असम– असम के वित्तीय हिसाब किताब पर सवाल उठाते हुए भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने वित्तीय खातों की सत्यता पर संदेह जताया है।
कैग ने सोमवार को राज्य की 31 मार्च 2019 को समाप्त वित्त वर्ष की लेखा परीक्षण रिपोर्ट राज्यसभा में प्रस्तुत किया। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकार के साल 2018-19 के बजट अनुमान ‘वास्तविक नहीं’ थे और कई नीतिगत पहलों को पूर्व तैयारी से जुड़े काम अपूर्ण होने के चलते पूरा नहीं किया जा सका। कैग ने कहा कि उसके हर साल बार-बार टोकने के बाद भी राज्य सरकार सुधारात्मक कदम उठाने में असफल रही है।
कैग ने संदेह जताते हुए कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा तैयार की गई रसीदों और व्यय के आंकड़े महालेखाकार के साथ मेल नहीं खाते हैं, जिसके कारण खातों की सत्यता पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है। साथ ही यह सरकार की खराब प्रणाली को भी दर्शाता है।
असम के पूरे 108,490 करोड़ रुपये के बजट का विश्लेषण करते हुए कैग ने कहा कि बजट को लागू करने और उस पर निगरानी रखने के सरकार के प्रयास अपर्याप्त रहे। यह भी कहा गया है कि बिना उचित स्पष्टीकरण के अतिरिक्त अनुदान का आवंटन किया गया और बिना बजट प्रावधान के भारी-भरकम राशि ख़र्च की गई है।
राष्ट्रीय ऑडिटर ने कहा कि पिछले कई वर्षों में हर साल इस मुद्दे को लेकर चिंता जाहिर किए जाने के बावजूद राज्य सरकार सुधारात्मक उपाय करने में विफल रही है।
कैग ने कहा कि स्वायत्त परिषदों, विकास बोर्डों और प्राधिकरणों द्वारा विशिष्ट विकास परियोजनाओं के लिए उपयोग प्रमाण-पत्र और अन्य बिल जमा न करना नियमों का उल्लंघन है और यह दर्शाता है कि राज्य सरकार की मॉनीटरिंग तंत्र कितनी खराब स्थिति में है।
Julie kumari @samacharline