देवास। जिला प्रशासन द्वारा कोरोना सक्रमण के चलते अगर किसी को पॉजिटिव निकलता है तो उसके बाद उसकी हिस्ट्री में आए लोगों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा एहतियात के तौर पर उन लोगों के रुकने के लिए क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाए गए हैं। क्वॉरेंटाइन सेंटर में रुके लोगों की व्यवस्थाओं पर भी खासा ध्यान दिया जाना चाहिए ,लेकिन कलेक्टर की अनदेखी से अधीनस्थ अधिकारी कर्मचारियों की लापरवाही के चलते कुछ क्वॉरेंटाइन सेंटर्स की हालत गड़बड़ा गई हैं। जिससे संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता हैं।
समाचार लाइन की टीम ने मंगलवार को शहर के सर्किट हाउस के पास बने छात्रावास में क्वारेंटाइन सेंटर का जायजा लिया, यहां आए लोगों की संख्या 15 थी । जिनमें 6 महिला 1 छोटे बच्चे व 8 पुरुष शामिल है। इन 15 लोगों के रुकने के लिए छात्रावास के महज 2 हॉल ही उपलब्ध कराए गए हैं। जबकि क्वॉरेंटाइन सेंटर के बाजू से कई गार्डन व धर्मशाला के कमरे खाली पड़े हुए हैं। फिर भी यह 15 लोग उन्हीं कबाड़ में बने छात्रावास में रहने के लिए मजबूर हैं।
यहां रुके लोगों की माने तो सब लोगों के साथ रहने से हमें संक्रमण का भय बना रहता हैं। दो दिन से रुके लोगो का कहना है उन्हें सुबह नाश्ता नहीं दिया जाता हैं। दोपहर का खाना एक बजे के बाद मिलता है वही बच्चे के लिए दूध भी नहीं मिलता हैं। नहाने व कपड़े धोने के साबुन भी नही है अब ऐसे हालात में वह परेशान हैं।
इसी तरह के हालात अन्य क्वारेंटाइन सेंटरों में भी देखने को मिले। जहां जिम्मेदार अपना काम किसी दूसरे को सौंपकर गायब रहते है। जिससे रुके लोगों को परेशानी हो रही हैं। बतां दें कि मंगलवार को शहर के मीठा तालाब स्थित है छात्रावास पर क्वॉरेंटाइन की हकीकत जानने के लिए समाचार लाइन की टीम जब पहुंची तो वहां पर अव्यवस्थाओं का अंबार था अंदर बने लेट्रिन बाथरूम इस तरह बदबू मार रहे थे कि अच्छा खासा इंसान भी बीमार हो जाए इसके अलावा इस क्वॉरेंटाइन सेंटर में एक पुलिसकर्मी के साथ ही डॉक्टर भी होना चाहिए लेकिन यहां पर केवल चौकीदार के भरोसे क्वॉरेंटाइन सेंटर देखने को मिला वही क्वॉरेंटाइन सेंटर में एक व्यक्ति के तबीयत खराब होने की जानकारी जब हमको लगी तो वह डॉक्टर नहीं होने की बात सामने आई इसकी शिकायत जब कलेक्टर से की तो आनन-फानन में क्वॉरेंटाइन सेंटर पर कलेक्टर पहुँचे। देवास के मीठा तालाब के पास बने इस क्वॉरेंटाइन सेंटर में जब कलेक्टर ने देखा यो वहां रोके गए 15 लोगो मे से 1 व्यक्ति को 102 बुखार होने से उन्हें अमलतास हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया तथा मुख्य चिकित्सा एवं व डॉक्टर आरके सक्सेना को इनकी सुबह शाम जांच करने के निर्देश दिए। यह बड़ी लापरवाही शायद किसी बड़ी विकट परिस्थित के चलते क्वॉरेंटाइन सेंटर में रुके लोगो की जान से खेल रही थी लेकिन कलेक्टर के पहुँचने के बाद वहां के हालात तो सुधर गए, लेकिन दूसरी जगहों पर इससे कोई सीख नहीं ली गई हैं।