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खपत से ज्यादा ऑक्सीजन का प्रोडक्शन, अस्पतालों में किल्लत की ये है असली वजह

कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच ऑक्सीजन की डिमांड तेजी से बढ़ गई है. दिल्ली के मुख्यमंत्री ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली में ऑक्सीजन की भारी किल्लत है. कुछ ही घंटे के लिए ऑक्सीजन बची हुई है और केंद्र तत्काल मुहैया कराए. दिल्ली के अलावा दूसरे राज्यों के अस्पतालों में भी ऑक्सीजन सिलेंडर की किल्लत की खबरें चल रही हैं.

दरअसल, दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. कोरोना संक्रमण के कारण कुछ मरीजों को सांस लेने में समस्या हो रही है. इसके चलते उनको ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है. जिससे मेडिकल ऑक्सीजन की खपत अधिक हो गई है.

सरकार की प्राथमिकता है कि डिमांड के मुताबिक अस्पतालों को ऑक्सीजन की सप्लाई की जाए. केंद्र सरकार के आंकड़ों को देखें तो देश में आक्सीजन की कोई कमी नहीं है. Ministry of Health and Family Welfar (MoHFW) के मुताबिक डिमांड को पूरी करने के लिए प्लांट में पूरी क्षमता के साथ ऑक्सीजन का प्रोडक्शन हो रहा है.

मंत्रालय द्वारा जारी 12 अप्रैल के आंकड़ों के मुताबिक रोजाना 3842 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत है. जबकि रोजाना 7287 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का प्रोडक्शन हो रहा है. सरकार के मुताबिक प्रोडक्शन के मुकाबले 54 फीसदी ऑक्सीजन की खपत हो रही है.

मंत्रालय की मानें तो 12 अप्रैल तक 50,000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का स्टॉक था. इस स्टॉक में मेडिकल और इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन शामिल था. यानी खपत से ज्यादा ऑक्सीजन का प्रोडक्शन हो रहा है तो फिर किल्लत की वजह क्या है?

दरअसल तेजी से बढ़ी मांग के चलते ऑक्सीजन की सप्लाई में भारी दिक्कत हो रही है. पूरे देश में प्लांट से लिक्विड ऑक्सीजन को डिस्ट्रीब्यूटर तक पहुंचाने के लिए क्राइजोनिक टैंकर कम पड़ रहे हैं और रिफिलिंग के लिए सिलेंडर की कमी हो गई है. फिलहाल 1200 से 1500 क्राइजोनिक टैंकर उपलब्ध हैं. यह महामारी की दूसरी लहर से पहले तक के लिए तो पर्याप्त थे, लेकिन अब 2.5 लाख से ज्यादा मामले रोज सामने आने से टैंकर कम पड़ रहे हैं.