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यूपी: जिला पंचायत में चलेगा किसका सिक्का? निर्दलीयों पर निर्भर सपा-भाजपा की अगली जंग

यूपी के 75 जनपदों की कुल 3050 सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी और सपा से ज्यादा निर्दलीयों ने जीत दर्ज की है. जिला पंचायत चुनाव में सपा को 747 सीट, बीजेपी को 666 सीट, बसपा को 322 सीट और कांग्रेस को 77 सीटों पर जीत मिली है.

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे पंचायत चुनाव में बीजेपी को सियासी तौर पर तगड़ा झटका लगा है. यूपी पंचायत चुनाव जीतने के लिए सत्ताधारी बीजेपी ने जितनी तैयारी की थी, उतनी किसी भी दल ने नहीं की थी. इसके बावजूद बीजेपी, पंचायत चुनाव में सपा को मात नहीं दे सकी. वहीं, सपा भले ही 2015 के चुनाव की तरह नतीजे नहीं दोहरा सकी हो, लेकिन जिस तरह से सबसे ज्यादा सीटें जीतकर वह नंबर वन बनी है, उसने बीजेपी की नींद को उड़ा दिया है और 2022 के लिए कड़ी चुनौती पेश करने की आहट दे दी है.

यूपी के 75 जनपदों के कुल 3050 जिला पंचायत सदस्यों की सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी और सपा से ज्यादा निर्दलीयों ने जीत दर्ज की है. जिला पंचायत चुनाव में सपा को 747 सीट, बीजेपी को 666 सीट, बसपा को 322 सीट और कांग्रेस को 77 सीटों पर जीत मिली है. वहीं, आम आदमी पार्टी को 64 सीटें मिली हैं जबकि निर्दलीय सहित अन्य को 1174 सीटों पर जीत मिली है. इससे साफ जाहिर होता है कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में निर्दलीय ही सबसे अहम कड़ी साबित होंगे, सपा और बीजेपी में जो इन्हें साधने में कामयाब रहेगा उसी का जिले पर कब्जा होगा.

बता दें कि पिछली बार पंचायत चुनाव में सपा ने दावा किया था कि उसने कुल 3121 जिला पंचायत सीटों में से 70 फीसदी यानी 2184 सीटों पर जीत दर्ज की है. इस तरह देखा जाए तो इस बार सपा की सीटों में भारी गिरावट आई है. फिर भी सपा की सीटें बीजेपी से अधिक हैं. हालांकि, बीजेपी सोमवार से दावा कर रही कि वह पंचायत चुनावों में 900 से ज्यादा सीटें जीती है और 400 निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य उसके संपर्क में हैं. एक तरह से साफ है कि निर्दलीय जिला पंचायतों को साधने का दांव अभी से शुरू हो गया है. वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश ने कहा कि पंचायत चुनाव 2022 का सूचक है, अब गिने-चुने दिन ही शेष हैं बीजेपी सरकार की विदाई और सपा की सरकार बनने में.

गोरखपुर में निर्दलीय के हाथ में चाबी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर में 68 सीटों में से बीजेपी और सपा को 20-20 सीटें हासिल हुई हैं. वहीं निर्दलीयों ने 25 सीटों पर कब्जा जमाया और एक सीट आम आदमी पार्टी को मिली है. ऐसे में गोरखपुर के जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज होने के लिए 35 सदस्यों को समर्थन चाहिए. ऐसे में निर्दलीय सदस्यों को सपा और बीजेपी में से जो साधने में सफल रहेगा, उसी का कब्जा होगा.

वाराणसी में कांग्रेस-बसपा किंगमेकर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सपा ने बीजेपी को मात दे दी है. यहां जिला पंचायत की कुल 40 सीटों में से सबसे ज्यादा सपा को 17 सीटें मिली हैं जबकि बीजेपी को 8, बसपा को 3, कांग्रेस को 5, आप को 1, अपना दल (एस) को 3, सुभासपा को 1 और अन्य को दो सीटें मिली हैं. ऐसे में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी के लिए कांग्रेस और बसपा की अहम भूमिका होगी. बीजेपी के लिए जिलों पर कब्जा करना आसान नहीं है जबकि सपा दूसरे दलों के जीते हुए प्रत्याशियों को साधने के बाद ही काबिज हो सकती है.

