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मुख्तार अंसारी पर पोटा लगाने वाले पूर्व डिप्टी SP का छलका दर्द- नौकरी गई, जेल जाना पड़ा…

वाराणसी के सीजेएम कोर्ट ने योगी सरकार के फैसले को मंजूरी दे दी है. शैलेंद्र सिंह ने योगी सरकार को धन्यवाद कहा है. केस वापस होने के बाद शैलेंद्र सिंह का दर्द छलका है. उन्होंने तत्कालीन सपा सरकार पर उनपर केस लादने और दबाव बनाने के आरोप लगाए हैं.

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह के खिलाफ दर्ज मुकदमें वापस ले लिए हैं. वाराणसी के सीजेएम कोर्ट ने योगी सरकार के फैसले को मंजूरी दे दी है. शैलेंद्र सिंह ने योगी सरकार को धन्यवाद कहा है. केस वापस होने के बाद शैलेंद्र सिंह का दर्द छलका है. उन्होंने तत्कालीन सपा सरकार पर उनपर केस लादने और दबाव बनाने के आरोप लगाए हैं.

शैलेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखी है, ”2004 में जब मैंने माफिया मुख्तार अंसारी पर LMG केस में POTA लगा दिया था, तो मुख्तार को बचाने के लिए तत्कालीन सरकार ने मेरे ऊपर केस खत्म करने का दबाव बनाया. जिसे न मानने के फलस्वरूप मुझे डिप्टी SP पद से त्यागपत्र देना पड़ा था. इस घटना के कुछ महीने बाद ही तत्कालीन सरकार के इशारे पर, राजनीति से प्रेरित होकर मेरे ऊपर वाराणसी में अपराधिक मुकदमा लिखा गया और मुझे जेल में डाल दिया गया.”

उन्होंने आगे लिखा है, ”लेकिन जब मा. योगी जी की सरकार बनी तो, उक्त मुकदमे को प्राथमिकता के साथ वापस लेने का आदेश पारित किया गया, जिसे मा. CJM न्यायालय द्वारा 6 मार्च, 2021 को स्वीकृति प्रदान की गई. मा. न्यायालय के आदेश की नकल आज ही प्राप्त हुई. मैं और मेरा परिवार मा. योगी जी की इस सहृदयता का आजीवन ऋणी रहेगा. संघर्ष के दौरान मेरा साथ देने वाले सभी शुभेक्षुओं का, हृदय से आभार व्यक्त करता हूं.”

बता दें कि शैलेंद्र सिंह ने 2004 में माफिया मुख्तार अंसारी पर POTA के तहत कार्रवाई की थी जिसके बाद तत्कालीन सरकार ने शैलेंद्र सिंह से इस्तीफा ले लिया था और उनके ऊपर मुकदमा दर्ज किया था. 2004 में शैलेंद्र सिंह एसटीएफ के डिप्टी एसपी हुआ करते थे तथा वाराणसी के एसटीएफ यूनिट के प्रमुख थे. इसी दौरान कृष्णानंद राय हत्याकांड के पहले सेना के एक भगोड़े से से मुख्तार अंसारी ने LMG यानि लाइट मशीन गन खरीदी थी जिसे शैलेंद्र सिंह ने न सिर्फ बरामद किया था बल्कि सरकार को वह रिपोर्ट भेजी थी जिसमें मुख्तार के देशद्रोही कारनामों का कच्चा चिट्ठा था. कहा जाता है तब शैलेन्द्र सिंह पर ये केस हटाने का दबाव था लेकिन जब वो नहीं माने तो शैलेंद्र पर ही केस दर्ज कराया गया जिसके बाद उन्होंने पुलिस की नौकरी ही छोड़ दी थी.