये फेसबुक की हैकिंग

गैंग ऐसे लोगों की सूची बनाती है, जो फेसबुक का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं। बदमाश उन्हें फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजते हैं। इस दौरान फेसबुक यूजर की रुचि पता कर ली जाती है। फिर उसे रुचि के विषय के नाम से एक लिंक भेजी जाती है। जैसे ही यूजर लिंक खोलता है, उसका फेसबुक अकाउंट बंद हो जाता है।

सिस्टम उसका ईमेल आईडी और पासवर्ड मांगता है। जैसे ही यूजर जानकारी डालता है, वैसे ही उसका फेसबुक अकाउंट ठग के सिस्टम पर शुरू हो जाता है। असल में ठग द्वारा भेजी गई लिंक फिशिंग लिंक होती है। वे लड़कियों को धमकाते हैं कि इस लिंक में कुछ अश्लील फोटो हैं। देख लो कहीं ये तुम्हारे तो नहीं हैं। डरकर लड़कियां लिंक ओपन कर लेती हैं। पुलिस के मुताबिक ठगी का शिकार छह युवतियों ने शिकायत की है।

ठगी के बचने के लिए इन बातों का ध्यान रखें

– अफसरों के मुताबिक अपना वेरिफिकेशन कोड किसी को न बताएं।

– अनजान लिंक को ओपन न करें।

– यदि शंका हो कि कोई आपको फंसा रहा है तो तत्काल पुलिस से संपर्क करें।

– व्हॉट्सएप यूजर सेटिंग में जाकर अकाउंट के भीतर टू स्टेप वेरिफिकेशन कोड डाल सकते हैं। ऐसा करने से अन्य व्यक्त अकाउंट नहीं खोल पाएगा।

– यूजर फेसबुक अकाउंट को लेकर अपनी सिक्युरिटी इन्फो याद रखें। उसे अपना अकाउंट दोबारा खोल सकेंगे।

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