देवास। गायों के प्रति सरकार संवेदनशील है और गौरक्षा के लिए जगह-जगह बनी गौशालाओं में अनुदान राशि देकर गायों की रक्षा की जाती है परन्तु आज सड़कों पर घूम रही गायें गौ धन पालकों की लापरवाही के कारण दुर्दशा का शिकार हो रही है परन्तु देवास जले के शंकरगढ पहाडी पर एक ऐसी गौशाला है जिसको गोभक्त अपने स्वयं की जमीन व खर्च पर चला रहा है। गौशाला में करीब 500 गायें है। गौशाला में गायों का दूध भी नही निकलता है वहा पर आने वाली तमाम गाय बिमार अवस्था में छोडी जाती है जिसके चलते दूध देने वाली गायों वहा पर नही है। वही जो गाय दूध देती है वह दूध को बछड़ों के लिए ही छोड़ दिया जाता है। गोभक्त अपने पुरे परिवार के साथ दिन-रात गायों की सेवा कर रहे हैं। गाय सेवा भक्ति अन्य गौ भक्तों के लिए एक प्रेरणादायी बनती जा रही है। गौस सेवकों का कहना है कि उनका प्रमुख लक्ष्य सड़कों पर घुमती गायों की सुरक्षा करना है और इस गौशाला में किसी भी आवारा सड़कों पर घूमने वाली गायों को लिया जाता है सााि ही निगम द्वारा भी रोड़ पर घुमनेवाली गायों को उक्त गौ शाला छोड दिया जाता है। गौसेवक के पुरे परिवार को गोभक्ति का ऐसा नशा चढ़ा की अपने खेत की 2 बीघा जमीन गौसेवा के लिये बेच दी गई। साथ ही पुरे परिवार के सदस्य भी गायो की सेवा करते है। गौशाला में कभी कभी कोई गौभक्त सहायता कर देता है।
वही श्री सिद्ध विनायक गौ सेवा आश्रम में गौसेवक और गौरक्षक जीतू रघुवंशी के प्रयासों से 6000 स्क्वेयर फीट के शेड के निर्माण के लिए भूमि पूजन रुद्राक्ष शुक्ला बाणेश्वरी, बंटी शर्मा, नवीन सोलंकी, मनोज जोशी के आतिथ्य में संपन्न हुआ । गौशाला के अध्यक्ष विक्रम पटेल ने बताया कि दानदाताओं के विशेष सहयोग से गौशाला के लिए एक सर्व सुविधा युक्त शेड का निर्माण करवाया जा रहा है वर्तमान में जिस शेड में गौमाता को रखा जाता है वह भी बारिश से क्षतिग्रस्त हो चुका है इसलिए गौ शाला में एक शेड की अत्यंत आवश्यकता थी, यहां पर वर्तमान में 500 से अधिक गौवंश है और अधिकतर बीमार और लाचार गौवंश की सेवा यहां पर लगातार 2008 से जारी है।गौशाला अध्यक्ष और सचिव ने आम लोगों से भी अपील की है कि गौसेवा के इस पुनीत कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें।