पिछले महीने सरकार ने देश के गरीब लोगों को राहत देने के लिए 1.7 लाख करोड़ रुपये का पैकेज दिया था. कोरोना के कहर से देश की इकोनॉमी को बचाने के लिए सरकार अब छोटे और मझोले उद्यमों के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का पैकेज देने की तैयारी कर रही है. उद्योग चैम्बर्स इस बात का दबाव डाल रहे हैं कि कोरोना से अगर उद्योग जगत को बचाना है तो सरकार को जल्द से जल्द इसके लिए राहत पैकेज का ऐलान करना चाहिए.
पिछले महीने सरकार ने गरीबों के लिए 1.7 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान किया
लॉकडाउन की वजह से कारोबार और उद्योग पूरी तरह से ठप हो गए हैं
इसलिए उद्योग जगत सरकार से लगातार राहत पैकेज की मांग कर रहा है
कोरोना के कहर से देश की इकोनॉमी को बचाने के लिए सरकार अब छोटे और मझोले उद्यमों के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का पैकेज देने की तैयारी कर रही है. इसका ऐलान जल्द ही हो सकता है.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने दो वरिष्ठ सरकारी सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है. इसके पहले सरकार ने देश के गरीब लोगों को राहत देने के लिए 1.7 लाख करोड़ रुपये का पैकेज दिया था. इसके बाद से ही इंडस्ट्री तरफ से राहत देने के लिए लगातार लॉबीइंग की जा रही थी. उद्योग चैम्बर्स इस बात का दबाव डाल रहे हैं कि कोरोना से अगर उद्योग जगत को बचाना है तो सरकार को जल्द से जल्द इसके लिए राहत पैकेज का ऐलान करना चाहिए.
इंडस्ट्री चैम्बर्स ने बनाया दबाव
इंडस्ट्री चैम्बर एसोचैम ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए कम से कम 200 अरब डॉलर की प्रोत्साहन राशि की आवश्यकता है. अगले 3 महीनों में 50-100 अरब डॉलर एकमुश्त नकद की आवश्यकता है, यह नकदी नौकरियों और आय के नुकसान की भरपाई करने के लिए होगी. एसोचैम ने यह भी कहा है कि सरकार को जीएसटी में 3 महीने के लिए 50% और वित्तीय वर्ष के लिए 25% कम करने पर विचार करना चाहिए.
इसी तरह एक और इंडस्ट्री चैम्बर सीआईआई ने सरकार से मांग की है कि सार्वजनिक बैंकों में 30 हजार करोड़ रुपये की पूंजी डाली जाए, ताकि वे इंडस्ट्री की मदद कर सकें.
कोरोना से कारोबार तबाह
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने गत 25 मार्च से देश में 21 दिन के लॉकडाउन का ऐलान किया है. कोरोना वायरस के कहर से बचने के लिए यह जरूरी है, लेकिन इससे इंडस्ट्री और बिजनेस पूरी तरह से तबाह हो गया है.
MSME पर फोकस
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया, ‘दूसरा राहत पैकेज पूरी तरह से एमएसएमई पर केंद्रित होगा. बड़ी कंपनियों के लिए एक अलग से राहत पैकेज बाद में दिया जाएगा, इस आकलन के बाद कि उन्हें इस लॉकडाउन से कितना नुकसान हुआ है.’
गौरतलब है कि भारत की करीब 2.9 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था में करीब 25 फीसदी हिस्सा छोटे कारोबार का है.