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मुजफ्फरनगर दंगा: आरोपी मंत्री सुरेश राणा और BJP एमएलए संगीत सोम के खिलाफ केस वापस

उत्तर प्रदेश सरकार ने बीते दिनों ही इन मुकदमों को वापस लेने की मंजूरी दी थी. जिसके बाद सरकारी वकील द्वारा कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 321 के तहत प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया था ताकि अदालत से इन मुकदमों को खत्म किया जा सके. इसी पर आदेश देते हुए अदालत ने दोनों लोगों के खिलाफ मुकदमा खत्म कर दिया है.

मुजफ्फरनगर दंगा भड़काने और भड़काऊ भाषण देने के आरोपी उत्तर प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा और सरधना इलाके से विधायक संगीत सोम के खिलाफ एमपी एमएलए कोर्ट ने मुकदमा वापस लेने की सहमति दे दी है. दरअसल 27 अगस्त 2013 को मलिकपुरा इलाके के रहने वाले ममेरे भाइयों सचिन और गौरव की हत्या कर दी गई थी. इसके विरोध में सितंबर 2013 में नंगला मंदौड में महापंचायत हुई थी. इस पंचायत के बाद ही जिले में दंगा भड़क गया था.

पुलिस ने महापंचायत में शामिल सुरेश राणा जो कि अब उत्तर प्रदेश सरकार के गन्ना मंत्री हैं जबकि संगीत सोम सरधना इलाके से विधायक हैं. इसके अलावा बिजनौर के पूर्व सांसद भारतेंद्र सिंह, साध्वी प्राची, श्यामपाल के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का मुकदमा दर्ज किया था. उस वक्त कुल 11 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था.

उत्तर प्रदेश सरकार ने इसी साल इन मुकदमों को वापस लेने की मंजूरी दे दी थी. जिसके बाद कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 321 के तहत प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया था ताकि अदालत से इन मुकदमों को खत्म किया जा सके. इसी पर आदेश देते हुए अदालत ने दोनों लोगों को खिलाफ मुकदमा खत्म कर दिया है.

आपको बता दें कि बीते दिनों ही योगी सरकार ने यूपी में कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा, विधायक संगीत सोम और कपिल देव के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लेने का फैसला किया था. इसे लेकर सरकारी वकील राजीव शर्मा ने मुजफ्फरनगर की एडीजे कोर्ट में मुकदमा वापसी के लिए अर्जी दी थी.

कैसे भड़का था दंगा

27 अगस्त 2013 के दिन कवाल गांव में एक भीड़ ने सचिन और गौरव नाम के दो युवकों की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. सचिन और गौरव की हत्या का आरोप शाहनवाज़ कुरैशी नामक एक युवक पर लगा था. इस घटना के बाद 7 सितंबर 2013 के दिन नगला मंदोर गांव इंटर कॉलेज में जाट समुदाय द्वारा एक महापंचायत बुलाई गई. ऐसा माना जाता है कि इसी पंचायत के बाद मुजफ्फरनगर में दंगा भड़क गया था.