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बंगाल समेत कई राज्यों में वैक्सीन शॉर्टेज पर घिरी सरकार, अभियान तेज करने के लिए बनाया ये प्लान

भारत में इस साल जनवरी से वैक्सीनेशन शुरू हुआ है. ऐसे में पूरे 2021 की बात करें तो भारत बायोटेक द्वारा दिसंबर तक 28.515 करोड़ वैक्सीन की डोज के उत्पादन करने का अनुमान है. वहीं, सीरम द्वारा 173.4 करोड़ वैक्सीन डोज का उत्पादन होगा. 2021 के अंत तक भारत को 201.916 करोड़ डोज मिलने की उम्मीद है.

भारत सरकार ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका और कई राज्यों में वैक्सीन की कमी की खबरों के बीच वैक्सीन उत्पादन और वितरण का नया लक्ष्य रखा है. सूत्रों के मुताबिक, पीएमओ द्वारा इस लक्ष्य को सांसदों को भी भेजा गया है.

सरकार द्वारा दिसंबर तक जारी किए गए नए लक्ष्य में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन (COVAXIN) और सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड (COVISHEILD) का ही जिक्र है. इससे साफ होता है कि मोदी सरकार कोरोना के खिलाफ लक्ष्य को कोवैक्सीन और कोविशील्ड के साथ ही जंग जारी रखेगी.

अगस्त में मिलेंगी 25.65 करोड़ डोज

सरकार के मुताबिक, कोवैक्सीन अगस्त में 2.65 करोड़ वैक्सीन का उत्पादन करेगी, जबकि इस दौरान कोविशील्ड की 23 करोड़ डोज बनने की उम्मीद है. यानी सरकार को अगस्त में 25.65 करोड़ वैक्सीन उत्पादन की उम्मीद है.

सितंबर की बात करें तो सरकार को उम्मीद है कि कोवैक्सीन की 3.15 करोड़ डोज तैयार होंगी, जबकि सीरम इस दौरान कोविशील्ड की 23 करोड़ डोज का उत्पादन करेगा. इस तरह से सितंबर में 26.15 करोड़ वैक्सीन का उत्पादन होगा. वहीं, अक्टूबर और नवंबर और दिसंबर की बात करें तो कोवैक्सीन की हर महीने 5.25 करोड़ डोज तैयार होंगी, जबकि कोविशील्ड की हर महीने 23 करोड़ डोज तैयार होंगी.

अगस्त से दिसंबर तक 136.55 करोड़ डोज का उत्पादन होगा

अगस्त से दिसंबर तक की बात करें तो कोवैक्सीन की 21.55 करोड़ डोज और कोविशील्ड की 115 करोड़ डोज मिलेंगी. यानी दिसंबर तक ये दोनों कंपनियां 136.55 करोड़ डोज का उत्पादन करेंगी.

पूरे 2021 में 201.916 करोड़ वैक्सीन डोज मिलने की उम्मीद

भारत में इस साल जनवरी से वैक्सीनेशन शुरू हुआ है. ऐसे में पूरे 2021 की बात करें तो भारत बायोटेक द्वारा दिसंबर तक 28.515 करोड़ वैक्सीन की डोज के उत्पादन करने का अनुमान है. वहीं, सीरम द्वारा 173.4 करोड़ वैक्सीन डोज का उत्पादन होगा. 2021 के अंत तक भारत को 201.916 करोड़ डोज मिलने की उम्मीद है.

स्पुतनिक का जुलाई तक उत्पादन नहीं

जुलाई तक रूस की स्पुतनिक वैक्सीन का उत्पादन नहीं हो सका है. हालांकि, उम्मीद है कि स्पुतनिक वी की अगस्त में 2.5 करोड़ डोज का उत्पादन हो सकता है. वैक्सीन का उत्पादन रूस पर निर्भर है, ऐसे में अभी यह साफ नहीं है कि इस वैक्सीन का उत्पादन बढ़ेगा या नहीं. इसलिए सरकार ने साल के अंत तक इसके 204 करोड़ डोज के उत्पादन की उम्मीद जताई है.

क्या कहते हैं आंकड़े?

सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, वैक्सीन की उपलब्धता के आधार पर वैक्सीनेशन तेज हुआ है. देश में अब तक 49 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज लग चुकी हैं. भारत के पास जनवरी में 0.37 करोड़ वैक्सीन डोज थीं. उस वक्त हर रोज करीब 2.35 लाख वैक्सीन डोज लगाई गईं. इसके बाद वैक्सीनेशन लगातार तेज होता गया. जून में भारत के पास 11.97 करोड़ डोज थीं. वहीं, हर रोज 39.89 लाख वैक्सीन डोज हर रोज लगाई गईं. जुलाई में भारत के पास वैक्सीन घटकर 7.08 करोड़ थी. इसके बावजूद हर रोज 39.31 लाख लोगों को हर रोज डोज लगाई गई.

डाटा के मुताबिक, दुनियाभर में लगी वैक्सीन की 10% डोज भारत में लगाई गईं. अगस्त से दिसंबर 2021 तक मिलने वाली वैक्सीन का ऑर्डर सरकार ने पहले ही दे दिया है. कोविशील्ड 50 करोड़ डोज का उत्पादन करेगी. इसमें से भारत सरकार 75% 215.25 रु प्रति डोज के हिसाब से खरीदेगी. इसके लिए भारत सरकार 8071.875 करोड़ रु का भुगतान करेगी.

वैक्सीन की कमी को लेकर ममता ने साधा निशाना

बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान समेत तमाम राज्य सरकारें केंद्र पर वैक्सीन की कमी और वितरण में भेदभाव का आरोप लगाती रही हैं. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार पर कोरोना वैक्सीन वितरण में भेदभाव का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि कर्नाटक और गुजरात साइज में छोटे राज्य हैं. लेकिन इन्हें बंगाल से दोगुनी वैक्सीन मिली.

मुझे इससे परेशानी नहीं है. बंगाल को कोरोना टीका नहीं मिला, मुझे इससे परेशानी है. लोग कष्ट में हैं. अगर मुझे वैक्सीन भेजी नहीं जाएंगी तो मैं लोगों को वैक्सीन कहां से दूं?’ ममता ने कहा था कि मैं पीएम मोदी से अपील करती हूं कि राज्यों के बीच इस तरह भेदभाव ना करें. सभी राज्यों को वैक्सीन मिलनी चाहिए.