वंदना (- महेंद्र भटनागर)

कालिदास, विक्रम की नगरी उज्जयिनी को बारम्बार प्रणाम !                   (1) बहती जिसके अंतर-तम में शिप्रा की मधुधारा पावन , आटो प्रहर सजग रहता दृ

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आग की भीख (-रामधारी सिंह दिनकर)

धुँधली हुई दिशाएँ, छाने लगा कुहासा कुचली हुई शिखा से आने लगा धुआँसा कोई मुझे बता दे, क्या आज हो रहा है मुंह को छिपा तिमिर में क्यों तेज सो रहा है

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सरफरोशी की तमन्ना (-रामप्रसाद बिस्मिल)

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है । करता नहीं क्यों दुसरा कुछ बातचीत, देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ

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प्रेमचंद की जीवन कथा

जन्म प्रेमचन्द का जन्म 31 जुलाई सन् 1880 को बनारस शहर से चार मील दूर लमही गाँव में हुआ था। आपके पिता का नाम अजायब राय था। वह डाकखाने में मामूली नौकर

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