फर्रुखाबाद में निर्दलीयों के बिना जीत संभव नहीं

फर्रुखाबाद जिले में भी निर्दलीय अहम भूमिका में हैं. यहां जिला पंचायत की कुल 30 सीट हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा सपा ने 11 सीटें जीती हैं. इसके अलावा 4 बीजेपी, 2 बसपा और निर्दलीय को 13 सीटें मिली हैं. सपा को इस सीट पर काबिज होने के लिए निर्दलीय सदस्यों का समर्थन जुटाना होगा.

ऐसा ही बलरामपुर जिले में भी है, जहां कुल 40 सीटें हैं. बीजेपी 6, सपा 11, बसपा 9, कांग्रेस 1 और निर्दलीय 13 सीट जीते हैं. ऐसे में सपा और बसपा में से जो भी निर्दलीय सदस्यों को अपने साथ मिलाने में कामयाब रहेगा, उसी का जिले पर कब्जा होगा.

सपा के गढ़ में बीजेपी नंबर वन

अमरोहा में भी निर्दलीय के हाथ में जिले की चाबी है. यहां कुल 27 सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी 6, सपा 9, बसपा 8 और निर्दलीय 4 सदस्य जीते हैं. ऐसे में जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए जबरदस्त मुकाबला होने की संभावना है. सपा के मजबूत गढ़ बदायूं में बीजेपी नंबर वन पार्टी बनकर उभरी है, लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए निर्दलीय सदस्यों के समर्थन जुटाना होगा. यहां कुल 51 सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी 16, सपा 12, बसपा 5, कांग्रेस 1, महान दल 2 और अन्य 15 सदस्य जीते हैं.

मथुरा में RLD की अहम भूमिका

कृष्णनगरी मथुरा में बसपा भले ही नंबर वन पार्टी बनी हो, लेकिन जिला पर काबिज होने के लिए आरएलडी के समर्थन की जरूरत होगी. यहां कुल 33 सीट हैं, जिनमें से बसपा 12, बीजेपी 9, आरएलडी 8, सपा 1 और निर्दलीय 3 जीते हैं. ऐसे ही श्रावस्ती में कुल 22 सीटें है, जिनमें बीजेपी 4, सपा 8, आम आदमी पार्टी 3, कांग्रेस 1, बसपा 1 और निर्दलीय 3 जीते हैं. वहीं, मुजफ्फरनगर जिले में कुल 43 सीटें है, बीजेपी को 13, आरएलडी 3, बसपा 3, आजाद समाज पार्टी 6 और निर्दलीय 18 जीते हैं. यहां बिना निर्दलीय के समर्थन के जिला पंचायत का चुनाव नहीं जीता जा सकता है.

सपा आसानी कर सकती कब्जा

मुरादाबाद जिल में कुल 39 सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी 10, सपा 11, कांग्रेस 12, अन्य 2 और निर्दलीय 4 जीते हैं. ऐसे में यहां जबरदस्त मुकाबला होने की संभावना है. बिजनौर जिले में कुल 56 सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी 8, सपा 20, बसपा 5, आरएलडी 4, भाकियू 2, आप 1 और निर्दलीय 16 जीते हैं. ऐसे में निर्दलीय की भूमिका अहम होगी. उन्नाव में कुल 51 सीटें है, जिनमें से बीजेपी 9, सपा 21 और निर्दलीय 21 जीते हैं. ऐसे में सपा को निर्दलीय सदस्यों का समर्थन जुटाना होगा.

फिरोजाबाद जिले की कुल 33 सीटों में से 17 पर सपा ने जीत दर्ज की है जबकि 7 निर्दलीय जीते हैं. वहीं, 5 बीजेपी, 2 प्रसपा और 2 बसपा ने जीती हैं. यहां सपा आसानी से जिला पंचायत अध्यक्ष अपने दम पर बना लेगी. देवरिया जिले में कुल 56 सीट हैं, जिनमें से बीजेपी 6, सपा 27, बसपा 3, कांग्रेस 2, अन्य को 18 सीटें मिली हैं. यहां भी सपा को किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होगी. बागपत में कुल 20 सीटें हैं, जिनमें बीजेपी 4, सपा 3, बसपा 1, आरएलडी 9 और अन्य को तीन सीटें मिली हैं. ऐसे में आरएलडी और सपा मिलकर आसानी से जिले पर अपना कब्जा जमा लेंगी.