कोरोना वायरस की वजह से दुनिया भर के लोग तो परेशान हैं ही, साथ ही कई उद्योगों की हालत भी खस्ता हो गई है. लॉकडाउन की वजह से देश और दुनिया के प्रमुख उद्योग ठप हो गए हैं. उन्हें दोबारा पटरी पर लाने के लिए क्या कर सकती है सरकार. इंडिया टुडे हिंदी मैगजीन की विशेष रिपोर्ट
रेडिमेड कपड़े और कपड़ा उद्योग
कोरोना वायरस की वजह से रेडिमेड और कपड़ा उद्योग पर अगली कुछ तिमाही तक असर बना रहेगा. चीन में लॉकडाउन से कृत्रिम धागों का आयात महंगा हुआ. जिससे तैयार माल की कीमतें बढ़ीं. कपड़ा/रेडिमेड वस्त्र उद्योग में 10-12 फीसदी की गिरावट. निर्यात रुकने से धागों के उत्पादन में गिरावट देखी गई
कैसे सुधरेगा कपड़ा उद्योग
सरकार को अब ये कदम उठाने चाहिए. कपड़ा और रेडिमेड उद्योग को बचाने के लिए कर अनुपालन की तिथि बढ़ाए जाने की जरूरत है. कर समीक्षा होनी चाहिए. ब्याज दर घटाएं, साख वाले लघु-छोटे-मझोले उद्योग को कर्ज मुहैया कराएं. क्रय शक्ति बढ़ाने के लिए कर रियायतें दें.
उड्डयन और पर्यटन
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यातायात पर प्रतिबंध से बड़े पैमाने पर यात्राएं रद्द. इंडियन एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स के अनुसार विदेशी पर्यटकों के आगमन पर प्रतिबंध से करीब 8200 करोड़ रुपए का नुकसान. ऊंची और छोटी सैलरी वाले कर्मचारियों के वेतन में कटौती या छंटनी देखने को मिला है.
ऐसे उबरेगा उड्डयन और टूरिज्म
इस उद्योग को बचाने के लिए सरकार को चाहिए कि वह विमानन ईंधन पर 6 महीने के लिए वैट अधिकतम 4 फीसदी करे, जो अभी 30 फीसदी है. कर्ज अदायगी पर 12 महीने की रोक लगाएं. संपत्ति कर, उत्पाद शुल्क माफ करें. बिजली दरें घटाएं. जीएसटी बकाए का भुगतान टालें. पर्यटन और ट्रैवल सेवा क्षेत्र का जीएसटी माफ करें. यात्री 12 महीने बाद तक बुकिंग पर सफर कर पाएं.
रसायन और पट्रोकेमिकल
उपभोक्ता मांग में गिरावट से मध्यम या लंबी अवधि तक अनिश्चित स्थिति रहने की आशंका. वैश्विक मांग और आपूर्ति में गिरावट से निर्यात पर बुरा असर, जो कि कुल उत्पादन का 15 फीसदी से कम है.
इसे ऐसे सुधारा जा सकते है
उत्पादन इकाइयों और पेट्रोलियम, केमिकल, पेट्रोकेमिकल क्षेत्रों में कर छूट और बिजली दरों में कटौती. छोटे-मझोले उद्योगों के लिए लचीली शर्तों पर कर्ज दें. केमिकल उद्योग के लिए जरूरी कच्चे माल के आयात शुल्क की समीक्षा करें. मुक्त व्यापार समझौतों और एंटी डंपिंग शुल्क की समीक्षा करें.
रियल एस्टेट और निर्माण
सीमेंट और इस्पात सहित कच्चे माल की आपूर्ति प्रभावित होगी. रिहायशी, हॉस्पीटैलिटी और खुदरा क्षेत्र की मांग में भारी गिरावट. करीब 30 फीसदी रोजगार घटने की आशंका. व्यावसायिक क्षेत्र में एफडीआई का प्रवाह सूख जाने की आशंका.
