मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हमारी संस्कृति में समरसता और ज्ञान की हजारों साल पुरानी गौरवशाली परंपरा है। हमारे पूज्य संत रविदास, कबीर तथा भगवान गौतम बुद्ध से लेकर अन्य पुराने ऋषि-मुनियों एवं महापुरुषों ने समरसता की ज्योति जलाई। इसी से हमारे देश में अच्छाई-सच्चाई तथा मानवता के मूल सिद्धांतों की स्थापना हुई। बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने भी सामाजिक समरसता और समता का सिद्धांत दिया। साथ ही संविधान में सबको समान अधिकार प्रदान किए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव शनिवार को ग्वालियर में आयोजित “समरसता सम्मेलन” को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा खुशी की बात है कि ग्वालियर की पवित्र धरा से सामाजिक समरसता का आज नया सवेरा आया है, जिसके माध्यम से पूरे प्रदेश में सामाजिक समरसताऔरसौहार्द्र का वातावरण और मजबूत होगा।
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालयग्वालियरके दत्तोपंत ठेंगड़ी सभागार में आयोजित हुए “समरसता सम्मेलन” में मुख्यमंत्री डॉ. यादव, केन्द्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर सहित अन्य अतिथियों ने संतजन एवं विभिन्न क्षेत्रों में ग्वालियर व प्रदेश का नाम रोशन कर रहीं आधा दर्जन विभूतियों को समरसता सम्मान से विभूषित किया। साथ ही सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर आत्मनिर्भरता की नई इबारत लिख रहे समाज के आखिरी छोर पर खड़े हितग्राहियों को हितलाभ वितरित किए। सम्मेलन में मौजूद सभी प्रतिभागियों को सामाजिक समरसता की शपथ दिलाई। इसके बाद सामूहिक भोज में भी शामिल हुए। मुख्यमंत्री सहित सभी अतिथियों ने भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन कर सामाजिक समरसता सम्मेलन का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने समरसता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि लम्बे समय तक संगठित व आजाद रहने के लिये हमें भेदभाव को दूर रखना जरूरी है। इसीलिए हमारी संस्कृति अमीरी – गरीबी एवं ज्ञान में कोई भेदभाव नहीं करती। उन्होंने महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा की मित्रता का उल्लेख करते हुए कहा कि मित्रता का यह उदाहरण पूरे विश्व में अद्वितीय है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने यह भी कहा हम सब देशवासियों के लिये स्वाभिमान की बात है कि भगवान गौतम बुद्ध द्वारा चलाया गया बौद्ध धर्म आज विश्व का बड़ा धर्म है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इकबाल रचित गीत की पंक्तियां “कुछ बात है हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-जमां हमारा” का उल्लेख करते हुए कहा कि सामाजिक समरसता व सदभाव की बदौलत ही हजारों वर्षों से तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हमारा देश मजबूती के साथ खड़ा है।
जाति न पूछो साधु की पूछ लीजिए ज्ञान
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हमारी संस्कृति में सदैव से ज्ञान का जाति से कोई संबंध नहीं रहा है। उन्होंने संत कबीर के दोहे “जाति न पूछो साधु की पूछ लीजिए ज्ञान, मोल करो तलवार का पड़ी रहन दो म्यान” का उदाहरण देते हुए महान संत रविदास, त्रेतायुग के महान ज्ञानी अष्टावक्र जी एवं शंकराचार्य जी द्वारा काशी में एक साधारण मगर ज्ञानवान व्यक्ति को अपना गुरू बनाने का उल्लेख किया। उन्होंने जाति प्रथा की कुरीति पर प्रहार करते हुए कहा कि “हरि को भजे सो हरि का होई, जाति-पाति पूछे नहीं कोई”। मुख्यमंत्री डॉ. यादव नेकहा कि रामानुजाचार्य जैसे संतों ने भक्ति की धारा प्रवाहित कर समाज को ज्ञान से आलोकित किया। हमेंइसी मार्ग पर चलकर देश को और ऊँचाईयों तक ले जाना होगा।
अम्बेडकर धाम के द्वितीय चरण के लिये 12 करोड़ मंजूर किए
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि ग्वालियर जिले के जौरासी में बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की स्मृति में निर्मित किए जा रहे अम्बेडकर धाम के द्वितीय चरण के लिये 12 करोड़ 16 लाख 42 हजार रूपए की राशि स्वीकृत की गई है। लगभग 50 हजार वर्गफुट क्षेत्र में भव्य अम्बेडकर धाम बनाया जा रहा है, जिसमें म्यूजियम, लाइब्रेरी व ऑडिटोरियम इत्यादि का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यहाँ पर सामाजिक समरसता सम्मेलन भी आयोजित किया जायेगा।
सामाजिक समरसता हमारे खून में समाई है – केन्द्रीय मंत्री सिंधिया
केन्द्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि हमारी संस्कृति व सभ्यता हजारों हजार साल पुरानी है। साथ ही सामाजिक समरसता हमारे खून में समाई है। वसुधैव कुटुम्बकम की भावना हमारी मूल संस्कृति है। इसी भाव के साथ प्रधानमंत्री श्री मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. यादव देश व प्रदेश को ऊँचाइयों को ले जा रहे हैं। उन्होंने कहा खुशी की बात है कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विकास की इबारत लिखने के साथ ही सामाजिक समरसता का पाठ पढ़ाने का काम भी किया है। सिंधिया ने कहा कि विश्व के 177 देशों में भारत के अलावा ऐसा कोई देश नहीं जहाँ आर्थिक एवं आध्यात्मिक शक्ति का संगम दिखाई देता हो।
प्रदेश में गैर बराबरी दूर करने के लिये हो रहे हैं सार्थक प्रयास – विधानसभा अध्यक्ष तोमर
विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि हमारे देश का अतीत अत्यंत गौरवशाली है। हमारे पूर्वजों ने हम सभी को एकात्मता के संस्कार दिए हैं। इन संस्कारों को याद रखेंगे तो कोई हमें तोड़ नहीं पायेगा और देश निश्चित ही विश्वगुरू बनकर रहेगा। श्री तोमर ने यह भी कहा कि “नर सेवा ही नारायण सेवा” हमारी संस्कृति का मूल मंत्र है। यह मंत्र अगर हम ध्यान में रखेंगे तो हमारा भीतरी आत्मतत्व प्रबल होगा। इससे सामाजिक समरसता भी मजबूत होगी।