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आर.डी. गार्डी मेडिकल कॉलेज को ही ईलाज की जरूरत है। (प्रकाश त्रिवेदी की कलम से)

हम तो जीने की तमन्ना लेकर आए थे
और तुमने हमारी मौत का इंतजाम कर रखा था

भाजपा पार्षद मुजफ्फर हुसैन की कोरोना से मौत के बाद यह सवाल उठने लगा है कि आर. डी. गार्डी मेडिकल कॉलेज में ईलाज हो रहा है या…मौत। कोरोना पीड़ित यहाँ ईलाज कराने से डरने लगे है।

मेडिकल कॉलेज पर यह अविश्वास सरकार और प्रशासन के लिए सरदर्द बनने वाला है।
सच्चाई क्या है,क्या ईलाज की पद्धति ठीक नही है,या उपचार में अनदेखी हो रही या प्रबंधन की अराजकता का मरीज शिकार हो रहे है। जबसे मेडिकल कॉलेज को कोरोना के ईलाज के लिए चयनित किया गया है तभी से इसकी अव्यवस्था को लेकर आवाजें आना शुरू हो गई थी। पर कॉलेज प्रबंधन के सामने नतमस्तक प्रशासन ने किसी की नही सुनी।

जब मीडिया, सोशल मीडिया में हल्ला मचा तो बात दिल्ली-भोपाल तक गई। सरकार हरकत में आई,कुछ निर्णय हुए अपर कलेक्टर सोजान सिंह रावत को कमान दी गई,कुछ सुधार भी हुआ,12 मरीज ठीक भी हुए,प्रति सप्ताह 60 मरीज ठीक करने का टारगेट रखा गया पर मुजफ्फर की मौत ने सब गुड़गोबर कर दिया।

सवाल उठना लाजमी है,मुजफ्फर को क्यो कोरेन्टीन सेंटर में भेजा गया,किसने आदेश दिया था,क्या मर्जी से गया था,यदि हाँ तो उसके पोजेटिव होने पर उसे क्यो भेजा गया।

उसके ईलाज का पूरा विवरण सार्वजनिक होना चाहिए। यह भी सभी को पता होना चाहिए कि की कोरोना प्रोटोकॉल मे तय मानकों के अनुसार ईलाज हो रहा है या नही। दवाईयां, जांच,डाईट और देखरेख कोरोना प्रोटोकॉल के हिसाब से ठीक है या नही।

यह भी जानना जरूरी है कि इस बीमारी के ईलाज के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशों का कितना पालन गार्डी मेडिकल कॉलेज में हो रहा है।
कॉलेज में फ्लू,संक्रमण और आईसीयू कितने एक्सपर्ट डॉक्टर है। कौन डॉक्टर ईलाज कर रहे है। ईलाज की दिशा की समीक्षा कौन कर रहा है। तय दिशा निर्देशों के अनुरूप दवाईयां दी जा रही है या नही,डोज और गुणवत्ता का निर्धारण कैसे हो रहा है,दवाई देने की टाइमिंग का पालन हो रहा है या नही।

जानकारों के अनुसार मेडिकल कॉलेज के ईलाज की प्रक्रिया में खामी है, आने वाले मरीजो को उम्र,स्वास्थ्य और बीमारी की अवस्था के अनुसार ट्रीटमेंट दिया जाना चाहिए, इसके अलावा डाईट और दिनचर्या का भी पालन करना है। यह सब हो रहा है या नही इसका उत्तर कोई देंने को तैयार नही है। कॉलेज प्रबंधन मौन है,प्रशासन केवल व्यवस्था सुधार का दावा करता है।
जनमानस में गार्डी मेडिकल कॉलेज की छवि दरक गई गई है, डर बैठ गया है,इस कारण लोग बीमारी छिपा भी रहे है,

यानी भरोसा टूट गया है,

कॉलेज प्रबंधन के लिए भी यह शर्मनाक स्थिति है,उन्हें आगे आकर व्यवस्था को दुरस्त करना चाहिए,लोगो को विश्वास दिलाना चाहिए, गलती मानकर उसे ठीक करना चाहिए।

सरकार को संसाधनों की व्यवस्था के अलावा अब ईलाज की पद्धति की भी उच्च स्तर पर समीक्षा करनी चाहिए।
इतनी शिकायतों के बाद प्रशासनिक अधिकारियों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भेजा,प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी नितेश व्यास आए उन्होंने प्रशासनिक व्यवस्थाओं की समीक्षा कर ली,ईलाज में क्या कमी है इसे कोई नही देख रहा है।

बहरहाल गार्डी मेडिकल कॉलेज में हो रहे ईलाज की सत्यता जानने के लिए एक्सपर्ट टीम बुलाना जरूरी है ताकि ज्यादा मौते क्यो हो रही है उनका सही कारण पता चल सके।
उम्मीद है मुज्जफर की मौत से नतमस्तक प्रशासन और मौन जनप्रतिनिधियों को अब कुछ समझ आए।

प्रकाश त्रिवेदी