इस सेक्टर को बचाने का तरीका
छह महीने तक परियोजानओं में रेरा अनुपालन की छूट दें. आवास परियोजनाओं के लिए ब्याज दरें कम करें. 90 दिनों से ज्यादा खिंचने वाली परियोजनाओं को एनपीए की श्रेणी में डालें.
वाहन और ऑटो पार्ट उद्योग
देश में उत्पादन रुका. बैंकिंग एनबीएफसी क्षेत्र में समस्या से नकदी का संकट. चीन से कच्चे माल की आपूर्ति में दिक्कतें और मजदूरों की कमी. निजी गाड़ियों की खरीज में भारी गिरावट की आशंका. वैश्विक मंदी से निर्यात पर बुरा असर
ऐसे वापस चलेगा ये उद्योग
जीएसटी दरों में कटौती करें. जीएसटी भुगतान की तिथि टालें. टैक्ट ऑडिट मुल्तवी करके भरोसा बहाल करें. छोटे फर्म को तीन महीने के लिए वेतन सब्सिडी या ठेका मजदूरों को भत्ता दें. मूल उपकरण निर्माताओं या ओईएम को छह महीने और काम करने की मजूंरी या लाइसेंस दें. छोटे उद्योगों के लिए पुनर्भुगतान मदद योजना बनाएं. कम से कम एक तिमानी के लिए बीएस-6 उत्सर्जन मानक पर जोर देना टालें
उपभोक्ता सामान और खुदरा व्यापार
कच्चे माल के आयात में दिक्कतें. गैर-जरूरी जिंसो की मांग काफी कम होगी. खाद्य पदार्थ और किराना को छोड़कर बाकी सभी क्षेत्रों में नकदी की भारी कमी.
ऐसे सही होगा ये क्षेत्र
कर्ज के ब्याज और मूल धन के भुगतान पर छूट दें. छोटे खुदरा व्यापारियों के लिए बैंक और एनबीएफसी से कर्ज की सीमाएं बढ़ाएं. खुदरा व्यापार के लिए जरूरी सामान के आयात की मंजूरी दें. शुल्क घटाएं. सामाजिक मेलजोल में दूरी बनाए रखने के नियम का पालन करते हुए बाजारा और मॉल चरणबद्ध तरीके से खोले जाएं.
वित्तीय क्षेत्र की हालत
ग्राहकों के मजबूत बैंकों की ओर चले जाने से कमजोर बैंक, सहकारी बैंक और छोटे वित्तीय बैंक नकदी संकट का सामना कर सकते हैं. वाहन, ऑटो पार्ट, ट्रैवल, हॉस्पिटैलिटी, खुदरा, रियल एस्टेट क्षेत्रों में एनपीए बढ़ेगा. किफायती आवास, दो पहिया कर्ज में उपभोक्ता साख डगमगाएगी.
ऐसे सुधरेगा यह क्षेत्र
कर्ज श्रेणी तय करने और बकाया कर्ज किस्त के लिए 9 महीने की मोहलत दें. दिवालिया संहिता को अधिक व्यवहारिक बनाएं. प्रॉमप्ट करेक्टिव एक्शन को 12 महीने के लिए टालें. सभी कारोबार के लिए कर्ज के पुनर्संयोजन का एक ही तरीका अपनाएं.
एमएसएमई की स्थिति
कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, उत्पादन ठप और नकदी के प्रवाह का संकट. ठेका मजदूरों की बड़े पैमाने पर छंटनी. कोविड ग्रस्त यूरोप और अमेरिका में निर्यात लंबे वक्त तक प्रभावित रहेंगे.
ये सेक्टर ऐसे ठीक होगा.
अग्रिम कर कर भुगतान छह महीने तक टालें. जीएसटी क्रेडिट और दूसरे टैक्स रिफंड का भुगतान फौरन करें. एमएसएमई को एनपीए की श्रेणी से जून तक बाहर रखें. सरकार वेतन का बोझ 50 फीसदी तक साझा कर सकती है.