बॉलीवुड

डिप्रेशन को लेकर कितने जागरूक डायरेक्टर्स, इन बॉलीवुड फिल्मों में दिखाया है अवसाद

कुछ फिल्में जरूर हैं जिनमें डिप्रेशन जैसी बीमारी को सीरियसली दिखाने की कोशिश की गई है. यूं भी कह सकते हैं कि एक-आद फिल्मों को छोड़ दें तो किसी भी फिल्म का सब्जेक्ट पूर्ण रूप से डिप्रेशन नहीं रहा है मगर किरदार विषेश को कुछ फिल्मों में अवसादग्रस्त दिखाया गया है.

डिप्रेशन एक दीमक की तरह होता है जो धीरे-धीरे इंसान को कुतरता जाता है. इंसान को पता ही नहीं चलता और देखते ही देखते ये दिमाग पर हावी हो चुका होता है. तनाव से तो लगभग दुनिया का हर दूसरा शख्स ही जूझ रहा है. मगर जब ये तनाव अवसाद में तब्दील हो जाता है तो इंसान के लिए खुद को संभालना बहुत मुश्किल हो जाता है. हाल ही में एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी की खबर ने सभी को चौंकाकर रख दिया. बॉलीवुड में लगभग हर एक किस्म और मुद्दे की फिल्में बन रही हैं. आजकल के डायरेक्टर पहले की तुलना में ज्यादा जागरुक माने जा रहे हैं. आइए जानते हैं कि डिप्रेशन पर बॉलीवुड इंडस्ट्री ने कितना काम किया है.

सही मायने में देखा जाए तो आज तक बहुत ज्यादा फुल फ्लेज्ड फिल्म बॉलीवुड में डिप्रेशन को लेकर नहीं बनी है. या डिप्रेशन को लेकर जागरुकता फैलाने के संदर्भ में भी ऐसा नहीं किया गया. मगर कुछ फिल्मों में इस प्वाइंट को छुआ जरूर गया है और डिप्रेशन को मूवी में एक बड़े फैक्टर के तौर पर इस्तेमाल जरूर किया गया है. कुछ फिल्में जरूर हैं जिनमें डिप्रेशन जैसी बीमारी को सीरियसली दिखाने की कोशिश की गई है. यूं भी कह सकते हैं कि एक-आद फिल्मों को छोड़ दें तो किसी भी फिल्म का सब्जेक्ट पूर्ण रूप से डिप्रेशन नहीं रहा है मगर किरदार विषेश को कुछ फिल्मों में अवसादग्रस्त दिखाया गया है.

 

तमाशा- 

साल 2015 में आई इस फिल्म में रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण लीड रोल में थे. फिल्म को इम्तियाज अली ने डायरेक्ट किया था. फिल्म में रणबीर कपूर एक ऐसे किरदार में थे जो अपनी आइडेंटिटी खो चुका है. अकेला-अकेला रहने वाला रणबीर का किरदार डिप्रेशन का शिकार भी था. फिल्म में एक इंडिविजुअल कैरेक्टर के दृष्टिकोण से इस बात को बेखूबी दिखाने की कोशिश की गई थी.

 

डियर जिंदगी-

बॉलीवुड में डिप्रेशन पर बनी कुछ शानदार फिल्मों में ये फिल्म भी शामिल है. फिल्म में काफी सारे साइकेट्रिस्ट सेशन्स दिखाए गए थे. आलिया भट्ट फिल्म में जिस कैरेक्टर में थीं उसे 3 दिन से नींद नहीं आती है और वो एक साइकेट्रिस्ट के पास जाने का निर्णय लेती है. फिल्म में शाहरुख खान ने एक साइकेट्रिस्ट का रोल प्ले किया था. गौरी सिंदे ने इस फिल्म को डायरेक्ट किया था.

 

कार्तिक कॉलिंग कार्तिक-

कार्तिक कॉलिंग कार्तिक एक ऐसी फिल्म थी जिसमें Schizophrenia नामक बीमारी के बारे में बताया गया था. ये एक किस्म का पागलपन होता है. इस फिल्म में भी आइडेंटिटी डिसऑर्डर के बारे में दिखाया गया था. फिल्म में फरहान अख्तर और दीपिका पादुकोण को लीड रोल में दिखाया गया था. ये मूवी 2010 में रिलीज हुई थी.

 

15 पार्क एवेन्यू-

अवसाद जैसे मुद्दे से भी ज्यादा इस फिल्म में बहुत कुछ था. फिल्म साल 2005 में रिलीज हुई थी और इसका निर्देशन अपर्णा सेन ने किया था. फिल्म में कोंकणा सेन शर्मा और शबाना आज्मी लीड रोल में थीं. फिल्म ने रिलीज के दौरान काफी सुर्खियां बटोरी थीं.

 

अंजाना अंजानी-

फिल्म अंजानी अंजानी में भी डिप्रेशन को बेहतर ढंग से पेश करने की कोशिश की गई थी. फिल्म में रणबीर कपूर और प्रियंका चोपड़ा लीड रोल में थे. दोनों फिल्म में एक्यूट स्ट्रेस डिसऑर्डर से जूझ रहे थे. मगर दोनों प्यार में पड़ जाते हैं और इसके सहारे डिप्रेशन जैसी बीमारी को भी मात दे पाने में सफल हो जाते हैं. फिल्म 2010 में रिलीज हुई थी और इसका निर्देशन सिद्धार्थ आनंद ने किया था.