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कार्रवाई कि जगह अस्पताल को बचाते नजर आया जिला प्रशासन, चार मौतों के बाद उठ रहे सवाल कि लापरवाही के लिए जिम्मेदार कौन….., कोरोना के इलाज के लिए अमलतास को शासन ने अनुबंधित किया लेकिन इस अस्पताल के साथ खत्म नहीं हो रहे विवाद…

✒️अमित बागलीकर

देवास। कोरोना के इलाज के लिए शासन से अनुबंधित निजी अस्पताल अमलतास बुधवार को फिर विवादों में आ गया। हर बार की तरह जिला प्रशासन अस्पताल के बचाव में आगे आया लेकिन अस्पताल प्रबंधन की सफाई ने ही बदतर इंतजामों की पोल खोल दी। सवाल ये भी उठ रहे कि कलेक्टर क्यों अस्पताल के साथ सीधे खड़े नजर आ रहे है जबकि उन्हें तो लापरवाही पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए थी। दरअसल बुधवार को अमलतास अस्पताल में आक्सीजन की कमी होने से एक के बाद एक चार मौतें हो गई। इन मौतों से शहर में भी हड़कंप मच गया। पहले बताया गया कि मौतें गंभीर बीमारी व कोरोना के चलते हुई लेकिन दोपहर होते होते अस्पताल प्रबंधन ने मान लिया कि आक्सीजन सिलेंडरों की कमी हो गई है। अस्पताल ने अपनी सफाई में कहा कि दो तीन दिन से वायरस म्यूटेशन के कारण ऐसी स्थितियां बन रही है कि मरीजों की अचानक आक्सीजन पर निर्भरता बढ़ रही है। आक्सीजन की सुगम उपलब्धता के लिए इंदौर, भोपाल और उज्जैन तक के सप्लायर को मुंह मांगी कीमत पर एडवांस भुगतान करने के बाद भी अतिरिक्त डिमांड के सिलेंडर सप्लाई नहीं कर रहे है। आगे अस्पताल ने और अपनी सफाई देते हुए बताया कि कलेक्टर साहब के द्वारा उनको आदेश दिए जाने पर वेंडर सप्लाई बढ़ा रहे है। अस्पताल के अनुसार सिलेंडर की मांग पिछले 15 दिन में दोगुनी और तीन.चार दिन में अप्रत्याशित रूप से तीन गुना तक बढ़ गई है। हालांकि अस्पताल प्रबंधन के ठीक उल्टे जिला प्रशासन कहानी सुना रहा था। अस्पताल में हुई मौतों के बाद कलेक्टर चंद्रमोली शुक्ला ने सफाई रखते हुए बताया कि आक्सीजन की जिले में कोई कमी नहीं है। कलेक्टर के अनुसार कल मंगलवार को रात लगभग 9.30 बजे शाजापुर व उज्जैन से अमलतास पहुंचने के तत्काल बाद ही उपरोक्त मरीजों का निधन हो गया था। इन दोनों की आक्सीजन की कमी से मौत नहीं हुई। हालांकि ऐसी सफाई अस्पताल प्रबंधन की तरफ से नहीं आई व प्रबंधन ने स्वीकारा की आक्सीजन की मांग बढ़ने से शार्टेज की स्थिति है। कोरोना के मामले जिले में भी तेजी से बढ़ने लगे है लेकिन इसी बीच अमलतास अस्पताल को लेकर आमजन का विश्वास डोल रहा है। बुधवार को चार मौतों के बाद लोग घबराए हुए है वे नहीं चाहते कि कोरोना इलाज के लिए उन्हें अमलतास जाना पड़े। लोगों का विश्वास प्रशासन से भी उठ रहा है जो की अस्पताल की व्यवस्था सुधारने की बजाए उसे बचाने में लगा है।