इस महान भारत भूमि पर हर समय हर जगह महापुरुषों का जन्म हुआजिन्होंने समाज को चारित्र संपन्न संगठित करने का प्रयास किया जबसेसमाज रचना प्रारंभ हुई तब से यह प्रयास चलते रहे आजादी काआंदोलन और समाज सुधार साथ चलते रहेंगे उदाहरण के लिए राजाराममोहन राय ज्योतिबा फुले नारायण गुरु दयानंद श्रद्धानंद विवेकानंदलोकमान तिलक बाबा साहब अंबेडकर डॉक्टर हेडगेवार गांधी जीआदि आदि सभी ने यहां के मूल समाज को चरित्र संपन्न और संगठितकरने का प्रयास किया हिंदू समाज की कमियों को दूर करने के लिएसभी प्रयास करते रहे राजा राममोहन राय का सती प्रथा को खत्म करनेका प्रयास नारायण गुरु का जाति भेद समाप्त करने के लिए प्रयासदयानंद जी का सभी के लिए वेद पढ़ने का अधिकार जनेऊ धारणकरने का अधिकार ज्योतिबा फुले द्वारा स्त्री शिक्षा के लिए प्रयासश्रद्धानंद जी का पूरा हिंदू धर्म में वापसी का प्रयास लोकमान्य तिलकका गणेश स्थापना के माध्यम से हिंदू युवकों को संगठित करने काप्रयास विवेकानंद जी का केरल की जाति व्यवस्था देख कर दुखी होनाऔर कहना
“तुम और केवल तुम हिंदू कहलाने के अधिकारी तभीहो जब किसी भी हिंदू को देखकर तुम्हारे मन में अपने सगे भाईजैसा आनंद होता है”
बाबासाहेब आंबेडकर जीवन पर्यंत हिंदू समाज के जाति भेद कोसमाप्त करके समुद्र समाज बनाने का प्रयास करते रहे गांधी जी भी इसीप्रयास के लिए हरिजन शब्द लाएं हम सब एक ही परमात्मा की संतानहैं वेद कैसा विवेकानंद जी का स्वाभिमानी भारत अंबेडकर जी कासमता युक्त भारत गांधी जी का रामराज्य भारत सावरकर जी का हिंदूराष्ट्र डॉ केशव बलिराम जी का परम वैभव भारत बनाने के लिए आवश्यकता हिंदू समाज की कमियों को दूर करना जो वह करते रहे इनसभी महापुरुषों के सपनों को साकार करने के लिए हर जगह बड़ीसंख्या में काम करने वाले बंधुओं की आवश्यकता रहेगी इसी को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर हेडगेवार ने 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कीस्थापना की
शाखा के माध्यम से देश के हर कोने तक पहुंचा और आगेबढ़ रहा है पहले ही दिन से संघ में समरसता के विचार को लेकर कामप्रारंभ हुआ हिंदू हम सब एक संघ स्थापना के 7 साल बाद 1932 में कीजातियां समाप्त हो रही हैं स्वयंसेवक जातियों को भूलकर हिंदू के नातेकाम करता है कर रहा है गुरु गोलवलकर के सद प्रयासों से 1969 उडुपी में सभी संप्रदायों के धर्माचार्यों के बीच यह घोषणा की गईसर्वसम्मति से हिंदवा सोदरा सर्वे न हिंदू पतितो भवेत् मम दीक्षा हिंदूरक्षा मम मंत्र समानता 1965 में पुणे में दीनदयाल जी उपाध्याय द्वारापांच भाषणों में कहा गया
“अस्पृश्यता कालवा है”. 1974 में संघ केतृतीय सरसंघचालक बाला साहब देवरस जी का भाषण सामाजिकसमरसता हिंदू संगठन पर पुणे में हुआ इसमें उन्होंने कहा-
“अस्पृश्यता पाप नहीं तो दुनिया में कोई पाप नहीं भेदभाव समाप्त के बिना समाज संगठन नहीं हो सकता.”
1983 में ऐसा ऐतिहासिक अद्भुत संयोग था जब १४ अप्रैल को गुड़ी पड़वा आई थी, १४ अप्रैल डॉक्टर आंबेडकर का जन्मदिन है, और गुड़ी पड़वा डॉक्टर हेडगेवार जी का जन्मदिन है, ऐसी ऐतिहासिक तिथि जो हिन्दू समाज के उत्थान में समर्पित दो पितृ पुरुषों का जन्मदिन लेकर आई थी, के दिन
“सामाजिक समरसता मंच” का गठन किया गया.
वर्तमान सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा
हिंदू हिंदू भाई भाई हैंहमारे मंदिर पर हमला होता है तो हमें दुख होता है गाय पर हमला होताहै तो दुख होता है हिंदू पर जाति के आधार पर अपमान किया तो दुख होना ही चाहिए
संघ के ऐतिहासिक परंपरागत विचार को बदलते हुए उन्होंने कहा
“अभी तक संघ में कहा जाता था एक बार जो भी शाखा में आया वह हमेशा के लिए स्वयं सेवक बन जाता है उसको संघ से कोई हटा नहीं सकता पर वह कहते हैं हमारी उम्र के हिसाब से मैं शारीरिक नहीं कर सकता फिर भी मैं सेवक हूं बौद्धिक नहीं आता फिर भी मैं स्वयं सेवक हूं पर चार पांच साल से संघ में हूं और जाति का अहंकार है और भेद है तो मैं स्वयं सेवक नहीं हूं.”
(प्रमोद कुमार झा
प्रांतीय सामाजिक समरसता ,संयोजक मालवा प्रान्त
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ)