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कोरोना इफेक्ट: सात महीने के निचले स्तर पर आई मैन्युफैक्चरिंग एक्ट‍िविटी

आईएचएस मार्किट के सर्वे के अनुसार मुताबिक मार्च में निक्केई परचेजिंग मैन्युफैक्चरिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) घटकर 55.4 फीसदी पर आ गई है

कोरोना की नई लहर फिर से अर्थव्यवस्था पर असर डालती दिख रही है. मार्च महीने में देश की कारखाना गति‍विध‍ि पिछले सात महीने के सबसे निचले स्तर पर रही है. एक निजी एजेंसी आईएचएस मार्किट के सर्वे के मुताबिक मार्च में निक्केई परचेजिंग मैन्युफैक्चरिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) घटकर 55.4 फीसदी पर आ गई है.

हालांकि इस आंकड़े में राहत की बात यह है कि कारखाना उत्पादन में बढ़त हुई है. असल में पीएमआई 50 से ऊपर का होना उत्पादन में बढ़त और 50 से कम होना नेगेटिव ग्रोथ यानी उत्पादन में कमी को दर्शाता है. फरवरी में यह आंकड़ा 57.5 फीसदी का था. लगातार आठवें महीने कारखाना उत्पादन गतिविध‍ि पॉजिटिव रही है.

चिंता की बात

मार्च में निर्यात ऑर्डर में अच्छी बढ़त के बावजूद कारखाना उत्पादन का सुस्त रहना चिंता पैदा करता है. यह अगस्त 2020 के बाद सबसे सुस्त दर है.

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, आईएचएस मार्किट की एसोसिएट निदेशक (इकोनॉमिक्स) पॉलियाना डि लीमा ने कहा, ‘उत्पादन, नए ऑर्डर और खरीद के आंकड़ों की वृद्धि सुस्त रही है.’

रोजगार पर भी अच्छी खबर नहीं

लीमा ने कहा कि रोजगार के मोर्चे पर अच्छी खबर नहीं मिल रही है. मार्च में भी रोजगार में गिरावट आई. इस तरह छंटनी का सिलसिला शुरू हुए अब एक साल हो गए हैं. उन्होंने कहा कि मार्च में कारोबारी विश्वास डगमगाया है. हालांकि, कुछ कंपनियों का कहना है कि आगामी 12 माह में उत्पादन में बढ़ोतरी होगी, लेकिन अधिकांश कंपनियां मानती हैं कि स्थिति ऐसी ही बनी रहेगी.

इसके अलावा पिछले महीने इनपुट और आउटपुट कॉस्ट बढ़ने की रफ्तार धीमी रही है. फरवरी में महंगाई दर में नरमी रही और यह RBI के 2-6 फीसदी टारगेट के भीतर रहा.