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धूम्रपान घातक है, इससे होने वाले रोग सीओपीडी का कैंसर से है सीधा संबंध

भारत में हुए अध्ययनों से पता चला है कि देश के महानगरों और बड़े शहरों जैसे दिल्ली, चेन्नई और बेंगलुरु में फेफड़ों के कैंसर के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। फेफड़े का कैंसर का कई बार क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के साथ संबंध होता है। एम्स के डॉ. नबी दर्या वली के मुताबिक, सीओपीडी फेफड़ों से संबंधित एक ऐसा रोग है, जिसमें मरीज की सांस छोड़ने की क्षमता ठीक से काम नहीं कर पाती, इस स्थिति के कारण मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। लंबे समय तक धूम्रपान करने के कारण यह रोग होता है। सीओपीडी से पीड़ित लोगों में फेफड़ों का कैंसर का विकसित होने की संभावना दोगुनी होती है और इन दोनों स्थितियों के एक साथ होने की संभावना भी काफी अधिक होती है।

दरअसल, पूरी दुनिया में कैंसर के सबसे आम रूपों में से एक है, फेफड़े का कैंसर। डॉ. वली कहते हैं, फेफड़ों का कैंसर एक आम बीमारी हो गई है और अभी भी दुनिया भर में कैंसर से होने वाली मौतों के मुख्य कारणों में से एक है। फेफड़े के कैंसर वाले अधिकांश मरीजों का इलाज तब शुरू होता है जब रोग शरीर में फैल चुका होता है। यानी उन्नत चरणों में कैंसर का निदान किया जाता है, इसलिए अब नए चिकित्सीय विकल्पों की पहचान नैदानिक अनुसंधान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है।

संकेत और लक्षण-हालांकि सीओपीडी और फेफड़ों के कैंसर के समान लक्षण हैं, जैसे खांसी और सांस लेने में कठिनाई, लेकिन इनमें कुछ अंतर भी हैं। थकान, भूख में कमी, अचानक वजन घटना, खांसी के साथ ही कहीं सीने में दर्द, गला बैठना, फेफड़ों में संक्रमण, खांसी और कफ के साथ खून के अलावा लगातार सूखी खांसी आ रही हो तो तत्काल ध्यान देने की जरूरत हो सकती है। यदि कैंसर फैल गया है, तो किसी को सिरदर्द, सुन्नता (नंबनेस), चक्कर आना, पेट में दर्द, पीलिया और हड्डी में दर्द का अनुभव हो सकता है।

निदान और उपचार-कैंसर के विभिन्न चरणों की पहचान सीटी स्कैन, एमआरआई, पीईटी स्कैन और बोन स्कैन के माध्यम से की जाती है। नैदानिक परीक्षणों में छाती का एक्स-रे, सीटी स्कैन, थूक परीक्षण, ऊतक (टिश्यू) बायोप्सी और ब्रोन्कोस्कोपी शामिल हैं। मरीज सीओपीडी से पीड़ित है या नहीं, फेफड़ों के कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरेपी का उपयोग किया जाता है। सीओपीडी और कैंसर के शुरुआती चरणों के उपचार के लिए सर्जरी, कीमोथैरेपी और रेडियोथैरेपी जैसे विकल्पों का मिश्रण हो सकता है। इम्यूनोथैरेपी और लक्षित दवाओं जैसी नई थेरेपी भी अच्छी तरह से काम करती हैं।

फेफड़ों के कैंसर को रोकना-डॉ. वली के मुताबिक फेफड़ों से संबंधित रोगों से बचाव रखने के लिए आप ये तरीके अपना सकते हैं-  नियमित रूप से व्यायाम करें, हार्ट रेट को बढ़ाने वाली एरौबिक एक्सरसाइज करना सबसे ज्यदा फायदेमंद होता है। पोषक तत्वों से भरपूर भोजन फायदेमंद है। पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। इन्फेक्शन से बचने के लिए अपने हाथों को नियमित रूप से धोते रहें। हाथों से अपने मुंह को ना छुएं (जितना कम हो सके छूने की कोशिश करें)। बीमार लोगों से दूर रहें। नियमित रूप से डॉक्टर से जांच करवाते रहें फेफड़ों के रोगों से जुड़े किसी भी संकेत व लक्षण को नजरअंदाज ना करें।

धूम्रपान करने वालों को एक बार में धूम्रपान छोड़ देना चाहिए। धूम्रपान करने वाले व्यक्ति और उसके धुएं से दूर रहें, घर पर या बाहर के प्रदूषण या दूषित हवा में सांस ना लें। फेफड़ों को नुकसान न पहुंचे इसके लिए मास्क जैसे कुछ सुरक्षात्मक साधन पहनकर भी बच सकते हैं। रेडॉन गैसे जैसे रडियो एक्टिव पदार्थ कैंसर को बढ़ावा देते हैं और अपने रहने की जगह ऐसे तत्व वातावारण को खराब तो नहीं कर रहे, यह जानने के लिए घर पर ही रेडॉन लेवल पता करना होता है। लंबे समय तक ऐसे पदार्थों से संपर्क सीओपीडी के साथ ही फेफड़ों के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है। किसी प्रकार के केमिकल, धूल या धुएं आदि में सांस ना लें यदि आप में फेफड़ों के कैंसर का अधिक खतरा है, तो डॉक्टर से इस बारे में बात करें और जांच करवाएं।