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लॉकडाउन में गर्भवती बेटी को देखने के लिए 65 किलोमीटर पैदल चले बुजुर्ग मां-बाप

मदन और फूलवासी बिहार स्थित अपने पुश्तैनी गांव में खेती का अपना काम निपटा ही रहे थे कि कोरोना के चलते 21 दिनों का देशव्यापी लॉकडाउन हो गया. रेल यातायात तो पहले से ही बंद था. उधर लॉकडाउन की घोषणा के बाद पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर भी ब्रेक लग गया. जिस कारण उनके पास पैदल चलने के सिवाय और कोई चारा ही नहीं था.

  • बिहार के कैमूर से वाराणसी के लिए पैदल चले बुजुर्ग
  • 3 बजे भोर में शुरू की पैदल यात्रा, शाम 6 बजे पहुंचे

कोरोना वायरस की त्रासदी के दौरान दिल को झकझोर देने वाली खबरें भी सामने आ रही हैं. लॉकडाउन के चलते पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद है और ऐसे में लोग सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा पैदल चलकर पूरा करने के लिए मजबूर हैं. ऐसे ही एक बुजुर्ग दंपति को करीब 65 किलोमीटर की पैदल यात्रा पड़ी क्योंकि घर में उनकी गर्भवती बेटी की देखभाल करने वाला कोई नहीं था.

वाराणसी के रहने वाले मदन और उनकी पत्नी फूलवासी देवी वर्तमान समय में वाराणसी के कोनिया इलाके में रहते हैं, लेकिन इनका पैतृक गांव बिहार के कैमूर जिले के हाटा में है. पुश्तैनी गांव में इनकी खेती-बाड़ी भी है, जिसका काम निपटाने के लिए यह लोग पिछले दिनों अपने गांव गए थे.

गांव में थे कि लॉकडाउन हो गया

दूसरी ओर, वाराणसी वाले घर में इनकी गर्भवती बेटी अपने ससुराल से आई हुई थी, ताकि अपने मायके में रहकर वह अपने बच्चे को जन्म दे सके.

मदन और फूलवासी अपने पुश्तैनी गांव में खेती बाड़ी का काम निपटा ही रहे थे कि कोरोना के चलते 21 दिनों का देशव्यापी लॉकडाउन हो गया. रेल यातायात तो पहले से ही बंद था. उधर लॉकडाउन की घोषणा के बाद पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर भी ब्रेक लग गया.

दोनों बुजुर्ग लॉकडाउन के चलते अपने पुश्तैनी गांव में ही फंस गए थे और उधर उनकी बेटी की डिलीवरी का वक्त भी नजदीक आता जा रहा था. ऐसे में जब इस बुजुर्ग पति-पत्नी को वाराणसी जाने का कोई भी आसरा नहीं दिखा तो दोनों ने करीब 65 किलोमीटर की हाटा से वाराणसी तक की दूरी को पैदल ही चल कर पूरा करने का फैसला कर लिया

 

16 घंटे का सफर

दोनों तीन बजे भोर में अपने गांव से वाराणसी के लिए पैदल निकल पड़े. अपने इस सफर में दोनों कुछ दूर चलने के बाद सुस्ताने लगते तो फिर आगे बढ़ जाते. इसी तरह रुकते-चलते दोनों तकरीबन 14 घंटे की पैदल यात्रा के बाद चंदौली के दीनदयाल नगर पहुंच गए.

फूलवासी ने अपने सफर के बारे में बताया कि हम हाटा से 3 बजे भोर में चले. हमको कोनिया जाना है. कोई साधन नहीं मिल रहा है. क्या करें मजबूरी है तो पैदल ही जा रहे हैं. हमारी लड़की को बच्चा होने वाला है और कोई देखने वाला नहीं है. तो मजबूरी में हमको जाना जरूरी है. इसीलिए हम लोग जा रहे हैं. 3 बजे भोर में चले थे कोई साधन नहीं मिला.

चंदौली के दीनदयाल नगर में थोड़ी देर सुस्ताने के बाद इस बुजुर्ग दंपत्ति ने सिर पर गठरी उठाई और वाराणसी के लिए एक बार फिर बढ़ चले. तकरीबन 2 घंटे की और पैदल यात्रा के बाद यह दंपत्ति वाराणसी स्थित अपने घर पहुंच गया.