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चीन अमरीका का व्यापारिक विवाद

हम सभी जानते हे कि आयात और निर्यात में अंतर का अनुपात व्यापार मे घाटा कहलाता है| इस अंतर को कम करना ही ट्रंप की व्यापार नीति का एक अहम हिस्सा है |
वही चीन ज्यादातर सामान खुद ही अपने देश में  बनवा लेता है और दूसरे देशों की मदद नहीं लेता जिससे दूसरे देशों को नुकसान होने की संभावनाएं बनी रहती है | चीन व्यापार में ग़लत हथकंडे अपनाता है, जो कि चीन द्वारा निर्यात किए हुए  पीपीई किट (PPE kit) के समय कई देशो ने देखा है | अमरीका ये  चाहता है कि 419 अरब डॉलर के विशाल व्यापार घाटे को काबू करने के लिए चीन अमरीकी सामान खरीदे पर चीन बहूत पहले से हि किसी भी देश से ज्यादा आयात नहीं चाहता | अमरीका ने चीन से आयात होने वाले 200 अरब डॉलर के सामान पर पहले हि ढाई गुना कर बढ़ा दिया है | ओर साथ ही अमरीका ने आयात कर को भी 10% से 25% करने की घोषणा के साथ जल्द ही कुछ नए कर और लगाने की भी बात  कही है, जिससे चीन  बोखलाया हुआ है |
चीन का एक मात्र  विश्व शक्ति बनने का  सपना उसे मानवता का अपराधी बना रहा है, पहले चीन का खानपान , जानवरों पर अत्याचार और अब  कोरोना वायरस, जिससे विश्व कि कम से कम 20 लाख लोगों की मौत हो गई  है , दुनिया भर की अर्थव्यवस्था  तहस-नहस हो  रही है, पर अब यह सब  असहनीय हो रहा है | भारत, अमेरिका के साथ कई  और देश भी  चीन के  सामन व चीन दोनो का ही  बहिष्कार कर रहे हैं | ऐसे में अगर  व्यापारिक  विवाद और बढ़ा तो इसका  ख़ामियाज़ा विश्व अर्थव्यवस्था को भुगतना  पड़ सकता है  साथ ही  विश्व मे हर जगह महंगाई बढ़ सकती है, पर इस  व्यापारिक  विवाद से भारत को एक  फायदा यह  हो सकता है कि, जितना माल  अमेरिका चीन से  खरीदता था, वह अब भारत से निर्यात करने के लिए  कह सकता है, जिससे भारत के अर्थव्यवस्था में सुधार होगा साथ ही अमेरिका के साथ संबंध भी अच्छे होंगे |
Kajal Kumawat @ samacharline