पिछले कुछ वर्षों में बैंक फर्जीवाड़े के कई मामले सामने आए, जिसके बाद खाताधारकों में हाहाकार मच गया. खासकर पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक (PMC), यस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक में फर्जीवाड़े के मामले से खाताधारक चिंतित थे. गाढ़ी कमाई डूबने की आशंका से हर कोई परेशान था.
पिछले दिनों ग्राहकों में बैंकों को लेकर भरोसा थोड़ा डिगा. लोगों के मन में सवाल है कि अगर किसी कारणवश बैंक डूब जाता है तो फिर उस बैंक के खाताधारकों की जमापूंजी का क्या होगा? क्योंकि अभी तक जमाकर्ताओं द्वारा जमा की गई रकम पर 1 लाख रुपये तक का बीमा होता है. लेकिन अब सरकार ने खाताधारकों को बड़ी राहत दी है.
दरअसल बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल हुई बैठक में डिपॉजिट इंश्योरेंस ऐंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) एक्ट में बदलाव को मंजूरी दे दी गई. अब इसके बारे में बिल को संसद में रखा जाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस बिल को मॉनसून सत्र के दौरान ही पेश किया जाएगा. इस बिल को कानूनी अमलीजामा पहनाने के बाद खाताधारकों को बैंक में अपनी जमापूंजी की सिक्योरिटी को लेकर चिताएं दूर हो जाएंगी.
सबसे खास बात यह है कि इस कानून के बाद किसी बैंक के डूबने पर बीमा के तहत खाताधारकों को पैसा 90 दिन के भीतर मिल जाएगा. यानी तय समय के अंदर खाताधारकों को जमा राशि मिल जाएगी. मुश्किल में फंसे बैंक को पहले 45 दिनों में इंश्योरेंस कॉरपोरेशन को सौंपा जाएगा. रिजॉल्यूशन का इंतजार किए बिना 90 दिनों के अंदर प्रोसेस को पूरा कर लिया जाएगा.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि बैंक मोराटोरियम के तहत होने पर ही यह उपाय लागू होगा. यानी मोराटोरियम का सामना कर रहे बैंकों को भी राहत मिलेगी. बैंक के सभी डिपॉजिट DICGC के दायरे में आते हैं, जिसमें सेविंग्स, फिक्स्ड डिपॉजिट समेत करेंट अकाउंट शामिल हैं. साफ शब्दों में कहें तो सभी तरह के खातों में डिपॉजिट पर इंश्योरेंस की सुरक्षा मिलेगी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि बैंक मोराटोरियम के तहत होने पर ही यह उपाय लागू होगा. यानी मोराटोरियम का सामना कर रहे बैंकों को भी राहत मिलेगी. बैंक के सभी डिपॉजिट DICGC के दायरे में आते हैं, जिसमें सेविंग्स, फिक्स्ड डिपॉजिट समेत करेंट अकाउंट शामिल हैं. साफ शब्दों में कहें तो सभी तरह के खातों में डिपॉजिट पर इंश्योरेंस की सुरक्षा मिलेगी.