अयोध्या में लॉकडाउन के बीच राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो गया है. इस बीच समतलीकरण के दौरान काफी पुरानी मूर्तियां, शिवलिंग समेत अन्य वस्तुएं मिली हैं. जिसके बाद एक बार फिर चर्चाएं शुरू हो गई हैं.
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य जारी समतलीकरण के दौरान मिली पुरानी वस्तुएं शिवलिंग-मूर्ति मिलने का किया गया दावा
देश में लागू लॉकडाउन 4.0 के बीच मिली छूट के बाद कई हिस्सों में निर्माण कार्य शुरू हो गया है. नियमों के तहत निर्माणकार्य चल रहा है और इसी बीच अयोध्या में एक बार फिर राम मंदिर निर्माण का कार्य आरंभ हुआ. प्रशासन से इजाजत के बाद ट्रस्ट की ओर से रामजन्मभूमि परिसर को समतल करने का काम शुरू हुआ. लेकिन इसी दौरान कुछ ऐसा हुआ कि हर कोई हैरान हो गया.
यहां समतलीकरण के दौरान काफी पुरानी मूर्तियां मिलीं, ट्रस्ट की ओर से दावा किया गया कि यहां शिवलिंग, मूर्ति और अन्य कुछ सामान ज़मीन में मिला. मूर्तियां मिलने के साथ ही दावों की बौछार हुई तो सुप्रीम कोर्ट में पक्षकार रह चुके लोगों के बयान आने भी शुरू हो गए.
ट्रस्ट की ओर से क्या कहा गया?
राम मंदिर निर्माण का पूरा जिम्मा केंद्र सरकार के द्वारा बनाए गए स्वतंत्र ट्रस्ट ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ के पास है. इसी ट्रस्ट को पूरी ज़मीन सौंप दी गई है और यहां पर निर्माण कार्य शुरू किया जा चुका है.
समतलीकरण में मिली कुछ पुरानी मूर्तियों के बारे में बयान जारी करते हुए ट्रस्ट की ओर से कहा गया, ‘श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र द्वारा दिनांक 11 मई 2020 से श्री रामजन्मभूमि परिसर में भूमि के समतलीकरण और गैंगवे हटाने का कार्य अयोध्या प्रशासन से अनुमति पश्चात प्रारम्भ कर दिया गया है. कोरोना महामारी के कारण जारी सभी निर्देशों का समुचित पालन किया जा रहा है.’
बयान के मुताबिक, ‘समतलीकरण के काम में अभी 10 मजदूर कार्य कर रहे हैं. महामारी के निमित सभी सुरक्षा निर्देशों का समुचित पालन किया जा रहा है. मास्क, सैनिटाइज़ेशन सहित सभी आवश्यक प्रावधानों का समुचित पालन किया जा रहा है.’
मूर्तियों के बाद शुरू हुई सियासी बयानबाजी!
परिसर से पुरानी मूर्तियों के मिलने के बाद बयानबाजी भी तेज़ हो गई है. हिंदू महासभा के वकील विष्णु जैन ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान हम पर मुस्लिम पक्ष ने हिंदू तालिबान का आरोप लगाया था और कहा था कि वहां पर मंदिर के कोई अवशेष नहीं है. पुरातात्विक मूर्तियां का मिलना यह उन आरोपों का जवाब है, जो हम सुप्रीम कोर्ट में बहस करते चले आ रहे थे.’
दूसरी ओर बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी का कहना है कि अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है, ऐसे में अब कुछ बयान नहीं देना चाहते हैं. सत्तर साल तक केस चला है और फैसला आ चुका है, हमारी ओर से केस खत्म हो गया है. मूर्तियों को लेकर उन्होंने कहा कि वहां पर जो भी मिला है, उसका सम्मान होना चाहिए.
ट्रस्ट द्वारा जारी की गई तस्वीरें
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने वस्तुओं के बारे में अपने बयान में कहा, ‘खुदाई के दौरान पुरातत्विक महत्व की कई वस्तुएं मिली हैं जैसे कलश, पुष्प, आमलक इत्यादि. खुदाई के दौरान भारी संख्या में देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियों के अतिरिक्त 7 ब्लैक टच स्टोन के स्तम्भ, 6 रेड सैंडस्टोन के स्तम्भ सहित 5 फीट का एक शिवलिंग भी प्राप्त हुआ है’.
क्या कहते हैं तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री?
जैसे ही रामजन्मभूमि परिसर से इन वर्षों पुरानी मूर्तियों के मिलने की बात फैली तो हर ओर इसकी चर्चा शुरू हो गई. इसको लेकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चम्पत राय के द्वारा बयान दिया गया. उन्होंने कहा, ‘..पिछले दस दिनों से हम मलबे को हटाकर समतलीकरण का काम कर रहे थे. यहां ढांचे के नीचे काफी कुछ दबा हुआ था, जिसमें पत्थर की मूर्ति, शिवलिंग समेत काफी अन्य वस्तुएं मिली हैं.’
जल्द ही अयोध्या में खुलेगा ट्रस्ट का दफ्तर
अभी राम मंदिर निर्माण के कार्य में जुटे ट्रस्ट का एक दफ्तर नई दिल्ली में है. लेकिन जल्द ही इसका एक ऑफिस अयोध्या में भी खोला जाएगा, जो कि पूरा कामकाज देखेगा. परिसर के पास ही नए कार्यालय का निर्माण हो चुका है और ज़रूरत का सभी सामान भी पहुंच गया है.
नौ नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला सुनाया था और विवादित ज़मीन को मंदिर पक्ष को देने का फैसला किया था. इसी के बाद सरकार की ओर से तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट का निर्माण किया गया, जो पूरी तरह से स्वतंत्र होगा और मंदिर के निर्माण से लेकर कामकाज को देखेगा.
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में कुल 15 सदस्य हैं और इसकी अभी तक कुछ बैठकें हो चुकी हैं. रामलला के नाम से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में एक बैंक खाता भी खुल चुका है, जिसमें मंदिर से जुड़ा सारा कोष जाएगा. इसके अलावा भक्त भी यहां सीधे दान दे सकेंगे.