अन्य प्रदेश

काशी में गंगा का रौद्र रूप:हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाट पर दाह संस्कार के लिए लग रही लंबी लाइन

काशी में गंगा और वरुणा नदी ने रौद्र रुप दिखाना शुरू कर दिया। यहां गंगा का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है। अनुमान है कि, एक या दो दिन में जलस्तर खतरे के निशान को पार कर जाएगा। इसके चलते सभी घाट जलमग्न हो गए हैं। हरिचंद्र घाट पर गलियों में दाह संस्कार हाे रहा है। वहीं, मणिकर्णिका घाट पर गलियों व छतों पर शवदाह किया जा रहा है। यहां पूर्वांचल व बिहार के कई जिलों से शव अंतिम संस्कार के लिए लाए जाते हैं। ऐसे में लोगों को चार से पांच घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है। यहां 15 सितंबर तक के लिए बोट संचालन बंद कर दिया गया है।

 

गलियों में हो रहा अंतिम संस्कार।
गलियों में हो रहा अंतिम संस्कार।

 

मणिकर्णिका घाट पर 10 प्लेटफार्म छत पर

गंगा का जलस्तर 67.92 मीटर पहुंच गया है। चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर है। वहीं, वरुणा किनारे रहने वाले लोग अब पलायन की तैयारी में है। गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण घाट किनारे स्थित सैकड़ों छोटे-बड़े मंदिरों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है। यहां शवदाह के लिए हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाट है। लेकिन दोनों घाट पानी से लबालब हैं। मणिकर्णिका घाट पर केवल 10 प्लेटफार्म छत पर बचे हैं।

 

इन जिलों से आते हैं शव

शवदाह करने वाले पवन चौधरी ने बताया कि यहां गाजीपुर, मऊ, बलिया, गोरखपुर, जौनपुर, सोनभद्र, बिहार, एमपी, झारखंड से लोग मुक्ति के लिए दाह संस्कार के लिए आते हैं। गलियों में शव जलाने की वजह से आसपास रहने वाले लोगों को काफी दिक्कतें आ रही हैं। डोम परिवार के लोगों को आने जाने में परेशानी हो रही है। रोज करीब यहां 60 से 70 शव आते हैं। ऐसी स्थिति रहेगी तो लोगो को शव जलाने के लिए आगे इंतजार करना पड़ेगा।

 

घाटों पर भरा पानी।
घाटों पर भरा पानी।

 

घाट पर पैदल चलना मुश्किल

भदोही जिले के रहने वाले प्रदीप गुप्ता अपने के एक स्वजन के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए हरिचंद्र घाट पहुंचे हैं। बताया कि, उन्हें करीब 5 घंटे के इंतजार के बाद दाह संस्कार करने का मौका मिला है। लोगों के खड़े होने की भी जगह नहीं है। मणिकर्णिका घाट पर रहने वाले तीर्थ पुरोहित रूपेश कुमार ने बताया कि शवों को जलाने में अब लगभग 4 घंटे इंतजार करना पड़ रहा है। पहले लोग बाइक से घाट तक आ जाते थे। अब पैदल आना मुश्किल है। जौनपुर के राजेंद्र सिंह भी काफी परेशान थे। उन्हें बाढ़ की वजह शव जलाने की जगह नहीं मिल पा रही थी।