उज्जैन।कोरोना महामारी की रोकथाम में उलझे प्रशासन ने ,फिलहाल शिप्रा की फिकर छोड़ दी है।आज 48 घण्टे पूरे होने जा रहे है।कान्ह( खान) के गंदे पानी का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है।बुधवार की दोपहर को जो खाई/दरार लगभग 1 मीटर के करीब थी।आज गुरुवार की दोपहर को दुगनी हो गयी थी।शाम होते-होते तो हिस्सा ढहने के कगार पर था। नतीजा…corona-war-room से यह बात निकलकर सामने आई है कि…अभी तो कोरोना का है डर-शिप्रा गंदी हो जाये-किसको फिकर…!
उज्जैन संभागीय मुख्यालय है और शिप्रा उज्जैन की धड़कन है ।स्नान-पर्व पर अच्छी खासी भीड़ लगती है।अब यही साफ-सुधरी शिप्रा जल्दी ही गंदी नजर आएगी। कारण..यहाँ पर खान नदी के गंदे पानी को रोकने हेतु बनाये गए stop-dam में दरार आ गयी है ।जबकि कलेक्टर शशांक मिश्र तक इसकी सूचना,samachar line.com ने सबसे पहले भेजी थी।
बुधवार 1 अप्रैल की दोपहर 2 बजकर 18 मिनट पर।कलेक्टर के निज सचिव जयेश मोरे के माध्यम से।फ़ोटो और वीडियो,दोनो सबूत के साथ।जिसके 1 घण्टे बाद..फूट सकता है-स्टॉप डेम..शीर्षक से खास -रपट वायरल की थी।मगर,नतीजा सिफर निकला।अब स्टॉप-डेम के टूटने का इंतजार किया जा रहा है।
हाथ ऊंचे..
प्रशासन के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि..स्टॉप डेम को लेकर ,प्रशासन ने गेंद NVDA( नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण) के पाले में फेंक दी है ।सीधी भाषा मे जिसका अर्थ यह है कि…उनका डेम है-वही जाने-हमको क्या लेना-देना? बड़वाह में बैठे अधिकारी एस आर चौहान भी कुछ करने में असमर्थ है।उन्होंने दूरभाष पर अपना दुखड़ा सुना दिया।कर्मचारी नही है-संसाधन नही है-लॉक डाउन है-कुछ नही कर सकते है।उनका कहना था कि…जलसंसाधन और phe उज्जैन को अवगत करा दिया है ।जो सम्भव हो-वह करे?
गेट बंद…
इस मामले में phe कार्य पालन यंत्री धर्मन्द्र वर्मा का कहना है कि…उन्होंने बुधवार की शाम को स्टॉप डेम को जाकर देखा था।उसका टूटना तय है।phe ने केवल यह कदम उठाया कि..जितना पानी सुरक्षित हो सकता है-कर लिया और गेट बंद कर दिए है।ताकि खान का गंदा पानी आगे नही जा पाए ।उनके इस बयान का अर्थ यही निकलता है कि…डेम तो टूटेगा…बस उस वक़्त का इंतजार है.. जब यह टूटेगा?
चुनौती….
Nvda और phe ,दोनो अधिकारियों से हुई बातचीत के बाद,यह साफ हो गया है कि….प्रशासन फिलहाल इस नई चुनौती को स्वीकार करने के मूड में नही है।तभी तो किसी भी वरिष्ठ अधिकारी ने स्टॉप डेम का निरीक्षण करना, उचित नही समझा है?केवल phe के श्री वर्मा का दावा है कि….वह बुधवार की शाम गये थे।जिससे साफ है कि…प्रशासन के लिए अभी महामारी कोरोना से निपटना, ही सबसे बड़ी चुनौती है।
विशेष व्यवस्था….
कोरोना महामारी की इस लड़ाई में सबसे ज्यादा खतरा उन डॉक्टरों को है।जो अपना फर्ज निभा रहे है।सुबह से लेकर रात तक।इन डॉक्टरों को बढ़िया भोजन देने का बीड़ा,स्वामीनारायण आश्रम वड़ताल ने उठाया है।महंत आंनद जीवन दास के मार्गदर्शन में 1000 पैकेटों का वितरण, प्रशासन के सहयोग से किया जा रहा है।मगर,आज से डॉक्टरों के लिए भी विशेष भोजन व्यवस्था की गई है।यह उन डॉक्टरों के लिए है, जो दिन रात अपनी जान पर खेलकर,अपना फर्ज निभा रहे है।ऐसे डॉक्टरों के लिए,विशेष भोजन तो उपलब्ध कराया ही जा सकता है।