देवासभोपालमध्य प्रदेश

उपचुनाव ने दिया पवार को एक बढ़ा अवसर, हाटपीपल्या में भाजपा की जीत से मिल सकता युवा मोर्चा का अध्यक्ष पद भाजपा की जीत के लिए अपनी टीम भी लगाई, गांव. गांव कर रहे जनसंपर्क

देवास. विधानसभा उपचुनाव कांग्रेस. भाजपा के लिए वजूद का प्रश्न बन गए है। दोनों दलों का जो भी प्रत्याशी जीता उसकी अगले विधानसभा चुनाव में दावेदारी भी मजबूत हो जाएगी। इस विधानसभा उपचुनाव को हारने वाला गुमनामी में चला जाएगा। दोनों दलों के प्रत्याशियों के साथ ही अन्य नेताओं का भाग्य भी ये चुनाव बदल सकते है। विधानसभा उपचुनाव देवास विधायक गायत्री राजे पवार के पुत्र विक्रम सिंह पवार के लिए भी एक बड़ा अवसर लेकर आया है। भाजपा के लिए हाटपीपल्या का विधानसभा उपचुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। इस सीट पर भाजपा हमेशा काफी मजबूत रही है। सत्ता और संगठन यहां हमेशा मिलकर चुनाव लड़ते आ रहे है। भाजपा अधिकांश बार यहां से जीतती आ रही है लेकिन इस बार परिस्थितियां बिल्कुल ही भिन्न है। भाजपा उम्मीदवार मनोज चौधरी को पार्टी के अंदर से ही चुनौती मिली है। हालांकि अब सब सही होने का दावा भाजपा कर रही है लेकिन भाजपा का अंदरूनी सर्वे कांटे का मुकाबला बता रहा है। इस सीट को जीतने के लिए पार्टी हाइकमान ने देवास पैलेस का सहारा लिया है। प्रदेश संगठन आज के समय में इस सीट को जीतने के लिए सबसे ज्यादा भरोसा भी इन्हीं पर कर रहा है। प्रदेश संगठन के निर्देश पर विधायक गायत्री राजे पवार ने मोर्चा भी संभाल लिया है। हालांकि जमीन पर चुनावी जीत की बिसात उनके पुत्र विक्रम सिंह पवार बिछा रहे है। वे गांव.गांव घूम रहे है। हाटपीपल्या के साथ ही सांवेर, आगर में भी वे भाजपा के लिए काम कर रहे है। हाटपीपल्या की सीट अब पैलेस परिवार के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है। अगर भाजपा ये सीट जीती तो इसका पूरा श्रेय पैलेस को जाएगा। जीत पर माना जाएगा कि विक्रम सिंह पवार और उनकी टीम ये बड़ा काम कर गई। इस जीत से विक्रम सिंह पवार के भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बनने का रास्ता भी साफ हो जाएगा। उनके पिता स्व. तुकोजीराव पवार भी युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके है। अब पुत्र के लिए भी जीत के बाद रास्ता खुल जाएगा। भाजपा अगर विधानसभा उपचुनाव हारती है तो इसके बाद दावेदारी पर धुंध छा जाएगी। हालांकि हारने पर पैलेस की छवि को नुकसान नहीं होगा। हार का ठिकरा दीपक जोशी के सिर फूट सकता है। हार के बाद माना जाएगा कि वे पूरे मन से साथ नहीं थे।