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दिल्ली में होम क्वारनटीन पर रोक, क्या अस्पताल भेजे जाएंगे 10490 कोरोना मरीज?

दिल्ली में फिलहाल एक्टिव कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 27,512 है. वहीं होम आइसोलेशन में 10,490 लोग है. ऐसे में सवाल उठता है कि उपराज्यपाल के इस फैसले के बाद होम क्वारनटीन में रह रहे 10,490 लोगों का क्या होगा?

दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि सभी कोरोना पॉजिटिव मरीजों के लिए पांच दिन सरकारी क्वारनटीन में रहना अनिवार्य होगा. नए आदेश के मुताबिक अब कोई भी व्यक्ति अगर कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है तो उसे सीधे पांच दिनों के लिए अनिवार्य संस्थागत क्वारनटीन भेजा जाएगा. इसके बाद ही किसी व्यक्ति को होम आइसोलेशन में भेजा जाएगा, लेकिन अगर लक्षण हैं तो आगे उसी हिसाब से क्वारन्टीन सेन्टर या हॉस्पिटल में भेजा जाएगा.

यानी कि किसी मरीज में अगर कोरोना के लक्षण नहीं भी हैं तो उन्हें संस्थागत क्वारनटीन में ही रहना होगा. इससे पहले अगर कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाया जाता था और उसमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं मिलते थे तो उन्हें होम आइसोलेशन में भेज दिया जाता था. लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा

रोज के आंकड़े देखें तो पाएंगे कि दिल्ली में कोरोना संक्रमण की रफ्तार में तेजी आई है. दिल्ली में पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के 3137 नए मरीज की पुष्टि हुई है. इसके साथ ही दिल्ली में कोरोना वायरस के मरीजों का आंकड़ा 53,116 पर पहुंच गया है. अच्छी बात यह है कि दिल्ली में कोरोना मरीज लगातार ठीक हो रहे हैं. अब तक 23,569 कोरोना मरीज ठीक हो चुके हैं.

दिल्ली में फिलहाल एक्टिव कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 27,512 है. वहीं होम आइसोलेशन में 10,490 लोग है. ऐसे में सवाल उठता है कि उपराज्यपाल के इस फैसले के बाद होम क्वारनटीन में रह रहे 10,490 लोगों का क्या होगा? क्या इन्हें फिलहाल होम आइसोलेशन में रखा जाएगा या फिर आदेशानुसार अनिवार्य संस्थागत क्वारनटीन में भेजा जाएगा? क्या दिल्ली सरकार के पास इतनी जगह है कि वो इन लोगों को सरकारी क्वारनटीन में रख सकें.

दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल के इस आदेश को लेकर कहा है कि होम आइसोलेशन की वजह से मामूली लक्षणों वाले बहुत से लोग स्वत: बाहर आकर अपनी जांच करा रहे हैं. क्योंकि उन्हें जबरदस्ती अस्पताल या क्वारनटीन सेंटर नहीं ले जाया जा रहा है. लेकिन आज केंद्र सरकार ने होम आइसोलेशन पर रोक लगाने को कहा है. उनके इस आदेश से लोग हतोत्साहित होंगे. एसिम्प्टोमैटिक व हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीज जांच से बचेंगे और क्वारनटीन नहीं होंगे, नतीजतन संक्रमण और फैलेगा.

इसके अलावा, दिल्ली में पहले से ही मरीजों की संख्या काफी ज्यादा है. ऐसे में मौजूदा तैयारियों के बीच जुलाई तक गंभीर रोगियों के लिए 80,000 बेड की योजना के अलावा हमें हजारों क्वारनटीन कमरे और बढ़ाने होंगे. पहले से ही गंभीर रोगियों के इलाज के लिए डॉक्टरों और नर्सों की भारी कमी है, इन क्वारनटीन केंद्रों की देखभाल के लिए मेडिकल स्टाफ कहां से आएंगे?

दिल्ली सरकार की पूरी मैन-पावर पहले से ही लगी हुई है. अब हजारों एसिम्प्टोमैटिक लोगों के लिए बड़े क्वारनटीन केंद्रों के रूप में घर बनाने की आवश्यकता होगी. फिलहाल हजारों मरीजों का इलाज घर पर किया जा रहा है. इस आदेश के बाद हमें तुरंत क्वारनटीन सेंटरों में हजारों बेड की आवश्यकता होगी.

आईसीएमआर के दिशा-निर्देश अभी भी शेष भारत पर लागू हैं, फिर दिल्ली के लिए अलग मापदंड क्यों हैं? कोरोना के खिलाफ सामूहिक लड़ाई में हम पूरी तरह से केंद्र सरकार के साथ हैं, लेकिन इस तरह के मनमाने फैसले से दिल्ली को गंभीर नुकसान होगा. उन्हें इस फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए.