इन योजनाओं में निवेशकों का करीब 30 हजार करोड़ रुपया लगा हुआ है. सेबी ने कहा कि अपनी छह डेट योजनाएं बंद करने के बाद फ्रैंकलिन टेंपलटन निवेशकों को जल्द से जल्द धन लौटाने पर ध्यान दे. पिछले महीने फ्रैंकलिन टेंपलटन म्यूचुअल फंड ने अपने 6 स्कीम्स को बंद कर दिया है. फ्रैंकलिन टेंपलटन ने कोरोना वायरस महामारी के चलते ये फैसला लिया है.
पिछले महीने फ्रैंकलिन टेंपलटन ने 6 स्कीम बंद किए थे इनमें निवेशकों का करीब 30 हजार करोड़ फंसा हुआ है सेबी ने जल्द से जल्द पैसा लौटाने का दिया है निर्देश
पूंजी बाजार नियामक सेबी ने फ्रैंकलिन टेंपलटन म्यूचुअल फंड को निर्देश दिया है कि वह उन निवेशकों का पैसा जल्द से जल्द लौटाए, जिन्होंने उसकी बंद होने वाली छह डेट योजनाओं में निवेश किया था.
इन योजनाओं में निवेशकों का करीब 30 हजार करोड़ रुपया लगा हुआ है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने कहा कि अपनी छह डेट योजनाएं बंद करने के बाद फ्रैंकलिन टेंपलटन निवेशकों को जल्द से जल्द धन लौटाने पर ध्यान दे.
गौरतलब है कि पिछले महीने फ्रैंकलिन टेंपलटन म्यूचुअल फंड ने अपने 6 स्कीम्स को बंद कर दिया है. फ्रैंकलिन टेंपलटन ने कोरोना वायरस महामारी के चलते ये फैसला लिया है.
ये हैं बंद होने वाले फंड
बंद होने वाले छह फंड हैं – फ्रैंकलिन इंडिया लो ड्यूरेशन फंड, फ्रैंकलिन इंडिया डायनेमिक एक्यूरल फंड, फ्रैंकलिन इंडिया क्रेडिट रिस्क फंड, फ्रैंकलिन इंडिया शॉर्ट टर्म इनकम प्लान, फ्रैंकलिन इंडिया अल्ट्रा शॉर्ट बॉन्ड फंड और फ्रैंकलिन इंडिया इनकम अपॉर्चुनिटीज फंड. यह पहला मौका है जब किसी निवेश संस्था ने कोरोना वायरस से संबंधित हालात के कारण अपनी योजनाओं को बंद कर रही है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सेबी ने कहा कि कुछ म्यूचुअल फंड योजनाएं अभी भी उच्च जोखिमों वाली और अपारदर्शी डेट सिक्यूरिटीज में निवेश कर रही हैं. सेबी ने कहा कि नियामक ढांचे की समीक्षा करने और निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए उसमें संशोधन किए जाने के बावजूद ऐसा किया जा रहा है.
क्या कहा सेबी ने?
एक बयान में सेबी ने कहा कि उसने फ्रैंकलिन टेंपलटन म्यूचुअल फंड को छह डेट योजनाओं को बंद करने के संदर्भ में निवेशकों का धन जल्द लौटाने पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी है.
क्या हुआ फ्रैंकलिन टेंपलटन में?
कई जानकार मानते हैं कि इस फंड हाउस ने कुछ ऐसे कॉरपोरेट बॉन्ड में पैसा लगाया था जो बहुत सुरक्षित नहीं थे. जिनमें हाई क्रेडिट जोखिम था. इकोनॉमी की खराब हालत होने की वजह से हाल के वर्षों में कई कॉरपोरेट डिफाल्ट करने लगे हैं.