होली की कथा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. भक्त प्रहलाद को हिरण्यकश्यप ने तरह तरह की यातनाएं दी लेकिन भक्त प्रहलाद ने भगवान की भक्ति नहीं छोड़ी.
होली 2020: होलाष्टक लगने के बाद से ही होली की शुरूआत हो जाती है. घरों में होली के पकवान बनने शुरू हो जाते हैं. गुजिया बनने लगती है. रंगों की खरीदारी शुरू हो जाती है. होली की पूजा होने के बाद रंग खेला जाता है और शाम को नए कपड़े पहने कर लोगों से होली मिली जाती है. होली क्यों मनाई जाती है क्या है इसकी कथा जानते हैं.
होली की पौराणिक कथा
एक पौराणिक कथा के मुताबिक हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा था, जो खुद को भगवान मानता था. उसकी इच्छा थी कि उसकी भी पूजा भगवान की तरह ही की जाए. हिरण्यकश्यप का एक पुत्र था, जिसका नाम प्रहलाद था. प्रहलाद ने हिरण्यकश्यप की पूजा करने से मना कर दिया. प्रहलाद भगवान विष्णु की पूजा करते थे. वे उनकी भक्ति में लीन रहते थे. यह बात जब पिता हिरण्यकश्यप को पता चली तो उसने प्रहलाद को यातनाएं देना शुरू कर दिया. प्रहलाद फिर भी नहीं माने. इसके बाद हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से प्रहलाद को जलती आग में बैठने के लिए कहा. होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जल सकती है.
लेकिन जैसे ही होलिका प्रहलाद को लेकर जलती हुई अग्नि में बैठी वह जलने लगी. भक्त प्रहलाद भगवान विष्णु की स्तुति करते रहे. इस योजना में होलिका जलकर राख हो गई लेकिन भक्त प्रहलाद को आग छू भी न सकी. तभी से होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है. भक्त प्रहलाद की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने नरसिंह का अवतार धारण किया और अंहकारी राजा हिरण्यकश्यप का वध किया.