नई दिल्ली– सोमवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जेईई और नीट की परीक्षा स्थगित करने वाली याचिका खारिज किए जाने के बाद भी देशभर में प्रदर्शन जारी हैं। छात्रों की मांग है कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए परीक्षाएं रद्द कर दी जाएँ। वहीं दूसरी तरफ एक मत यह भी है कि समय से परीक्षा करवाना छात्रों के भविष्य के लिए अनिवार्य है। फिलहाल इस मुद्दे पर राजनीति ने भी जोर पकड़ लिया है।
इस संदर्भ में देश और विदेश के 150 से अधिक शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर कहा कि यदि परीक्षाओं में और देरी हुई तो छात्रों के भविष्य पर प्रभाव पड़ेगा।
शिक्षाविदों ने अपने पत्र में कहा, ‘‘कुछ लोग अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए छात्रों के भविष्य के साथ खेलने की कोशिश कर रहे हैं।”
पत्र में कहा गया है कि हर साल की तरह इस साल भी लाखों छात्रों ने अपनी बारहवीं की परीक्षाएं दी हैं और अब प्रवेश परीक्षाओं का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं।
पत्र में आगे लिखा गया है, “सरकार ने जेईई (मुख्य) और नीट की तारीखों की घोषणा की है … परीक्षा आयोजित करने में किसी भी तरह की देरी से छात्रों का कीमती वर्ष बर्बाद हो जाएगा। हमारे युवाओं और छात्रों के सपनों और भविष्य के साथ किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जा सकता है। हालांकि, कुछ लोग बस अपने राजनीतिक एजेंडे को चलाने और सरकार का विरोध करने के लिए हमारे छात्रों के भविष्य के साथ खेलने की कोशिश कर रहे हैं।”
इन सबके बावजूद देश भर में परीक्षाओं के खिलाफ प्रदर्शन जारी हैं। अलग-अलग प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने भी छात्रों को अपना समर्थन दिया है।
जेईई (मेन) की परीक्षा 1 से 6 सितंबर के बीच जबकि नीट की परीक्षा 13 सितंबर को होगी। वहीं जेईई अडवांस की परीक्षा 27 सितंबर को होगी। पहले जेईई की परीक्षा 18 जुलाई से 23 जुलाई के बीच और नीट की परीक्षा 26 जुलाई को होनी थी।
Julie Kumari @samacharline