अब कंपनियों में काम करने वाले अस्थाई कर्मचारियों को भी जल्द ही स्थाई कर्मियों के समकक्ष माना जाएगा। बुधवार को कैबिनेट ने लेबर कोड 2019 विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी है। इस बिल को सरकार जल्द ही संसद के मौजूदा सत्र में पेश करेगी। कंपनियों को भी किसी भी समय अवधि के लिए रखे गए कर्मंचारियों को ऐसी सुविधाएं देनी होगी। इसमें वेतन से लेकर अन्य सुविधाएं भी शामिल हैं।
इनको मिलेगा फायदा
कई कंपनियां कार्य को देखते हुए तीन अथवा छह महीने के लिए कर्मचारियों को अस्थाई तौर पर नियुक्त करती हैं। इन कर्मचारियों को रखने से कंपनियों को अपने स्थाई कर्मचारियों की तुलना में काफी कम वेतन देना होता है। इसके अलावा ऐसे कर्मचारियों को मेडिक्लेम या फिर अन्य तरह की सुविधाएं नहीं मिलती हैं। खासतौर पर मजदूरों को रोजना की दिहाड़ी पर रखा जाता है, जिनको बहुत कम पैसा मिलता है।
कैबिनेट की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस बिल के जरिए कंपनियां छह माह से लेकर के एक साल तक के लिए अस्थाई कर्मचारी रख सकती हैं, लेकिन उनको स्थाई कर्मियों के समान ही सारी सुविधाएं देनी होंगे। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने इस बिल को तैयार करने से पहले ट्रेड यूनियन के अलावा अन्य स्टेकहोल्डर से भी बातचीत की थी।
44 श्रम कानूनों को खत्म कर चार में किया समाहित
सरकार ने पहले से चल रहे 44 श्रम कानूनों को खत्म करते हुए चार कोड में समाहित करने का फैसला किया है। यह कोड हैं वेतन, इंडस्ट्रियल रिलेशन, सोशल सिक्युरिटी और सेफ्टी, हेल्थ व वर्किंग कंडीशन। इनमें से वेतन कोड को संसद से अगस्त में मंजूरी मिल गई थी। वहीं हेल्थ व सेफ्टी वाले लेबर कोड को संसद की स्थाई समिति के पास भेजा गया है।