उज्जैन मध्यप्रदेश का जाना माना शहर है, विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर होने के कारण पूरी दुनिया से लोग यंहा आते है।। 54 वार्डो वाले उज्जैन में से वार्ड क्रमांक 35 में स्थित अम्बर कॉलोनी है।। उज्जैन के चिंतामन रोड का ये लगभग अंतिम वार्ड है।।
अत्यंत गतिशील वार्ड 35 उस समय रुक गया जब प्रधानमंत्री जी ने lockdown का आहवान किया। यंहा के जिम्मेदार नागरिक सिर्फ जरूरत के समय ही घर से बाहर निकले। दुकाने भी अत्यंत आवश्यक चीज़ों की खुल रही थी। अचानक एक बुरी खबर आती है कि वार्ड में रहने वाले बैटरी व्यवसायी संतोष वर्मा उम्र 38 वर्ष की मृत्यु 26 मार्च को हो जाती है। मृत्यु का कारण हृदयघात बताया जाता है।। चूंकि वार्ड राजनीतिक रूप से बहुत सक्रिय ओर समाजसेवियों जो भरा पड़ा है तो आसानी से CHMO से पता लगा लेते है कि मृत्यु का कारण हृदयगति का रुकना है।। परन्तु वार्ड के जिम्मेदार लोग ने मृत्यु को हल्के में नही लिया और मान लिया कि अगर संतोष वर्मा संक्रमित निकला तो क्या होगा? कुछ बिंदु है जिन पर विचार किया गया
- -सूचना का आदान प्रदान कैसे किया जाएगा।।
- -कितना एरिया सील होगा।
- – सील एरिया में क्या क्या समस्याए आएगी।।
ओर भी कई बिंदुओं पर विचार किया गया। 26 मार्च को ही एक व्हाट्सअप ग्रुप SAVE WARD 35 बनाया गया क्षेत्र के प्रभावशाली लोगों को उसमे जोड़ा गया ओर कुछ जिम्मेदार लोग जो संतोष के आस पास रहने वाले।। वार्ड के हर एक हिस्से के 60-70 लोग जुड़ गए। ओर सूचना का आदान प्रदान वार्ड के समाचार शुरू हुए। वार्ड के लोगो कट्टीबढ थे हर एक जानकारी देने के लिए।
उज्जैन अम्बर कॉलोनी के रहवासी उस समय सकते में आ गए जब उन्हें पता चला कि उनकी कॉलोनी में रहने वाला संतोष वर्मा कोरोना पॉजिटिव है। संतोष को हॉस्पिटल ले जाया गया जहाँ वो कोरोना से हार गया। संतोष के साथ अम्बर कॉलोनी के लोगो का चैन भी चला गया। पूरी कॉलोनी नकारात्मक वातावरण तारी हो गया। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अमले ने रहवासियों के साथ चर्चा की ओर निर्णय हुआ कि तत्काल पूरे क्षेत्र को केंटेन्मेंट एरिया घोषित किया जाए। जिला प्रशासन ने अम्बर कॉलोनी के आसपास 200 मीटर तक के क्षेत्र को पूरी तरह लॉक डाउन कर दिया गया। इसके बाद संतोष वर्मा के पड़ोसियों की जांच शुरू हुई,सेम्पल लिए गए आसपास के लोग कॉरेन्टीन किया गया। उन्हें हिदायत दी गई,पूरे क्षेत्र में विश्वास का वातवरण बने इसके लिए क्षेत्र के रहवासियों ने आपस मे चर्चा की,व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया। उसके बाद दोपहर से सर्वे शुरू हुआ कि संतोष वर्मा अंतिम 10 दिन में कंहा गया ,को लोगो से मिला।। आस पास के 10-20 घरों में कोई बीमार तो नही है।। सब जानकारी निकली गई। उज्जैन जैसे छोटे शहर का प्रशाशन इतने एक्टिव रहा क्योंकि उनके पास हालिया जानसापुरा (एक ओर मरीज कुछ दिन पहले यंहा मिला था) का अनुभव था। प्रतिबंधित क्षेत्र में समस्याओं का अंबार लग गया। एक दिन तो लोगो ने जैसे तैसे निकाला। बैकग्राउंड में Save वार्ड 35 ग्रुप में क्षेत्र के लोग एक्टिव थे। प्रतिबंधित क्षेत्र के लोग पल पल की जानकारी दे रहे थे। एक दूसरे का उत्साह वर्धन एवं सावधानियों के बारे में बता रहे थे। इसी दौरान अगले दिन आने वाली जरूरतों को वही चर्चा कर ली गई थी और उनका पहले से हल भी। Group के अलावा कोई ऐसा साधन नही था कि सब जानकारी मिल सके। दूर का रिश्तेदार अच्छा हो ना हो पर पड़ोसी अच्छा होना चाहिए इस वार्ड में यह प्रत्यक्ष उदाहरण रहा। इस वार्ड के पड़ोसियों ने ये साबित कर दिया। ग्रुप के माध्यम से कुछ जो चिन्हित कार्य हुए वो संशिप्त में समझते है : 1) प्रातिबंधित क्षेत्र सही से प्रातिबंधित है कि नही अगर नही है तो जिलाधीश तक को कमियां बताई गया। 2) प्रातिबंधित क्षेत्र में संक्रमित के आस पास के लोगो की जांच सही हो रही है या नही।। पल पल पर नजर। 3) प्रातिबंधित क्षेत्र को सेनेटिरिज़ भी करवाया गया। अच्छे से करने के लिए भी दबाव बनाया गया। 4) मानवीयता भी ध्यान रखी गयी। गरीब लोगों तक भोजन जल्द से जल्द पहुचाया गया । चूंकि प्रशाशन ने भोजन व्यवस्था अपने हाथ मे ले रखी थी तो लोगो ने जानकारी पहुंचाई की कंहा किसे कितनी जरूरत है। 5) अगले दिन सब्जी और दूध की व्यवस्था संक्रमित क्षेत्र में घर घर तक कि गई।।
लोग एक दूसरे के मदद कर रहे ही थे कि खबर आयी कि सारे लोग जो संक्रमित के आस पास थे वो सब की रिपोर्ट नेगेटिव आयी है।। वार्ड वासियों ने चैन की साँस ली।। क्षेत्र अभी भी प्रातिबंधित है। लोगो स्वयं ही इतने समझने लगे है सोशल डिस्टेंसिनग रखना है। उन्हें सिर्फ ग्रुप में बोलना होता है और लगभग समस्याएं हल हो जाती है। समस्याएं हल करने वाले कोई भी हो सकते है पार्षद , वरिष्ठ पत्रकार, कांग्रेस या बीजेपी के नेता।। समस्या हल हो रही है और पलट के कोई बोलता भी नही के मेने ये हल की है।। लगातार senetrization चल रहा है। कुछ दुकाने बराबर दूरियो बनाकर खोली गई है। ऐसा अगर हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों को समझ कर एवं सूचना प्रौद्योकि का को आधार बनाकर लड़ाई लड़े तो हर समस्याओं का समाधान है। इतना बड़ा देश है और सुविधओं को अभी जुटाया जा रहा है तो जनभागीदारी के बीना इतनी गंभीर समस्याओं से नही लड़ा जा सकता।। हमे वार्ड क्रमांक 35 उज्जैन के वासियों से सीख लेनी होगी। सामूहिकता की ताकत से भय का निवारण करने में सफल रहे अम्बर कॉलोनी के रहवासी।