उज्जैनदेवासभोपालमध्य प्रदेश

विधायक गायत्रीराजे पवार को मंत्री नहीं बनाने पर समर्थक उतरे सड़को पर एक कार्यकर्ता ने आत्मदाह की कोशिश की, पुलिस के बैरीगेटस फैके, सौशल डिस्टेस की उडाई धज्जियां


देवास। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल का गुरुवार को विस्तार हो गया। मंत्रिमंडल विस्तार में 20 कैबिनेट और 8 राज्यमंत्री मंत्री बनाए गए। कैबिनेट में भाजपा के 12, सिंधिया गुट के 5 और कांग्रेस छोड़कर आए 3 नेताओं को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। मंत्रिमंडल में अपने नेता का नाम ना पाकर कई कार्यकर्ता दुखी ओर नाराज दिखे जिन्होने तुकोजीराव पवार की प्रतिमा के सामने अपना विरोध प्रर्दशन करने के लिये अनुशासन की कहलाने वाली पार्टी ने आज सारी अनुशासन की हदे पार कर दी। कार्यकर्तओं ने विधायक गायत्रीराजे पवार के मंत्री नहीं बनने से महाराज की प्रतिमा के सामने चार पहिया वाहन के आगे लेटकर प्राण देने की नोटकी करते भाजपा नेता नजर आए साथ ही एक भाजपा के पूर्व पार्षद द्वारा भी विधायक को मंत्री मंडल में नही लेने पर आत्मदाह की कोशिश की। वही रोड पर रखे बैरीगेटस भी फेकने लगे यहा तक पुलिस कर्मीयों से साथ भी इक्का दुक्का भाजपाई हुज्जत करते देखे गये। इस दौरान वे विधायक के समर्थन में नारे लगाते रहे। वहां मौजूद भाजपाइयों ने उन्हें पकड़ा।
अब बात करे कोरोना की तो कोरोना काल में खुद विधाायक गायत्रीराजे पवार सौशल डिस्टेस का ध्यान रखते हुए मुहॅ पर मास्क लगाये शासकीय तथा पार्टी के कार्यक्रमों की बैठकों में हिस्सा ले रही थी लेकिन मंत्री नही बनाये जाने से आज उनके समर्थकों ने सारी हदे पार कर दी इससे यही कहा जा सकता है कि अनुशासन की बात करने वाली पार्टी ऐसे करती है अनुशासन का पालन।
आधे घंटे से ज्यादा समय तक एबी रोड पर चले इस तरह के मंत्री नही बनाने की नारजगी आंदोलन का नेतृत्व कर्ताा कोई नहीं था ऐसा भाजपा नेता दुर्गेश अग्रवाल ने बताया उन्होंने कहा कि यह कोई प्रायोजित कार्यक्रम नहीं था मैं इंदौर से आ रहा था तब मुझे रास्ते में फोन आया जिसके बाद मैं तत्काल यहा पर आया रही बात कार्यकर्ताओं कि तो उन्होंने सोशल डिस्ट्रिक्ट का ध्यान ना रखते हुए मुंह पर माक्स भी नहीं लगाया था ऐसा कार्यकर्ताओं ने गलत किया आगामी कार्यक्रमों में इसका ध्यान रखा जायेगा। अब तो यही बोला जा सकता है कि शायद सत्ता के नशे में भाजपाई इतने मदहोश हो गए थे कि विधायक को मंत्री बनाने के लिए कोरोना के चलते लोगों की जान से खेलना उचित समझ रहे थे क्योंकि कार्यकर्ता इस तरह नारेबाजी कर रहे थे जैसे उन्हें कोरोना की बीमारी का पता ही नहीं। सीएसपी सहित कोतवाली पुलिस मैं बल के साथ स्थिति पर नजर बनाए रखे हुए थे लेकिन वरिष्ठ भाजपा नेताओं के आने के बाद कार्यकर्ताओं को समझाइश दी गई और विरोध प्रदर्शन बंद किया गया।
सोशल मीडिया पर समर्थकों की प्रतिक्रिया
ये भाजपा का उग्र प्रर्दशन क्यो जब बीजेपी का संगठन सर्वोपरी है तो ये हंगामा क्यो……? यहा तक की कुछ देर पहले ही पत्र जारी कर बडी संस्कार व अनुशासित होने की बात कर रहे थे। जो हुआ वो स्वीकार करो, रोड पर हंगामा करके लोगो और प्रशासन को क्यो परेशान कर रहे है। सत्ता, संगठन के उच्च पदाधिकारियों तक अपनी बात पहुचाने का यह तरीका कहा तक उचित है। इसके अलावा भी तरह तरह की प्रतिक्रिया सौषल मिडिया पर चल रही थी।