बांग्लादेश में पीएम मोदी जिस वक्त मंदिरों में पूजा कर रहे होंगे, उसी समय पश्चिम बंगाल और असम में पहले चरण की वोटिंग हो रही होगी. इतना ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी के मतुआ महासंघ के संस्थापक हरिचंद्र ठाकुर के ओरकांडी के मंदिर जाने का भी कार्यक्रम है, जिसे सीधे बंगाल चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश की आजादी के 50वीं सालगिरह पर आयोजित स्वर्ण जयंती समारोह में बतौर खास मेहमान शामिल होने के लिए शुक्रवार को ढाका पहुंच रहे हैं. बांग्लादेश में पीएम मोदी जिस वक्त मंदिरों में सिर झुका रहे होंगे, उसी समय पश्चिम बंगाल और असम के पहले चरण की वोटिंग हो रही होगी. इतना ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी के मतुआ महासंघ के संस्थापक हरिचंद्र ठाकुर के ओरकांडी के मंदिर जाने का भी कार्यक्रम है, जिसे सीधे बंगाल चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है.
प्रधानमंत्री मोदी 26 मार्च यानी आज शुक्रवार को सुबह करीब 11 बजे बांग्लादेश की राजधानी ढाका पहुंचेंगे. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना शाह जलाल हवाई अड्डे पर पीएम मोदी की अगवानी करेंगी. 36 घंटों से कम के प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा के दौरान मेजबान प्रधानमंत्री शेख हसीना पाच कार्यक्रमों में करीब 8 घण्टे उनके साथ होंगी. इस तरह से पीएम मोदी कूटनीतिक तौर पर बांग्लादेश के साथ अपने भारत के रिश्ते को मजबूत करेंगे.
वहीं, पीएम मोदी इस दौरे में सुगंधा शक्तिपीठ और ओरकंडी मंदिर सरीखे धार्मिक स्थल भी जाएंगे. बरीसाल ज़िले में सुगंधा शक्तिपीठ को 51 शक्तिपीठ में से ये एक माना गया है. ये हिंदुओं की आस्था से जुड़ा हुआ केंद्र है. इसी तरह ओरकांडी के मंदिर मतुआ महासंघ के संस्थापक हरिचंद्र ठाकुर की है, जिन्हें मानने वालों की बड़ी तादाद पश्चिम बंगाल में रहती है. प्रधानमंत्री मोदी कुसतिया में रविंद्र कुटी बारी भी जा सकते हैं.
दरअसल ये तमाम जगहें और नाम ऐसे हैं, जिनका बंगाल से गहरा नाता रहा है. इसी वजह से पीएम मोदी के बांग्लादेश दौरे को पश्चिम बंगाल और असम चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है. बंगाल में शनिवार को पहले चरण को 30 और असम में 47 सीटों पर वोटिंग होनी है, जिसके लिए चुनावी प्रचार गुरुवार शाम थम गया है. दोनों ही राज्यों के पहले चरण की सीटों पर जिस समय वोटिंग हो रही होगी, उसी दौरान पीएम मोदी बांग्लादेश के तमाम मंदिरों में पूजा-अर्चना कर रहे होंगे.
बांग्लादेश की आजादी से पहले वहां की बड़ी आबादी पश्चिम बंगाल आ गई थी. इसमें मतुआ समुदाय शामिल है. बंगाल में मतुआ समुदाय की बड़ी आबादी रहती है. ये राज्य की कुल अनुसूचित जाति का पांचवां हिस्सा है. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक बंगाल में अनुसूचित जाति की 23.51 फीसदी है. राज्य में 294 विधानसभा सीटों में से 21 सीटों पर मतुआ मतदाताओं को अच्छा प्रभाव है. साल 1947 के बाद जब लोग आए तो वह पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना और नदिया में आ कर बसे.
यही वजह है कि पश्चिम बंगाल के नदिया और उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिले की ज्यादातर विधानसभा सीटों पर मतुआ समुदाय की अहम भूमिका है. इन इलाकों में रहने वाले ज्यादातर परिवार के कुछ सदस्य अब भी बांग्लादेश में रहते हैं.माना जा रहा है कि बांग्लादेश दौरे के वक्त पीएम की कोशिश होगी कि वह बंगाल में सत्ता की चाभी माने जाने वाले मतुआ समुदाय को साध सकें.
साल 2016 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी को मतुआ बहुल 21 में से 18 सीटों पर जीत मिली थी, वहीं सीएए कानून आने के बाद बीजेपी को इन 21 सीटों में से 9 पर अच्छी बढ़त मिल गई. मतुआ समुदाय ने सीएए और प्रस्तावित एनआरसी की खुलकर वकालत की थी.
पीएम मोदी ने 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले फरवरी की अपनी रैली के दौरान इस समुदाय की माता कही जाने वाली बीनापाणि देवी से मिलकर कर उनका आशीर्वाद लिया था. वीणापाणि देवी, हरिचंद्र ठाकुर के परिवार से आती हैं और इन्हें बंगाल में बड़ी मां कह कर संबोधित किया जाता है. इसकी बीजेपी को लोकसभा चुनाव में सियासी तौर पर काफी बड़ा फायदा मिला था, जिसे 2021 के विधानसभा चुनाव में पार्टी बरकरार रखना चाहती है.
बंगाल के मतुआ समुदाय के लोग हरिचंद्र ठाकुर को भगवान का अवतार मानते हैं. ऐसे पीएम मोदी बंग्लादेश की जमीन से मतुआ समुदाय के हरिचंद्र ठाकुर की जन्मस्थली और उनकी मंदिर जाकर बड़ा राजनीतिक संदेश देने की कवायद करेंगे. लोकसभा के चुनाव के दौरान जिन सीटों पर बीजेपी को बढ़त मिली थी, उसे विधानसभा चुनाव में और आगे बढ़ाने की रणनीति मानी जा रही है.