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राजस्थान: मनरेगा का काम शुरू, पायलट बोले- व्यक्तिगत काम भी गिने जाएंगे

लॉकडाउन के कारण लोगों के सामने आर्थिक परेशानी भी खड़ी हो गई. लेकिन अब राजस्थान में मनरेगा का काम शुरू होने के चलते मजदूर वर्ग के लोगों को थोड़ी राहत की सांस मिली है.

  • राजस्थान में मनरेगा का काम शुरू
  • मनरेगा में दिहाड़ी भी बढ़ाई गई है

देश में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है. कोरोना संकट से निपटने के लिए देश में लॉकडाउन लागू है. लॉकडाउन के चलते आर्थिक गतिविधियों पर ब्रेक लगने के कारण मजदूर वर्ग के लोगों पर इसका सबसे ज्यादा असर देखने को मिल रहा है. हालांकि राजस्थान में इस बीच मनरेगा के तहत काम शुरू हो गया है.

लॉकडाउन के कारण लोगों के सामने आर्थिक परेशानी भी खड़ी हो गई. लेकिन अब राजस्थान में मनरेगा का काम शुरू होने के चलते मजदूर वर्ग के लोगों को थोड़ी राहत की सांस मिली है. मनरेगा लोगों की आंशिक हालात को सुधारने में काम आएगा. राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने खुद मौके पर जाकर मनरेगा के कामकाज का जायजा लिया. पायलट ने कहा कि व्यक्तिगत काम भी मनरेगा के काम में गिने जाएंगे.

पायलट ने कहा कि 2008 के आर्थिक मंदी के बाद मनरेगा ने ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संभाला था और अब एक बार फिर से जब चारों ओर से मजदूर गांव की तरफ लौट रहे हैं तो सबकी नजर मनरेगा पर है. लॉकडाउन से पहले 20 लाख मनरेगा मजदूरों के साथ राजस्थान मनरेगा में नंबर-1 था. मगर लॉकडाउन के बाद हालात पटरी पर आने में वक्त लगेगा.

उन्होंने बताया कि राजस्थान में 6 लाख मजदूरों के साथ मनरेगा का काम शुरू हो गया है. ग्रामीण विकास का जिम्मा संभाल रहे राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने मनरेगा में मिलने वाली मजदूरी को प्रतिदिन 199 रुपये से बढ़ाकर प्रतिदिन 220 रुपये कर दिया है.

 

नियमों में थोड़ा बदलाव

देश में मनरेगा के कामकाज की शुरुआत राजस्थान से ही हुई थी. राजस्थान में बदले हालात में मनरेगा के कामकाज के नियम बदल दिए गए हैं. अब कोई खेत पर काम कर सकता है, उसको मनरेगा में जोड़ा जाएगा और मजदूरी दी जाएगी. गांव का कोई भी काम करवाया जा सकता है, उसको भी मनरेगा में गिना जाएगा.

 

समय भी बदला

वहीं गर्मी को देखते हुए राजस्थान में मनरेगा के काम को भी अब सुबह 6 बजे से दोपहर 1 बजे तक सीमित कर दिया गया है. कोरोना के प्रभाव को देखते हुए मनरेगा मजदूरों के लिए सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी कर दिया गया है और मौके पर साबुन, पानी और सैनिटाइजर की व्यवस्था की गई है.

65 साल की मनरेगा मजदूर नारायणी देवी कहती हैं कि पति बीमार रहता है. 4 बेटियां थी, तीन की शादी कर दी. काम नहीं करूंगी तो घर कौन चलाएगा. घर पर कुछ खाने के लिए बचा नहीं था. जैसे ही सुना कि मनरेगा का काम शुरू हो रहा है तो मिट्टी ढोने चली आई हूं. कम से कम अब घर का चूल्हा तो चलेगा.