युद्ध नीति के अनुसार साउथ चाइना समुद्र भारत के लिए इसलिए ज़रूरी है क्यूंकी साउथ चाइना समुद्र मे किसी भी तरीके के युद्ध का सीधा असर हिंद महासागर के क्षेत्र मे पड़ेगा। चीन सिर्फ एक अकेला देश है जो की आसियान का सदस्य न होते हुए भी इस विवाद का हिस्सा है। आसियान के सदस्य देशो के साथ भारत के संबंध काफी अच्छे है और आसियान के सदस्य देश जैसे की वियतनाम तथा सिंगापुर चाहते है की भारत उनके और चीन के बीच इस विवाद का शान्ति पूर्ण तरीके से समाधान करे। आसियान के सदस्य देश भारत को एक शक्ति-शाली देश के तौर पर देखते है और इसलिए उनको यह भरोसा है की भारत बिना किसी भेदभाव के उनकी मदद करेगा। दूसरी ओर भारत के संबंध भी चाइना के साथ ठीक नही है और इसका एक मुख्य कारण है चीन की सेना की मौजूदगी भारत के समुद्री इलाके मे और लाद्ख के इलाके मे। भारत के लिए यह एक स्वर्ण अवसर है जिसमे वो आसियान के सदस्य देशो के साथ और जापान के साथ अच्छे और गहरे संबंध बना सकता है, क्यूंकी अगर चीन साउथ चाइना समुद्र पर कब्ज़ा कर लेता है तो जापान के व्यापार पर भी असर पड़ेगा। यह संबंध भारत और चीन के विवाद के बीच भी बहुत काम आएंगे।
इस विवाद मे भारत के शामिल होने के और भी बहुत कारण है, जैसे की अमेरिका चाहता है की भारत अपने क्षेत्र की सुरक्षा सम्बंधित कार्यो मे बड़ी भूमिका निभाए। भारत भी चीन के इस बढ़ते कद को कम करने के लिए साउथ चाइना समुद्र मे अपनी रुचि दिखा रहा है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक समझौता हुआ है जिसमे भारत और ऑस्ट्रेलिया एक दूसरे के सैन्य अड्डा का प्रयोग कर पाएंगे। इस समझोते को इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्यूंकी इस समझोते की मदद से भारत और ऑस्ट्रेलिया मिलकर चीन के बढ़ते हुए कद को कम कर सकता है।
भारत का 55% व्यापार मलक्का के संकृत इलाके से हो कर गुज़रता है जो की साउथ चाइना समुद्र का एक हिस्सा है। अगर चीन उस इलाके को अपने कब्ज़े मे ले लेता है तो भारत के व्यापार पर बहुत असर पड़ेगा और हो सके तो चीन उस इलाके को इस्तेमाल ही न करने दे या इस्तेमाल करने के लिए अलग से पैसा ले। इस प्रकार से भारत के पास हर वो कारण है जिसकी भारत को ज़रूरत है।
साउथ चाइना समद्र के विवाद पर अन्य देशों का क्या कहना है…
पिछले तीन सालो मे पहली बार अमेरिका ने अपने तीन विमान वाहक, साउथ चाइना समुद्र के इलाके मे शांति बनाए रखने के लिए भेज दिये है। इस क्रिया से अमेरिका चाइना को यह बताना चाहता है की वो अकेला ही ताकतवर देश नहीं है और अमेरिका एक संदेश दे रहा है की उसकी जल सेना कोरोना वाइरस की चपेट से अब बाहर निकल चुकी है। दूसरी तरफ, जापान के रक्षा मंत्री ने अपने बयान मे बताया की चीन के जहाज़ (पानी के तथा वायु के) अब भी विवाद वाले इलाके मे आते जाते रहते है। उन्होने ये भी बताया की चीन के पनडुब्बी अभी कुछ दिन पहले ही जापान और चीन के विवाद वाले इलाके मे पायी गयी थी।
Shubham Gupta @ Samacharline